Hindi Subjective (Guess)

Bihar Board Class 10th

गोधूलि भाग-2 & वर्णिक| सेट-1

लघु एवं दीर्घ प्रश्नोत्तर

हिन्दी

प्रश्न-1. "दही वाली मंगम्मा" शीर्षक कहानी का सारांश प्रस्तुत करें।

उत्तर- "दही वाली मंगम्मा" शीर्षक कहानी श्रीनिवास द्वारा रचित किया गया है। यह कहानी कन्नड भाषा से ली गई है। इस कहानी में परिवार में कुल चार सदस्य है— मंगम्मा, उसका बेटा, उसकी बहू तथा उसका नन्हा-सा पोता। मंगम्मा दिन-भर घूम कर दही बेचने का काम करती है। एक दिन उसके नन्हे पोते को उसकी बहू खूब पिटाई कर देती है। यह देखकर जब मंगम्मा उसको मना करती है तथा अपनी बहू को जब इस बात के लिए बोलती है, तो उल्टे उसकी बहू अपनी सास मंगम्मा से लड़ने लगती है। छोटी-सी बात को लेकर लड़ाई इतनी अधिक हो जाती है कि उसका बेटा और बहू मंगम्मा से अलग हो जाते है।

परिवार बॅंट जाने के बाद मंगम्मा अकेली हो जाती है। पहले मंगम्मा के साथ उसका बेटा, बहू तथा पोता साथ थे तो वह उनके बारे में सोचती थी और अपने पैसे उनमें खर्च करती थी। अब वह दिन-भर दही बेचने के बाद पैसे एकत्र करती है। वह पूरे पैसे की मालकिन है लेकिन वह सोचती है कि ऐसे मालकिन बनने से क्या फायदा जब उसके साथ कोई नहीं है। मंगम्मा जब अकेली हो जाती है, तो रंगप्पा नामक जुआरी आदमी उसके पीछे पड़ जाता है। वह मंगम्मा से उधार पैसे माँगता है और उसके करीब आना चाहता है। अतः मंगम्मा को यह महसूस होता है कि अकेले होने के कारण उसको यह समस्या झेलनी पड़ रही है।

दूसरी तरह मंगम्मा की बहू और बेटा ये दोनों जानते है कि मंगम्मा के पास अधिक मात्रा में धन भी है तथा वे ये भी चाहते है कि मंगम्मा बारी से दही बेचने का दायित्व उसकी बहू नंजम्मा को सौंप दें। अतः मंगम्मा के बेटा और बहू अपने नन्हें पुत्र को उसकी दादी के पास भेजते है। दादी अपने पोते को पाकर निहाल हो जाती है। इस प्रकार उनकी दूरी नजदीकी में बदलने लगती है और धीरे-धीरे वे एक दूसरे से मिल जाते है। इस प्रकार उनका बिखरा हुआ परिवार पुनः एक हो जाता है।

प्रश्न-2. रंगप्पा कौन था? वह मंगम्मा से क्या चाहता था?

उत्तर- रंगप्पा, मंगम्मा के गाँव का रहने वाला आदमी था। वह एक जुआरी था। वह मंगम्मा से कर्ज लेना चाहता था तथा उसके करीब आना चाहता था।

प्रश्न-3. मंगम्मा का अपनी बहू के साथ किस बात को लेकर विवाद था?

उत्तर- मंगम्मा की बहू जब उसके नन्हें से पोते को छोटी-सी गलती पर पिटती है, तो मंगम्मा गुस्सा होकर राक्षसी शब्द का प्रयोग करके अपनी बहू को डाँटती है। इस बात को लेकर उसकी बहू भी मंगम्मा से झगड़ा कर लेती है। इस प्रकार मंगम्मा के छोटे से पोते की बात को लेकर उनके बीच विवाद था।

प्रश्न-4. मंगम्मा की बहू ने विवाद निपटाने में पहल क्यों की?

उत्तर- मंगम्मा की बहू को डर था कि उसकी सास मंगम्मा सारे पैसे रंगप्पा को ना दे दे। इसके अतिरिक्त वह जानती थी कि उसकी सास के पास बहुत पैसे है तथा दही बेचने का काम आगे चलकर वह खुद लेना चाहती थी ताकि उसका परिवार आसानी से चल सकें। इसलिए मंगम्मा की बहू विवाद निपटाने में पहल की।

प्रश्न-5. मंगम्मा का कहानीकार की माँ (माँजी) के साथ कैसा संबंध था?

उत्तर- मंगम्मा को दही बेचने कहानीकार के माँ के मुहल्ले से ही होकर आना-जाना पड़ता था। अतः वह आते समय और दही बेचने के बाद मंगम्मा माँजी के पास आकर बैठती थी और मंगम्मा अपनी सुख-दुख की बाते माँजी से करती थी। इस प्रकार वे दोनों आपस में घुल-मिल गए थे और दोनों में घनिष्ठता हो गई थी।

प्रश्न-6. बारी किसे कहते है? माँजी ने मंगम्मा को उसके अंधविश्वास के बारे में क्या समझाया?

उत्तर- शहरों में रोज आकर दही देना और महीने के बाद पैसे लेने को बारी कहते है।

माँजी ने मंगम्मा को समझाया कि अंधविश्वास में जीना पागलपन है। अंधविश्वास काल्पनिक होता है, उनमें वास्तविकता नहीं होती है। अतः तुमको लोक प्रचलित धारणाओं से नहीं डरना चाहिए और अपना काम किसी से बिना डरे हँसते-हँसते करना चाहिए।

प्रश्न-7. "ढहते विश्वास" शीर्षक कहानी का सारांश प्रस्तुत करें।

उत्तर- "ढहते विश्वास" शीर्षक कहानी सातकोड़ी होता द्वारा रचित किया गया है। यह कहानी उड़िया भाषा से ली गई है। इस कहानी की प्रमुख पात्र लक्ष्मी थी जिसका घर देवी नदी के बाँध के नीचे था। उसका पति लक्ष्मण कलकत्ता कमाने गया था। उसका पति लक्ष्मी को जो भी कुछ भेजता, उससे उसका गुजारा नहीं हो पाता था जिसके कारण लक्ष्मी तहसीलदार साहब के घर कुछ काम करके थोड़े पैसे कमा लेती थी। तूफान आने के कारण उसका घर टूट गया। उसके बाद उसने इधर-उधर से कर्ज माँग कर किसी तरह बाँस बाँधकर तथा पुआल का छाजन बना ली थी।

इस तूफान के बाद भयंकर सुखा पड़ गया जिससे उसकी धान की फसल जलकर राख हो गई। इस घटना के बाद लगातार एक महीने तक बारिश होती रही। इतनी अधिक बारिश होने के कारण पानी भर जाने से नदी का बाँध टूट गया। बाँध टूट जाने से सारा गाँव डूबने लगा। सभी लोग टीले की ओर भागे तथा कुछ लोगों ने स्कूल में शरण ली। लक्ष्मी भी अपनी दो लड़कियों तथा एक छोटे बच्चे को गोद में लेकर टीले की ओर भागी। पानी का बहाव तेज होने के कारण वह अपनी लड़कियों को स्कूल की तरफ जाने को कहा क्योंकि स्कूल टीले से नजदीक था।

उसकी लड़कियाँ स्कूल तक पहुँच गई लेकिन लक्ष्मी पानी में फँस गई। पानी लगातार तेजी से बढ़ रहा था। लक्ष्मी, शिव मंदिर के पास वाले बरगद की जटा को जोर से पकड़ ली और उसके सहारे पेड़ पर चढ़ गई। लक्ष्मी कुछ देर बाद बेहोश हो गई। होश आने पर लक्ष्मी ने देखा कि उसका नन्हा बच्चा उसकी गोद में नहीं है। नदी की धारा में डूबी पेड़ के बीच उसे एक बच्चे की लाश दिखाई पड़ी। उसने जटा से झूलते हुए उस बच्चे को पकड़ा लेकिन वह उसका नन्हा बेटा नहीं था फिर भी उसेअपने सीने से सटाकर अपनी गोद में भर लेती है।

प्रश्न-8. लक्ष्मी का चरित्र-चित्रण अर्थात् उसके व्यक्तित्व पर प्रकाश डालें।

उत्तर- लक्ष्मी एक भारतीय गृहिणी है। वह अपने जीवन में कर्म को अधिक महत्व देती है। लक्ष्मी ममतामयी माँ, कर्मठ तथा सामाजिक चेतना से परिपूर्ण है। वह विपतियों में भी नहीं घबराती है। वह टूटना नहीं जानती है। वह बगैर टूटे अच्छे दिनों की प्रतीक्षा करती है। वह स्वयं मेहनत करती है और अपने बच्चे को भी मेहनत करना सिखाती है। लक्ष्मी के पति का नाम लक्ष्मण है जो कलकत्ता कमाने गया है और वह अपने बच्चों के साथ बिना पति के साथ होते हुए भी अपनी गृहस्थी को संभालती है। जब उसके पति द्वारा भेजे गए पैसों से उसका गुजारा नहीं होता है, तो वह तहसीलदार साहब के यहाँ छिटपुट काम करके कुछ पैसे अर्जित करती है तथा अपनी और अपने बच्चों का पालन-पोषण करती है। वह मेहनत करके अपनी दो लड़कियों और दो लड़कों का पालन-पोषण करती है। उसके सामने बहुत सारी विपत्तियाँ आती है फिर भी उन विपत्तियों से बिना घबराये उनका सामना करती हैं।

प्रश्न-9. "माँ" शीर्षक कहानी का सारांश प्रस्तुत करें।

उत्तर- "माँ" शीर्षक कहानी ईश्वर पेटलीकर द्वारा रचित किया गया है। यह कहानी गुजराती भाषा से ली गई है। इस कहानी में कहानीकार ईश्वर पेटलीकर ने अपने संतान के प्रति माँ की ममता का मार्मिक चित्रण किया गया है। इस कहानी में मंगु जन्म से पागल और गूँगी है। पड़ोस के लोग मंगु की माँ को सलाह देते है कि वह उसे पागलों के अस्पताल में भर्ती करा दें। इस बात को सुनकर माँ की आँखों में आँसू आ जाते है। वह लोगों को जवाब देती है कि मैं माँ होकर अपनी बेटी की सेवा नहीं कर सकती तो अस्पताल वाले मेरी बेटी की सेवा क्या करेंगे? मंगु की माँ की आत्मा उसको अस्पताल भेजने को तैयार नहीं है। उसके लिए मंगु को अस्पताल भेजना उसे मौत के मुँह के धकेलने के बराबर है। मंगु की माँ चाहती है कि उसकी बेटी मंगु घर पर रहे और उसका उपचार घर पर ही हो।

गाँव की एक लड़की जिसका नाम कुसुम है जो पागल थी। उसे अस्पताल में भर्ती कराया जाता है और तीन महीने अस्पताल में रहने के बाद वह पूर्ण स्वस्थ होकर घर आ जाती है। सभी गाँव के लोग उसे देखने आते है। मंगु की माँ भी कुसुम को देखने आती है। माँ को यह आश्चर्य होता है कि जब कुसुम उनसे कहती है कि अस्पताल में डॉक्टर तथा नर्स द्वारा पागल मरीजों का बहुत ध्यान रखा जाता है। यह बात जानकर अस्पताल के संबंध में उनकी बुरी सोच बदल जाती है और अब वह यह सोचती है कि वह अपनी बेटी को भी अस्पताल में भरती करवाके उसे ठीक करेगी। यह सोचकर मंगु की माँ अपने बड़े पुत्र को घर आने का पत्र लिखवाती है।

जब उसका बड़ा पुत्र घर आता है और जब मंगु को भरती कराने अस्पताल ले जाता है, तो यह देखकर माँ का हृदय अपनी बेटी के लिए रो उठता है और वह अपनी बेटी के लिए रोने लगती है। यह देखकर सभी लोग माँ को यह दिलासा देते है कि मंगु को अस्पताल में किसी भी तरह की तकलीफ नहीं होगी। वे लोग मंगु का अच्छी तरह इलाज करेंगे तथा उसका ख्याल रखेंगे। इस प्रकार इस कहानी के द्वारा माँ को अपने संतान के प्रति ममतामयी चित्रण को दर्शाया गया है।

प्रश्न-10. "नगर" शीर्षक कहानी का सारांश प्रस्तुत करें।

उत्तर- "नगर" शीर्षक कहानी सुजाता द्वारा रचित किया गया है। यह कहानी तमिल भाषा से ली गई है। इस कहानी में नगर की संवेदनहीनता का चित्रण किया गया है। इस कहानी में नगर में स्थित सरकारी अस्पताल की संवेदनहीनता और औपचारिकताओं से परेशान होकर एक अनपढ़ ग्रामीण स्त्री अपनी बेटी का इलाज कराये बिना अपने घर लौटने में ही अपनी कुशलता समझती है और विवश होकर गाँव की पारंपरिक इलाज और भगवान पर आश्रित हो जाती है।

इस कहानी में वल्लि अम्माल बारह वर्ष की लड़की पाप्पति की माँ है। एक दिन पाप्पति को बहुत तेज बुखार हो जाता है। वल्लि अम्माल उसे गाँव के प्राथमिक स्वस्थ्य केंद्र पर ले जाती है। वहाँ के डॉक्टर उसे बीमारी को लेकर डरा देते है और जल्द ही उसे शहर के अस्पताल में ले जाने को कहते है। वल्लि अम्माल जल्द ही अपनी बेटी को मदुरै स्थित बड़े अस्पताल में ले जाती है। पाप्पति को स्ट्रेचर पर लिटा कर छः डॉक्टर उसे घेरकर देखते है। उसमें बड़े डॉक्टर उसका परीक्षण करके अपना निर्णय सुनाते है कि इस रोगी को घोर मेनिनजाइटिस हो गया है। बड़े डॉक्टर ने डॉ० धनशेखरन से कहा कि इस रोगी की देखभाल मैं स्वयं करूँगा। अतः इस रोगी को आप अस्पताल में एडमिट करवा दीजिए।

डॉ० धनशेखरन ने यह भार डॉ० श्रीनिवासन पर टाल दिया। श्रीनिवासन ने वल्लि अम्माल (वल्लियम्मा) के हाथ में एक चिट थमा दी। वल्लि अम्माल उस चिट को लेकर यहाँ-वहाँ भटकती रही। उसे 48 नंबर वाले कमरे में जाना था। बहुत देर तक यहाँ-वहाँ भटकने पर उसे 48 नंबर का कमरा तो मिल गया लेकिन वहाँ पर बैठे एक बाबू ने कहा कि चिट पर लिखा है कि रोगी को एडमिट किया जाए लेकिन तुम कल अपने रोगी को सुबह ठीक साढ़े सात बजे लेकर आ जाना क्योंकि इस समय जगह नहीं है। इस बात को सुनकर वल्लि अम्माल चिंतित हो उठी क्योंकि कमरे खोजने के चक्कर में अपनी बेटी पाप्पति को डेढ़ घंटे से अकेले छोड़ कर आयी थी। वह अपनी बेटी को इतने बड़े अस्पताल में नहीं ढूंढ पा रही थी क्योंकि वह अस्पताल में बार-बार रास्ता भटक जाती थी। अपनी बेटी के लिए वल्लि अम्माल बेचैन हो उठी।

बहुत ढूँढने के बाद वल्लि अम्माल को उसकी बेटी पाप्पति मिली। उसने अपनी बेटी को अपनी छाती से लगाया और उसे अस्पताल से लेकर अपने गाँव चली आयी। उसने अपने मन में तय किया कि इतने बड़े अस्पताल के चक्कर में पड़ना बेकार है। इससे अच्छा है कि मैं अपनी बेटी को वैधजी से दिखा दूँगी, ओझा से झाड़-फूँक करवा दूँगी या खड़िया मिट्टी से लेप करवा दूँगी जिससे मेरी बेटी ठीक हो जाएगी। जब मेरी बेटी ठीक हो जाएगी तो वैदीश्वरनजी के मंदिर में जाकर दोनों हाथों में रेजगारी भर कर भगवान को भेंट करूँगी। ये सभी बातें वल्लि अम्माल लौटते वक्त रास्ते में सोच रही थी और इधर अस्पताल में डॉक्टर वल्लि अम्माल को ढूँढ रहे थे।

प्रश्न-11. "धरती कब तक घूमेगी" शीर्षक कहानी का सारांश प्रस्तुत करें।

उत्तर- "धरती कब तक घूमेगी" शीर्षक कहानी साॅंवर दइया द्वारा रचित किया गया है। यह कहानी राजस्थानी भाषा से ली गई है। इस कहानी में सीता और उसके तीन बेटे है। सीता के पति जब तक जीवित थे तब तक सब कुछ ठीक था। घर, घर के जैसा प्रतीत होता था। आँगन में खेलते-झगड़ते बच्चों की आवाजें बहुत ही सुखद प्रतीत होती थी। उसके तीनों बेटों में अपनापन का मधुर भाव था पर उसके पति के मरने के बाद सब कुछ बदल चुका है। सीता अपने बेटों पर आश्रित हो गई है। उसे दो जून की रोटी तो मिलती है लेकिन उसकी सभी आवश्यकताएँ पूरी नहीं हो पाती है। रोटी के अलावा भी जीवन में कुछ लालसाएँ होती है। यदि वें पूरी ना हो, तो जीवन का कोई अर्थ नहीं है।

सीता के तीन बेटे और बहुएँ है तथा पोते-पोतियाँ है। इन सबों के होने के बावजूद उसके जीवन में कोई र्स नहीं है। उसके तथा बेटों के बीच मधुर भाव और प्यार समाप्त हो चुका है। कोई बेटा उसके पास बैठ कर उसका हाल-चाल नहीं लेता। उसके तीनों बेटे कैलाश, नारायण और बिज्जू यह निर्णय लेते है कि वे बारी-बारी से माँ को अपने साथ एक-एक महीने के लिए रखेंगे। इस निर्णय के लिए उसके बेटों ने उसकी माँ से कोई राय भी नहीं लियें। माँ (सीता) एक के बाद दूसरे और दूसरे के बाद तीसरे बेटे के हिस्से में लुढ़कने लगती है। जब बेटे का हिस्सा बदलता है, तो पोता-पोती खुश हो जाते है कि हम दादी के साथ खेलेंगे और खायेंगे, पर हिस्से वाली बहू दुखी हो जाती है। उनके लिए सीता माँ ना हो कर आफत हो जाती है।

ऐसे करते करते पाँच वर्ष बीत चुके है। सीता को इन पाँच वर्षों में कभी सुख नसीब नहीं हुआ। माँ की रोटी का ढंग पुनः बदल दिया जाता है। तीनों पुत्र माँ को प्रति माह 50-50 रुपये देने को राजी होते है ताकि माँ अपनी रोटी बनाएगी और सुख-चैन से रहेगी और हम भी सुख-चैन से रहेंगे। बेटों के इस निर्णय से माँ के अंदर आँसुओं का समुंद्र भर जाता है। इस बात से सुखी होकर सीता अगले दिन घर से निकल जाती है। घर से निकलने के बाद उसको ऐसा लगता है कि अब उसकी आँखों के सामने कोई अंधेरा नहीं है। अब उसके चारों ओर खुली हवा है। अब वह हर बंधन से मुक्त है। अब वह दो जून की रोटी के लिए अलग-अलग बेटों के घर के चक्कर नहीं काटना पड़ेगा और अपनी बहुओं का ताना नहीं सुनना पड़ेगा।

प्रश्न-12. "धरती कब तक घूमेगी" कहानी के शीर्षक की सार्थकता बतायें।

उत्तर- "धरती कब तक घूमेगी" कहानी का शीर्षक सार्थक और सटीक है। जिस तरह धरती सूर्य के चारों-ओर घूमती रहती है, उसी तरह सीता अपने बेटों के घर पर तथा उनकी बहुओं के चारों-ओर घूमती रहती है। लेकिन एक दिन सीमा पार करने के बाद वह अपने बेटों के यहाँ चक्कर लगाना अस्वीकार कर देती है तथा अपने बेटों और बहुओं से अपमानित होने के कारण घर छोड़कर चली जाती है। अतः यह कहानी यह स्पष्ट करता है कि आखिर धरती (सीता माँ) कब तक घूमेंगी? वह भी अपने बेटों से अपमानित होकर।

प्रश्न-13. वल्लि अम्माल अस्पताल में वापस लौटने का रास्ता नहीं पा सकी, क्यों?

उत्तर- वल्लि अम्माल अपनी बेटी पाप्पति को पहली बार बड़े अस्पताल में ले आयी थी। वह पढ़ी-लिखी नहीं थी कि वह अस्पताल में लिखी गयी सूचनाओं को पढ़ सके। उसके लिए अस्पताल के सभी कमरे एक जैसे लगते थे। इसलिए वल्लि अम्माल अस्पताल में वापस लौटने का रास्ता नहीं पा सकी।

प्रश्न-14. बड़े डॉक्टर को जब यह मालूम हुआ कि पाप्पति की भर्ती अस्पताल में नहीं हुई है, तब इस पर उनकी कैसी प्रतिक्रिया हुई?

उत्तर- जब बड़े डॉक्टर साहब को यह मालूम हुआ कि पाप्पति की भर्ती अस्पताल में नहीं हुई है, तो वे झल्ला उठे। उनको जब यह भी मालूम हुआ कि स्वामी ने पाप्पति की माँ को कल सुबह साढ़े सात बजे बुलाया है, तब उनका गुस्सा और भी बढ़ गया। उन्होंने गुस्से में कहा कि इतनी देर में तो वह लड़की मर जाएगी। यदि तुमलोगों के वार्ड में कोई बेड खाली नहीं है, तो हमारे विभाग के वार्ड में जो बेड खाली है, उसे जल्दी से दिलवा दीजिए।

प्रश्न-15. पाप्पति कौन थी और वह शहर क्यों लायी गई थी?

उत्तर- पाप्पति मूनांडिप्पट्टि गाँव की रहने वाली थी। वह वल्लि अम्माल की बारह वर्षीय पुत्री थी। उसकी तबीयत बहुत अधिक खराब हो गई थी इसलिए उसको बड़े अस्पताल में दिखाने के लिए शहर लायी गई थी।

प्रश्न-16. बहुओं की आपसी लड़ाई पर सीता (माँ) की कैसी प्रतिक्रिया होती है?

उत्तर- बहुओं की आपसी लड़ाई से सीता परेशान हो उठती है। जब बहुएँ आपस में लड़ती है, तो वे अपनी सास सीता को लड़ाई में घसीट लेती है। वे एक-दूसरे से कहती है— पूछ लो! सास जी तो वही थी। अब सीता किसका पक्ष ले? बहुओं की प्रतिदिन की लड़ाई से तंग आ चुकी है। वह इस अशांत माहौल में जीना नहीं चाहती है, पर वह करे तो क्या करे?

प्रश्न-17. माँ हर माह इधर-उधर न लुढ़कती रहे— इसके लिए कैलाश ने कौन-सा उपाय ढूँढा? माँ की इस पर क्या प्रतिक्रिया हुई?

उत्तर- माँ हर माह इधर-उधर ना लुढ़कती रहे, इसके लिए बड़े पुत्र कैलाश ने एक उपाय ढूँढा। उसने बोला कि हम तीनों भाई माँ को पचास-पचास रुपये हर महीने दे दिया करेंगे। उनको अपना गुजारा करने के लिए डेढ़-सौ रुपये काफी है। माँ को जब यह बात मालूम हुआ तो उसकी आँखों के सामने अंधेरा छा गया। उनकी आखों में आसू भर आए। उसने अपने बेटों द्वारा 50-50 रुपये प्रतिमाह देने के निर्णय को अपने स्वाभिमान के विरुद्ध माना। वह कोई मजदूरिन नहीं थी कि उनसे वह महीने में रुपये ले। अतः इस बात से उसने अपने बेटों का घर छोड़ देने का निर्णय लिया।

प्रश्न-18. माँ का चरित्र-चित्रण करें।

उत्तर- माँ बहुत ही ममतामयी है। अपनी बेटी के पागल और गूँगी होने के बाद भी वह उससे बहुत अधिक प्यार करती है। वह अपनी बेटी को अपने से अलग नहीं होने देना चाहती है। माँ का प्रेम अपनी संतान के प्रति निश्छल और निःस्वार्थ है। उसे अपनी पागल और गूँगी मंगु के प्रति काफी स्नेह भाव है।

प्रश्न-19. "माँ" कहानी के शीर्षक की सार्थकता पर विचार करें।

उत्तर- "माँ" शीर्षक कहानी में शुरू से अंत तक संतान के प्रति माँ के प्रेम को दर्शाया गया है। इस कहानी की मुख्य पात्र मंगु की माँ है, जो अपनी निश्छल और निःस्वार्थ प्रेम को पूरी कहानी में दर्शाती है। माँ का जो स्वरूप अपनी संतान के प्रति होता है, वही स्वरूप इस कहानी में दर्शाया गया है। इस कहानी में यह दर्शाया गया है कि संतान कैसी भी हो, वह अपनी माँ के सबसे प्यारा होता है। वह अपनी संतान को किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं देख सकती है।