उत्तर- लेखक की पत्नी निर्मला सवेरे से शाम तक पूरे घर का काम करती थी। नौकर नहीं होने के कारण निर्मला को ठीक तरह से आराम करने का मौका भी नहीं मिलता था। इसके अलावा लेखक के सभी रिश्तेदारों के यहाँ नौकर थे, केवल लेखक के घर नौकर नहीं था। इसके कारण निर्मला लेखक से नौकर रखने की माँग करने लगी। इस प्रकार इन परिस्थितियों के चलते कहानीकार अमरकांत को लगा कि नौकर रखना अब बहुत जरूरी है।
उत्तर- एक बार बहादुर ने अपनी माँ की प्यारी भैस को बहुत मार दिया। यह सुनकर उसकी माँ ने डंडे से उसकी बहुत पिटाई कर दी। इस कारण बहादुर का मन माँ से हट गया और चुपके से कुछ रुपये लिया और घर से भाग गया।
उत्तर- लेखक के घर में बहादुर को अच्छे से रखा गया। कुछ समय बाद लेखक की पत्नी और पुत्र दोनो उसे प्रताड़ित करने लगे फिर भी बहादुर बुरा नहीं मानता था क्योंकि सबसे अधिक बहादुर लेखक को मानता था। एक दिन लेखक के रिश्तेदारों ने बहादुर पर चोरी का इल्जाम लगा दिया। इस बात को सुनकर लेखक बहादुर की बातों पर ना विश्वास करके लेखक ने बहादुर को बोले तथा उसे तमाचा भी मार दिए। इस बात से दुखी होकर बहादुर ने लेखक का घर छोड़ दिया।
उत्तर- लेखक के रिश्तेदार ने सोचा कि चोरी का आरोप नौकर पर लगाने से ऐसा लगेगा कि सच में बहादुर ने ही चोरी किया है। बहादुर पर जब चोरी का आरोप लगता है, तो वह बहुत दुखी हो जाता है और उस दिन से वह उदास रहने लगता है।
उत्तर- बहादुर कहानी का नायक है, जिसकी उम्र लगभग 14 वर्ष है। बहादुर का कद छोटा है, शरीर गोरा है तथा उसका मुँह चपटा है। वह अपने काम में चुस्त और फुर्तीला है। बहादुर स्वभाव से बहुत अच्छा है और सबसे बड़ी उसकी विशेषता यह है कि वह स्वाभिमानी तथा ईमानदार है।
उत्तर- बहादुर घर के सभी कार्यों को अच्छी तरह से करता था। उसके कारण घर के सभी सदस्यों को आराम मिलता था। कोई भी कार्य बहादुर आसानी से कर देता था। घर के लोगों के डाँट-फटकार के बावजूद बहादुर सभी काम करता था लेकिन बाद में लेखक के तथा उनके परिवार के कारण बहादुर पर चोरी का इल्जाम लगाते है, लेकिन बाद में पता चलता है, कि चोरी बहादुर ने नहीं किया था। इसलिए बहादुर के चले जाने पर सबको पछतावा होता है।
उत्तर- बहादुर के आने से घर के सभी सदस्यों को बहुत आराम हो गया था क्योंकि बहादुर सभी लोगों के जरूरतों को पूरा करता था। बहादुर घर को भी अच्छे तरीके से साफ-सुथरा रखता था और सभी कपड़े को अच्छे तरीके से धोता था। इस प्रकार बहादुर के आने से लेखक तथा उनके परिवार के सदस्य बहुत ही खुश थे।
उत्तर- बहादुर जब पहली बार दिखा तो उसकी उम्र लगभग 13-14 वर्ष की थी। उसका रंग गोरा, मुँह चपटा तथा शरीर ठिगना (नाटा) था। वह सफेद नेकर, आधी बाँह की सफेद कमीज और भूरे रंग का पुराना जूते पहने हुए था।
उत्तर- जब रिश्तेदार की सच्चाई का आभास हुआ और यह बात समझ में आ गयी कि बहादुर निर्दोष था, तब निर्मला को बहादुर के चले जाने पर बहुत ही अफसोस हुआ।
उत्तर- लेखक को साले साहब से एक दुखी लड़का का किस्सा असाधारण विस्तार से सुनना पड़ा। किस्सा यह था कि बहादुर नेपाली था। उसके पिता युद्ध में मारे गए थे और उसकी माँ मेहनत-मजदूरी करके परिवार का भरण-पोषण करती थी।
उत्तर- लेखक के घर में ऐसा वातावरण उपस्थित हो गया था जिससे उनको लगा घर में नौकर को रखना अब बहुत जरूरी हो गया है, लेकिन ऐसा अच्छा और विश्वासी नौकर कहाँ मिलेगा जो घर के सभी कामों को जिम्मेदारी से कर सके। अतः लेखक के लिए ऐसा नौकर खोजना एक भारी दायित्व के रूप में महसूस हो रहा था।
उत्तर- प्रथम बार नाम पूछने पर बहादुर ने अपना नाम दिलबहादुर बताया। यहाँ 'दिल' शब्द का अर्थ भावात्मक था। बहादुर को उदारता से दूर रख कर उसके मण और मस्तिष्क में केवल घर के कार्यों में लीन रहने का उपदेश दिया गया। इसलिए लेखक की पत्नी निर्मला ने उसके नाम से 'दिल' शब्द उड़ा दिया।
उत्तर- लेखक के घर आए रिश्तेदारों ने अपनी झूठी प्रतिष्ठा कायम रखने के लिए रुपये की चोरी का प्रपंच रचा। उन्होंने चोरी का आरोप बहादुर पर लगाया। इस आरोप से बहादुर को डाँट भी मिली तथा उसकी पिटाई भी हुई। इस प्रकार रिश्तेदारों के इस प्रपंच के कारण लेखक का घर अस्त-व्यस्त हो गया तथा उनके सभी कार्यों को करने वाला नौकर बहादुर घर छोड़कर चला गया।
उत्तर- रात को अपना काम-धाम करने के बाद बहादुर घर के भीतर बरामदे में अपना बिस्तर सोने के लिए बिछाता था। वह बिस्तर पर बैठ जाता और अपनी जेब से कपड़े की एक गोल-सी एक नेपाली टोपी पहन लेता और छोटा-सा आईना निकाल कर बंदर की तरह उसमें अपना मुँह देखता। वह बहुत ही प्रसन्न होकर अपने बिस्तर पर खेलता और गीत गाता था।
उत्तर- लेखक की पत्नी तथा उनके परिवार के सदस्यों को नौकर की जरूरत थी। अतः लेखक के घर में जब नौकर के रूप में बहादुर आया तो उनके घर के सभी सदस्यों को आराम मिल गया क्योंकि उनके हर कार्यों को बहादुर करने लगा।
बहादुर का रौब पड़ोसियों पर भी जमने लगा। लेखक के परिवार के साथ-साथ उनके मुहल्ले वाले भी बहादुर को पसंद करने लगे। बाद में लेखक का बेटा किशोर अपने सभी काम बहादुर पर छोड़ दिया और थोड़ी-सी भी गलती पर बहादुर को मारने लगा।
लेखक की पत्नी निर्मला ने पड़ोसियों के उकसावे में आकर बहादुर को बात-बात पर डाँटने लगी और कभी-कभी हाथ भी चला देती थी। एक दिन लेखक के घर कुछ मेहमान आए। उस दिन निर्मला के द्वारा रखे गए कुछ रुपये नहीं मिल रहे थे। रुपये नहीं मिलने पर रिश्तेदारों ने बहादुर पर चोरी का इल्जाम लगा दिया।
लेखक और रिश्तेदार बहादुर को जेल में डालने की धमकी देने लगे ताकि वह चोरी हुए रुपयों के बारे में बता सके लेकिन बहादुर इस बात से मुकरते रहा कि मैंने चोरी नहीं की। अंत में लेखक ने गुस्साकर बहादुर को एक तमाचा जड़ देते है।
इस बात से दुखी होकर बहादुर लेखक का घर छोड़ कर चला जाता है। जब बाद में लेखक को पता चलता है कि बहादुर घर छोड़कर चल गया है और अपना कोई भी समान लेकर नहीं गया है। बाद में यह भी पता चलता है कि बहादुर ने कोई चोरी नहीं की थी।
इस बात को लेकर लेखक और उनकी पत्नी बहुत ही व्यथित (दुखी) हो जाते है। इस प्रकार हम पाते है कि 'बहादुर' कहानी छोटा मुँह बड़ी बात कहती है क्योंकि इस कहानी में नौकर जैसे आदमी को नायकत्व प्रदान करती है और लेखक की व्यथा को अभिव्यक्त करती है।
उत्तर- प्रस्तुत कहानी में बहादुर नामक एक बालक का चित्रण किया गया है, जो कहानी का मुख्य पात्र है। बहादुर अपनी माँ से मार खाने के बाद गुस्सा होकर घर से भाग गया था। बाद में लेखक के घर काम करने के लिए चला आता है।
बहादुर को ईमानदार, कर्मठ और सहनशील बालक के रूप में चित्रण किया गया है। वह लेखक के घर में जब आता है, तो उनके घर के सभी सदस्यों को सभी कामों से आराम मिल जाता है। उनके घर के सभी कामों को बहुत ही अच्छे तरीके से करता है।
बहादुर अपने कार्यों से लेखक के घर तथा उनके पड़ोसियों के दिल में बस जाता है। इस प्रकार बहादुर को इस कहानी का नायक कहा जा सकता है। इस कहानी में लेखक ने बहादुर को केवल नौकर की भूमिका में नहीं रखा है बल्कि उसके गुणों की भी चर्चा की है। इसलिए लेखक ने इसका शीर्षक नौकर नहीं रखा है।
उत्तर- प्रस्तुत पंक्ति साहित्य जगत के प्रसिद्ध लेखक अमरकांत के द्वारा लिखी गई 'बहादुर' नामक शीर्षक कहानी से ली गई है। इस पंक्ति के माध्यम से लेखक कहते है कि बहादुर पर जो रुपये चोरी करने का झूठा आरोप लगाया गया था। वह बिल्कुल गलत था।
लेखक तथा उनकी पत्नी को इस बात का अफसोस है कि बहादुर इतना दिन काम किया और एक भी रुपया वेतन के रूप में नहीं लिया और यहाँ तक जाते समय अपना समान भी छोड़कर चला गया। अगर वह कुछ पैसे भी लेकर जाता तो उनको इतना अफसोस नहीं होता।
उत्तर- प्रस्तुत पंक्ति साहित्य जगत के प्रसिद्ध लेखक अमरकांत के द्वारा लिखी गई 'बहादुर' नामक शीर्षक कहानी से ली गई है। इस पंक्ति के माध्यम से लेखक कहते है कि बहादुर को भगाने में उनकी भूमिका अधिक है क्योंकि घर के सभी सदस्य बहादुर को डाँटते और पीटते थे लेकिन वें बहादुर के प्रति प्यार और ममता का भाव रखते थे।
अतः उनकी इस भाव के कारण ही बहादुर घर के अन्य सदस्यों की बोलने या पीटने पर भी बुरा नहीं मानता था लेकिन जिस दिन उन्होंने बहादुर को डाँटा और मारा, उस दिन बहादुर को यह एहसास हो गया कि इस घर में उसका कोई नहीं है और इससे आहत होकर बहादुर घर छोड़कर चला गया।