उत्तर- लेखक नलिन विलोचन शर्मा द्वारा दिए गए इस कहानी के शीर्षक का नाम "विश्व के दाॅंत" एकदम उचित जान पड़ता है। क्योंकि मदन जो गरीब गिरधर का बेटा था उसने खोखा यानी काशू जो गिरधर के मालिक सेन साहब का बेटा था, उसके दो दो दांत तोड़ डालें। यह दांत विष के दांत थे। जो समाज में अमीरों द्वारा गरीबों पर किए जाने वाले शोषण के थे, ऊंच-नीच, लिंगभेद इत्यादि जैसे कुरीतियों, भेदभाव के थे, इसलिए इस दाॅंत को तोड़ डालना ही उचित है।
उत्तर- सेन साहब के परिवार में बच्चों के पालन पोषण में किए जा रहे लिंग आधारित भेदभाव हमारे समाज में हो रहे भेदभाव का एक अच्छा उदाहरण है।
सेन साहब की बेटियों के लिए अलग प्रकार की शिक्षा और अलग प्रकार की तामील थी, और खोखा यानी सेन साहब के बेटे को अलग प्रकार की शिक्षा दी जाती थी।
बेटियों को सिर्फ शाम के समय खेलने की अनुमति थी वह भी सिर्फ इसलिए क्योंकि वह उनके स्वास्थ्य के लिए अच्छा था और खोखा दिन भर खेल सकता था उस पर कोई रोक नहीं था।
बेटियों को खिलखिला कर हंसने की इजाजत नहीं थी जबकि बेटा कैसे भी रह सकता था।
मिस्टर एंड मिसेस सेन ने अपनी बेटियों को क्या नहीं करना चाहिए यह भी बताया था जबकि खोखा हर काम अपनी मर्जी से करता था और खोखा की गलतियों पर भी उसे शाबाशी दी जाती थी।
घर में लिंग वेद ऐसा ही था कि शरारती खोखे की प्रशंसा की जाती थी किंतु तहजीब एवं तमीज की मूर्ति बेटियों की चर्चा तक नहीं की जाती थी।
उत्तर- खोखा सेन साहब के जीवन के नियम का अपवाद था क्योंकि उसका जन्म ऐसे समय में हुआ था जब सेन साहब को उसके होने की आशा भी नहीं थी। वह घर के नियमों का भी अपवाद था क्योंकि पांच लड़कियों के बाद उसका जन्म हुआ था।
उत्तर- सेन दंपति खोखा में इंजीनियर बनने की संभावनाएं देखते थे। इसके लिए उन्होंने कारखाने के बढ़ई मिस्त्री को खोखा के साथ एक-दो घंटे समय बिताने तथा उसे शिक्षा देने के लिए कहा था ताकि वह अभी से ठोक पीट करना सीख सकें और औजारों को पहचान सके।
उत्तर- प्रस्तुत गद्यांश गोधूलि भाग 2 के पाठ 2 विष के दाॅंत से ली गई है। जिसके लेखक नलिन विलोचन शर्मा जी हैं। इस गद्यांश में लेखक ने लड़कियों की विशेषता एवं उनकी शालीनता पर प्रकाश डाला है।
सेन साहब की पांच लड़कियां हैं सीमा रजनी आली शेफाली तथा आरती। सेन साहब ने अपनी बेटियों को ऐसी तमिल दी है कि वह कठपुतलियों की भांति है उन्हें क्या नहीं करना है उन्हें अच्छी तरह से पता है। और कब क्या करना है कैसे करना है इस बात का ध्यान रखती हैं। वे शाम के समय खेलती हैं पर उछल कूद नहीं करती कुछ तोड़फोड़ नहीं करती हैं, वह खिलखिलाकर नहीं हंसती हैं। उन्हें दूसरे के घर जो जाना है चूल्हा चौका करना है। वे सभ्यता और तहजीब की मूर्ति है इस बात से सेन साहब गौरवान्वित है।
उत्तर- प्रस्तुत गद्यांश गोधूलि भाग 2 के पाठ 2 विष के दाॅंत से ली गई है। जिसके लेखक नलिन विलोचन शर्मा जी हैं। इस गद्यांश में लेखक ने समाज में हो रहे लिंग भेद संबंधित भेदभाव की नीति पर प्रकाश डाला है।
सेन साहब ने अपनी पुत्रियों के लिए अलग नियम बनाए थे। उनकी शिक्षा भिन्न थी लड़कियों को सभ्यता एवं शिष्टाचार की शिक्षा दी जाती थी, उन्हें नियम का पालन करना होता था। हंसने, बोलने, खेलने-कूदने सबकी एक सीमा थी। जबकि उनके पुत्र के लिए अलग प्रकार शिक्षा थी। वे अपने पुत्र को इंजीनियर बनाना चाहते थे। सेन साहब एक अनुशासन प्रिय व्यक्ति थे, किंतु उन्होंने अपने पुत्र प्रेम में अपने सिद्धांतों को बदल दिया उन्होंने अपने पुत्र पर कोई नियम नहीं लगाऍं वह अपनी मर्जी से हर कार्य करता था। उसकी गलतियों पर भी उसे डाटा नहीं जाता था। क्योंकि वह एक लड़का हैं इसलिए उसे विशेष महत्व दिया जाता हैं और सर्वगुण संपन्न लड़कियों को कोई महत्व नहीं दिया जाता हैं।
उत्तर- प्रस्तुत गद्यांश गोधूलि भाग 2 के पाठ 2 विष के दाॅंत से ली गई है। जिसके लेखक नलिन विलोचन शर्मा जी हैं। इस गद्यांश में लेखक ने समाज में हो रहे लिंग भेद संबंधित भेदभाव की नीति पर प्रकाश डाला है।
उत्तर- प्रस्तुत पंक्ति में लेखक नलिन विलोचन शर्मा ने बच्चों के बाल स्वभाव का वर्णन किया है। लेखक इस पंक्ति के माध्यम से समझाना चाहते हैं कि बच्चों में मान सम्मान तथा अमीरी गरीबी की भावना नहीं होती है। वह बस अपनी इच्छा की पूर्ति करना चाहते हैं।
मदन को सेन साहब ने बहुत डांटा था जिसके कारण वह बहुत गुस्सा था सेन साहब ने उसे चोर डाकू आदि शब्दों से अपमानित किया था इसलिए जब सेन साहब का बेटा जो कि एक अमीर परिवार से था और मदन जो एक गरीब परिवार से था। जब मदन और उसके साथियों को लड्डू खेलते देखा तो लट्टू खेलने की चाह में उसके पास आने लगा और उसे अपनी ओर आते देख मदन ने कहा कि हंस कौओ की जमात में शामिल होने के लिए ललक गया है। यहां "हंस" काशू और "कौआ" मदन और उसके साथ ही थे।
उत्तर- सेन साहब के मित्र एवं उनके पत्रकार मित्र सेन साहब के घर आए थे और ड्राइंग रूम में बैठकर बातें कर रहे थे कि वे अपने पुत्रों को क्या बनाना चाहते हैं कोई अपने पुत्र को बिजनेसमैन बनाना चाहता था तो कोई इंजीनियर बनाना चाहता था वहां बैठे पत्रकार मित्र से जब पूछा गया कि वह अपने पुत्र को क्या बनाना चाहते हैं तब उन्होंने उत्तर दिया कि उनका पुत्र जेंटलमैन जो नूर बने और जो कुछ वह बनना चाहता है उसे उसकी पूरी आजादी होगी पत्रकार मित्र ने उन्हें शिष्टताचार्य पूर्ण किंतु व्यंग्यात्मक ढंग से उत्तर दिया था।
उत्तर- सेन
उत्तर- काशू और मदन के बीच झगड़े का कारण लट्टू था। इस प्रसंग के द्वारा लेखक दिखाना चाहते हैं, कि बच्चों में अमीरी गरीबी की भावना नहीं रहती है। बच्चों को जो चाहिए वह उससे पाना चाहते हैं, यही कारण था कि मदन द्वारा लट्टू देने से मना करने पर काशू ने आव देखा ना ताव मदन को एक घुसाॅं मार दिया। चोर, डाकू, गुंडा जैसे शब्दों से अपमानित होनेवाला मदन भी कहां मानने वाला था। वह झट काशू पर टूट पड़ा और दूसरे लड़के हटकर इस लड़ाई को देखने लगे लेकिन यह लड़ाई उस भेदभाव के खिलाफ थी जो समाज में अमीरी एवं गरीबों के बीच होता है अक्सर महल और झोपड़ी की लड़ाई में जीत महलवालों की होती है पर उसी हालत में जब झोपड़ी वाले अपने ही खिलाफ महलवालों की मदद करते हैं। पर यहाॅं से तो काशू एक मिनट में ही भाग गया।