उत्तर- संतु मछली लेकर कुएँ में डालने के लिए भागा ताकि मछली जिन्दा होकर बड़ी हो जाए।
उत्तर- आदमी के चुंगल में आकर मछली कटने को विवश थी। पानी के अभाव में अंगोछा में लिपटी मछली लहरा रही थी, दूसरी ओर दीदी कमरा में करवट लिए, पहनी हुई साड़ी को सर तक ओढे, सिसक-सिसक कर रो रही थी। हिचकी लेते ही दीदी का पूरा शरीर सिहर उठता था। दीदी का सिहरना एवं मछली का लहराना दोनों में समानता दिखलाई पड़ी।
उत्तर- मछलियों को लेकर बच्चों के मन में अभिलाषा थी कि एक मछली पिताजी से माँगकर उसे कुएँ में डालकर बहुत बड़ी करेंगे।
उत्तर- संतू मछलियों को छूते हुए हिचक रहा था, क्योंकि उसे डर था कि मछली काट लेगी।
उत्तर- मछलियाँ घर लाने के बाद बच्चों ने नहान घर में भरी हुई बाल्टी को आधी करके उसमें मछलियों को रख दिया।
उत्तर- झोले में मछलियाँ लेकर बच्चे दौड़ते हुए पतली गली में घुस गए, क्योंकि इस गली से घर नजदीक पड़ता था और दूसरे रास्तों में बहुत भीड़ थी।
उत्तर- दीदी घर के एक कमरे में थी। वह लेटी हुई थी और सिसक-सिसक कर रो रही थी। वह बार-बार हिचकी ले रही थी, जिससे उसका शरीर सिहर उठता था।
उत्तर- संतू यह जानकर उदास हो गया था कि मछली कुछ देर बाद कट जायेगी। वह मछली को जीवित पालना चाहता था । मछली को बिछुड़ते हुए जानकर वह उदास हो गया।
उत्तर- अरे-अरे कहता हुआ भग्गू संतू के पीछे भागा क्योंकि संतू एक मछली को लेकर भाग रहा था। भग्गू को डर था कि संतु मछली को कुआँ में डाल देगा जिसके चलते उसे डाँट पड़ेगी। इसलिए अरे-अरे कहता हुआ भग्गू संतू के पीछे भागा।
उत्तर- मछली के बारे में दीदी ने जानकारी दी थी कि मरी हुई मछली की आँख में अपनी परछाईं नहीं दिखती है। बच्चों ने उसकी परख एक मृत मछली की आँख में झाँककर की।
उत्तर- घर में मछली केवल पिताजी खाते थे। मछली को उस घर का नौकर काटता था। उसे काटने के लिए अलग पाटा था। पहले मछली को पत्थर पर पटककर मार दिया जाता था, फिर राख से मलने के बाद पाटा पर रखकर चाकू से काटा जाता था।
उत्तर- पिताजी नरेन से नाराज थे क्योंकि बच्चे मछलियों के चलते स्वयं परेशान रहे साथ ही भग्गू को भी परेशान किया। पिताजी इन हरकतों के कारण नाराज हुए।
उत्तर- 'मछली’'शीर्षक कहानी में एक किशोर की स्मृतियाँ, दृष्टिकोण और समस्याएँ दर्शायी गई हैं। मछलियों के माध्यम से मूक रहकर प्राणांत को स्वीकार लेना ही लाचार, शोषित, पीड़ित जनों की नियति है, बताया गया है। जीवन क्षणभंगुर है। कल्पनाएँ क्षणिक हैं एवं स्वप्न कभी भी बिखर सकते हैं। बालसुलभ मनोभाव मछलियों के इर्द-गिई घूमते हैं।
उत्तर- संतू मानवीय गुणों को उजागर करता है । मानव में सेवा, परमार्थ, ममता जैसे गुण विद्यमान होते हैं। परन्तु आज मानव अपने आदर्श को भूलकर, इन गुणों को त्यागकर, स्वार्थ में अंधा होकर विवश और लाचार की मदद में नहीं बल्कि शोषण में लिप्त है। मूक मछलियों को निर्ममतापूर्वक काटते देख संतू उसकी रक्षा को आतुर हो उठता है और उसे बचाने हेतु झपट कर भग्गू के सामने से मछली को लेकर भाग जाता है। इस विरोध का मतलब है कि आज नि:स्वार्थ भाव से बेबस, लाचार, शोषित, पीड़ित जनों की रक्षा, उत्थान एवं कल्याण के लिए अग्रसर होना परमावश्यक है।
उत्तर- प्रस्तुत कहानी में मध्यम वर्गीय परिवार की यथार्थ झलक है । दीदी घर की चहारदीवारी के बीच कठपुतली बन कर रहने वाली एक बाला है। लिंग-भेंद परिवार में निहित है। पिता की ओर से स्वतंत्रता नहीं है जिसके चलते घर में ही रहकर समय व्यतीत करती है। वह समाज की रूढ़िवादिता के बीच मूक रहकर लाचार, बेबस एवं निर्ममतापूर्वक प्रहार को सहन करने वाली कन्या है।
उत्तर- प्रस्तुत कहानी 'मछली' हमारी पाठ्य पुस्तक गोधूलि की है। इसे विनोद कुमार शुक्ल ने लिखा है। यह कहानी एक छोटे शहर के निम्न मध्यवर्गीय परिवार के भीतर के वातावरण, जीवन यथार्थ और संबंधों को आलोकित करती हुई लिंग-भेद की समस्या को भी स्पर्श करती है। लेखक के पिताजी दोनों भाइयों को लेकर मछली खरीदने जाते हैं। मछली खरीदकर दोनों को घर भेज देते हैं। वे दोनों छोटे रास्ते से घर आते हैं। बारिश भी होने लगती है। वे मछली को बचाना चाहते थे इसलिए झोले का मुँह खोलकर उसमें पानी भरना चाहते हैं, उन्हें लगता है कि मछली भाग जाएगी। झोला को कसकर पकड़े हुए घर आते हैं। घर आकर छोटा भाई अपनी बहन के पास जाता है वह झिरकी देती है परन्तु प्यार से फिर पानी पोंछकर साफ कपड़े पहना देती है। लेखक मछलियों को आधा बाल्टी पानी में डाल देते हैं।
लेखक का नौकर मछली काटने की तैयारी करता है। लेखक दोनों भाई मछली की आँखों में परछाई देखना चाहते हैं क्योंकि उनकी दीदी ने उन्हें बताया था कि मरी हुई मछली की आँख में परछाईं दिखाई नहीं देती है। इसलिए वे स्वयं परखना चाहते थे । लेखक का नौकर भग्गू मछली काटने लगता है। उसी समय लेखक का छोटा भाई संतू एक जिंदा मछली तौलिए में लेकर कुँए के पास भागता है क्योंकि वह उसे बड़ी करके उसके साथ खेलना चाहता है उसे जिंदगी देना चाहता है परन्तु भग्गू मछली पकड़ कर काट देता है।
लेखक की दीदी शायद नरेन नामक लड़के से प्रेम करती है, वह उससे मिलना चाहती है। शायद आज वह आनेवाला भी है परन्तु लेखक के पिता नहीं चाहते हैं कि वह उससे मिले। इसलिए दीदी को मारते हैं। वे नौकर को यह भी आदेश देते हैं कि जब नरेन यहाँ आए तो वह उसे पीटे । दीदी रो रही है। मछली और दीदी की जिन्दगी एक-सी लगती है। इस प्रकार यह कहानी मानव में सेवा तथा ममता जैसे गुणों को भी दर्शाया गया है तो दूसरी ओर कुछ मानव अपने आदर्श और गुणों को त्यागकर स्वार्थी तथा शोषित हो गए है।
उत्तर- प्रस्तुत पंक्ति विनोद कुमार शुक्ल के 'मछली' शीर्षक की है । प्रस्तुत पंक्ति में बच्चों का मछली की रक्षा के लिए सजगता परिलक्षित होता है।
बच्चे की हार्दिक इच्छा थी कि हम मछली को मरने नहीं देंगे बल्कि जीवित अवस्था में रहने के लिए कुओं में डाल देंगे। इसके लिए पिताजी से एक मछली माँगने का इंतजार कर रहे थे। जबतक पिताजी नहीं आ जाते तब तक कुआँ में डालना नहीं था। इसलिए उसे बाल्टी में रखना अनिवार्य था। उन्हें डर था कि बाल्टी भरी होगी तो मछलियाँ बाहर जमीन पर कूद जायेंगी। इसलिए भरी बाल्टी आधा कर के उसमें मछलियों को रखा गया।
उत्तर- प्रस्तुत पंक्ति विनोद कुमार शुक्ल की रचना 'मछली' की है। बच्चे मछलियों को परखना चाहते थे कि इनमें जीवित कौन है और मृत कौन?
दीदी ने बताया था कि मरी हुई मछली की आँखों में मनुष्य की परछाईं दिखाई नहीं देती है। मछली में अपनी छाया देखने का तात्पर्य है अपने समान मछली को भी समझना, उससे आत्मीय स्नेह स्थापित करना ही निकट से देखना कहा गया है।