VVI Subjective (हिन्दी)

नगर

अध्याय-4 | लेखक का नाम- सुजाता

प्रश्न-1. "नगर" शीर्षक कहानी का सारांश प्रस्तुत करें।

उत्तर- "नगर" शीर्षक कहानी सुजाता द्वारा रचित किया गया है। यह कहानी तमिल भाषा से ली गई है। इस कहानी में नगर की संवेदनहीनता का चित्रण किया गया है। इस कहानी में नगर में स्थित सरकारी अस्पताल की संवेदनहीनता और औपचारिकताओं से परेशान होकर एक अनपढ़ ग्रामीण स्त्री अपनी बेटी का इलाज कराये बिना अपने घर लौटने में ही अपनी कुशलता समझती है और विवश होकर गाँव की पारंपरिक इलाज और भगवान पर आश्रित हो जाती है।

इस कहानी में वल्लि अम्माल बारह वर्ष की लड़की पाप्पति की माँ है। एक दिन पाप्पति को बहुत तेज बुखार हो जाता है। वल्लि अम्माल उसे गाँव के प्राथमिक स्वस्थ्य केंद्र पर ले जाती है। वहाँ के डॉक्टर उसे बीमारी को लेकर डरा देते है और जल्द ही उसे शहर के अस्पताल में ले जाने को कहते है। वल्लि अम्माल जल्द ही अपनी बेटी को मदुरै स्थित बड़े अस्पताल में ले जाती है। पाप्पति को स्ट्रेचर पर लिटा कर छः डॉक्टर उसे घेरकर देखते है। उसमें बड़े डॉक्टर उसका परीक्षण करके अपना निर्णय सुनाते है कि इस रोगी को घोर मेनिनजाइटिस हो गया है। बड़े डॉक्टर ने डॉ० धनशेखरन से कहा कि इस रोगी की देखभाल मैं स्वयं करूँगा। अतः इस रोगी को आप अस्पताल में एडमिट करवा दीजिए।

डॉ० धनशेखरन ने यह भार डॉ० श्रीनिवासन पर टाल दिया। श्रीनिवासन ने वल्लि अम्माल (वल्लियम्मा) के हाथ में एक चिट थमा दी। वल्लि अम्माल उस चिट को लेकर यहाँ-वहाँ भटकती रही। उसे 48 नंबर वाले कमरे में जाना था। बहुत देर तक यहाँ-वहाँ भटकने पर उसे 48 नंबर का कमरा तो मिल गया लेकिन वहाँ पर बैठे एक बाबू ने कहा कि चिट पर लिखा है कि रोगी को एडमिट किया जाए लेकिन तुम कल अपने रोगी को सुबह ठीक साढ़े सात बजे लेकर आ जाना क्योंकि इस समय जगह नहीं है। इस बात को सुनकर वल्लि अम्माल चिंतित हो उठी क्योंकि कमरे खोजने के चक्कर में अपनी बेटी पाप्पति को डेढ़ घंटे से अकेले छोड़ कर आयी थी। वह अपनी बेटी को इतने बड़े अस्पताल में नहीं ढूंढ पा रही थी क्योंकि वह अस्पताल में बार-बार रास्ता भटक जाती थी। अपनी बेटी के लिए वल्लि अम्माल बेचैन हो उठी।

बहुत ढूँढने के बाद वल्लि अम्माल को उसकी बेटी पाप्पति मिली। उसने अपनी बेटी को अपनी छाती से लगाया और उसे अस्पताल से लेकर अपने गाँव चली आयी। उसने अपने मन में तय किया कि इतने बड़े अस्पताल के चक्कर में पड़ना बेकार है। इससे अच्छा है कि मैं अपनी बेटी को वैधजी से दिखा दूँगी, ओझा से झाड़-फूँक करवा दूँगी या खड़िया मिट्टी से लेप करवा दूँगी जिससे मेरी बेटी ठीक हो जाएगी। जब मेरी बेटी ठीक हो जाएगी तो वैदीश्वरनजी के मंदिर में जाकर दोनों हाथों में रेजगारी भर कर भगवान को भेंट करूँगी। ये सभी बातें वल्लि अम्माल लौटते वक्त रास्ते में सोच रही थी और इधर अस्पताल में डॉक्टर वल्लि अम्माल को ढूँढ रहे थे।

प्रश्न-2. वल्लि अम्माल अस्पताल में वापस लौटने का रास्ता नहीं पा सकी, क्यों?

उत्तर- वल्लि अम्माल अपनी बेटी पाप्पति को पहली बार बड़े अस्पताल में ले आयी थी। वह पढ़ी-लिखी नहीं थी कि वह अस्पताल में लिखी गयी सूचनाओं को पढ़ सके। उसके लिए अस्पताल के सभी कमरे एक जैसे लगते थे। इसलिए वल्लि अम्माल अस्पताल में वापस लौटने का रास्ता नहीं पा सकी।

प्रश्न-3. बड़े डॉक्टर को जब यह मालूम हुआ कि पाप्पति की भर्ती अस्पताल में नहीं हुई है, तब इस पर उनकी कैसी प्रतिक्रिया हुई?

उत्तर- जब बड़े डॉक्टर साहब को यह मालूम हुआ कि पाप्पति की भर्ती अस्पताल में नहीं हुई है, तो वे झल्ला उठे। उनको जब यह भी मालूम हुआ कि स्वामी ने पाप्पति की माँ को कल सुबह साढ़े सात बजे बुलाया है, तब उनका गुस्सा और भी बढ़ गया। उन्होंने गुस्से में कहा कि इतनी देर में तो वह लड़की मर जाएगी। यदि तुमलोगों के वार्ड में कोई बेड खाली नहीं है, तो हमारे विभाग के वार्ड में जो बेड खाली है, उसे जल्दी से दिलवा दीजिए।

प्रश्न-4. पाप्पति कौन थी और वह शहर क्यों लायी गई थी?

उत्तर- पाप्पति मूनांडिप्पट्टि गाँव की रहने वाली थी। वह वल्लि अम्माल की बारह वर्षीय पुत्री थी। उसकी तबीयत बहुत अधिक खराब हो गई थी इसलिए उसको बड़े अस्पताल में दिखाने के लिए शहर लायी गई थी।