उत्तर- कवि एक वृक्ष के बहाने प्राचीन सभ्यता, संस्कृति एवं पर्यावरण की रक्षा की चर्चा की है। वृक्ष मनुष्यता, पर्यावरण एवं सभ्यता का प्रहरी है । यह प्राचीनकाल से मानव के लिए वरदानस्वरूप है, इसका पोषक है, रक्षक है । इन्हीं बातों का चिंतन करते हुए कवि को वृक्ष बूढ़ा चौकीदार लगता था ।
उत्तर- एक वृक्ष की हत्या’ कविता संसार की पर्यावरण समस्या को उजागर कर रही है। वन-विनाश के कारण पर्यावरण दूषित हो रहा है, जो मनुष्य के विनाश का कारण बन सकता है।
उत्तर- कवि को अंदेशा है कि आज पर्यावरण, हमारी प्राचीन सभ्यता, मानवता तक के जानी दुश्मन समाज में तैयार हैं। अंदेशा इसलिए करता है क्योंकि आज लोगों की प्रवृत्ति वृक्षों की काटने की हो गई। सभ्यता के विपरीत कार्य करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है।
उत्तर- कवि जब अपने घर कहीं बाहर से लौटता था तो सबसे पहले उसकी नजर घर के आगे स्थिर खड़ा एक पुराने वृक्ष पर पड़ती । कवि को आभास होता मानो वृक्ष उससे पूछ रहा है कि तुम कौन हो ? कवि इसका उत्तर देता- मैं तुम्हारा दोस्त हूँ। इसी संवाद के साथ वह उसके निकट बैठकर भविष्य में आने वाले पर्यावरण संबंधी खतरों का अंदेशा करता है।
उत्तर- प्रस्तुत कविता में कवि एक पुराने वृक्ष की चर्चा करते हैं। वृक्ष प्रहरी के रूप में कवि के घर के निकट था और वह एक दिन काट दिया जाता है। कवि के चिंतन का मुख्य केन्द्र-बिन्दु कटा हआ वक्ष ही है। उसी को आधार मानकर सभ्यता, मनुष्यता एवं पर्यावरण को क्षय होते हए देखकर कवि आहत होते हैं।
उत्तर- रूपक भावाभिव्यक्ति की एक विधा है। इसमें कवि की कल्पना मूर्तरूप में चित्रित होती है। यहाँ वृक्ष की महत्ता को मूर्त रूप देते हुए उसे एक प्रहरी के रूप में दिखाया गया है।
उत्तर- घर, शहर और देश के बाद कवि नदियों, हवा, भोजन, जंगल एवं मनुष्य को बचाने की बात करता है क्योंकि नदियाँ, हवा, अन्न, फल, फूल जीवनदायक हैं। इनकी रक्षा नहीं होगी तो मनुष्य के स्वास्थ्य की रक्षा नहीं हो सकती है।
उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियों में कवि कुँवर नारायण नदी, नाला, हवा, खाद्य पदार्थ को बचाने की बात करते हैं। गंदी नालियों के गिरने से नदियाँ दिन-प्रतिदिन दूषित हो रही हैं। उनका पानी पीने योग्य नहीं रह गया है। नदियाँ जल की स्रोत हैं और जल ही जीवन है।
अतः उन्हें दूषित होने से बचाने का अर्थ है अपने अस्तित्व की. रक्षा करना। कवि हवा को धुआँ होने से बचाने की बात करता है। वायु में कल-कारखानों और वाहनों के धुआँ से जहरीली गैसें भर गई हैं। उसमें कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा ज्यादा हो गई है और ऑक्सीजन की मात्रा कम हो गई है।
इससे तरह-तरह की खतरनाक बीमारियाँ पैदा हो रही हैं। रासायनिक खादों के उपयोग और दूषित जल से सिंचाई के कारण खाद्य पदार्थ जहरीले हो गए हैं। सभ्यता के विकास के कारण जंगलों का सफाया हो रहा है। जंगल मरुस्थल में बदल रहे हैं।
उत्तर- कवि "एक वृक्ष की हत्या" कविता के माध्यम से बताते है कि आज प्राचीन सभ्यता का ह्रास हो रहा है। पर्यावरण का ख्याल रखा जा रहा है। वृक्ष एवं जंगल काटे जा रहे हैं । मानवता का गुण नष्ट हो रहा है। पशुता एवं राक्षसत्व का गुण बढ़ रहा है। नदियों का स्वच्छ जल प्रदषित हो रहा है।
ऐसी विषम परिस्थितियों में कवि का इस ओर ध्यान दिलाना प्रासंगिक है। आज के प्रसंग में कवि की कल्पना चरितार्थ हो रही है । कवि का अंदेशा सत्य हो रहा है। हमें वृक्ष, पर्यावरण, मनुष्यता, सभ्यता एवं राष्ट्रीयता के प्रति संवेदनशील होना होगा।
उत्तर- "एक वृक्ष की हत्या" कवि 'कुँवर नारायण' द्वारा रचित किया गया है। कवि इस कविता के माध्यम से कहते है कि वे जब कभी बाहर से आते थे तब अपने घर के दरवाजे पर खडे बूढ़े वृक्ष को देखकर उन्हें एक आनंदपूर्ण संतोष मिलता था। पर आज जब वह बाहर से घर आये तब उन्हें अपने घर के दरवाजे पर नहीं देखकर उसे बड़ा दुःख हुआ।
वह बूढ़ा वृक्ष उसके घर के दरवाजे पर हमेशा चौकस-चौकन्ना रहता था। वह वृक्ष उसके घर का पहरेदार था जैसे। पर, वह बूढ़ा चौकीदार वृक्ष किसी के स्वार्थ की बलि चढ़ गया। उसे काट डाला गया। उसकी हत्या हो गई। कवि को पहले से ही आशंका थी कि किसी की निगाहें उस बूढ़े वृक्ष पर लगी हुई हैं, वह अवश्य ही बूढ़े वृक्ष की हत्या कर देगा और सचमुच, हुआ भी वही।
वृक्ष की हत्या पर कवि अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करता हुआ कहता कि हमारी असावधानी के चलते ही ऐसा होता है कि कोई प्राणिजगत की रक्षा करनेवाले को ही अपने स्वार्थ के लिए मार डालता है।
सब जगह लूट मची है। कवि 'लूट' के प्रति सावधान रहने की बात करता है। वह वृक्ष की हत्या को पर्यावरण की हत्या का एक अंग मानता है। वह पर्यावरण की चिंताओं से ग्रस्त हो जाता है। वह आत्मसजग होकर घोषणा करता है कि हमें नदियों को नाला होने से, हवा को धुंआ होने से (विषाक्त होने से) और खाद्य पदार्थ को जहर होने से (कीटनाशक दवाओं के छिड़काव और रासायनिक खादों के प्रयोग से खाद्य पदार्थों के जहर होने से) बचाना है।
जंगलों के कटने से मरुस्थलों का लगातार विस्तार हो रहा है। कवि इन तमाम आशंकाओं के बीच अपने कर्मठ होने का परिचय देते हुए कहता है कि हमें इन सारी अव्यवस्थाओं को दूर करने के लिए तैयार हो जाना चाहिए।
हमें हर कीमत पर अपने घर,नगर, देश, नदियों, हवा, खाद्य-पदार्थ, जंगल तथा मानव की सुरक्षा करना है। तुरंत काटे गए एक वृक्ष के बहाने पर्यावरण, मनुष्य और सभ्यता के विनाश की अंतर्व्यथा को यह कविता अभिव्यक्त करती है।
उत्तर- कवि ने इन पंक्तियों में एक बूढ़ा वृक्ष को युगों-युगों का प्रहरी मानते हुए सभ्यता-संस्कृति की रक्षा हेतु मानव को जगाने का प्रयास किया है। कवि की कल्पना ने वृक्ष को अभिभावक, चौकीदार, पहरुआ के रूप में चित्रित कर मानवीयता प्रदान किया है। इसमें वृक्ष की चेतनता, कर्तव्यनिष्ठता एवं आत्मीयता दर्शायी गई है।
उत्तर- प्रस्तुत पंक्ति हिन्दी पाठ्य-पुस्तक के कुँवर नारायण रचित 'एक वृक्ष की हत्या' पाठ से उद्धृत है। इसमें कवि एक वृक्ष के कटने से आहत होता है और इसपर चिंतन करते हुए पुरे पर्यावरण एवं मानवता पर खतरा की आशंका से आशंकित हो जाता है। इसमें अपनी संवेदना को कवि ने अभिव्यक्त किया है।
प्रस्तुत पंक्ति के अंश में कवि कहता है कि जब मैं अपने घर लौटा तो पाया कि मेरे घर के आगे प्रहरी के रूप में खडे वृक्ष को काट दिया गया है। उसकी याद करते हुए कवि कहते हैं कि वह घर के सामने खड़ा रहता था मानो वह गृहरक्षक हो। जब मैं बाहर से लौटता था, उसे दूर से देखता था और मुझे प्रतीत होता था कि वृक्ष मुझसे पूछ रहा है कि तुम कौन हो? तब मैं बोल पड़ता था कि मैं तुम्हारा मित्र हूँ। यहाँ वृक्ष और मनुष्य की संगति का बखान है।