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नवपाषाणम
ब्रहमांड की दुर्लभतम वस्तुओ में से एक है । इसको धारण करने वाले जातक को तीव्र अध्यात्मिक अनुभव प्राप्त होते है। नवपाषाणम से विशेष प्रकार की प्रबल उर्जा तरंगे निकलती है जिसे कुछ ख़ास उपकरणों से नापा जा सकता है।
संत बोगर ने बताया की प्रकृति में 32 प्रकार के प्राकृतिक विष (औषधि) एवं 32 प्रकार के संश्लेषित विष (औषधि) पाए जाते हैं. इनमे से किन्ही 9 को मिलाकर नवपाषाणम का निर्माण किया जा सकता है. उन्होंने स्वयं एक विग्रह का निर्माण करके दक्षिण भारत के पलानी में स्थापित किया. जहाँ सदियों से लोग उसके दिव्य गुणों का लाभ उठा रहे हैं. गोरक्ष संहिता में इन्ही तत्वों के द्वारा नवपाषाणम का निर्माण करने हेतु 9 दिव्य रत्नों का वर्णन किया गया. इन तत्वों को एक साथ मिलाकर पारद से सायुज्जिकरण करके दिव्य जड़ी बूटियों के रस से एकाकार कर किया जाता है। और इस प्रकार नवपाषाणम का निर्माण होता हैं.
इसमें जिन 9 दिव्य रत्नों का इस्तमाल किया जाता है वो है :-
1. गुलाबी स्फटिक (Pink Crytstal )
यह रत्न बहुत ही सकरात्मक ऊर्जा का प्रतीक है और ब्रह्माण्डीय ऊर्जा से संपन्न है। यह हमारे स्नायु तंत्र पर बहुत ही सकारात्मक असर दिखाता है जिससे वो और ज्यादा क्रियाशील और उर्जावान हो जाता है। यह हमारे मानस को शान्ति एवं शीतलता देता है। यह परिवार में प्रेम की बढ़ोत्तरी करता है एवं तनाव को दूर करता है।
2. लाजवर्त (Lapis Lazuli )
3. जंगली माणिक ( Jungle Ruby )
4. मोती (Pearl )
5. हरिताश्म (Jade Stone )
6. नीलपाषाण रत्न (Kyanite Clearstone )
7. दुर्लभ हरा स्फटिक ( Green Aventurine)
8. दुर्लभ सल्फर कॉपर स्फटिक (Sulphur Stone Copper )
9. प्राकृतिक ताम्र सत्व ( Natural Copper)
यह सभी 9 रत्न पारद के साथ मिलकर दिव्य नवपाषाणम का निर्माण करते है।
नवपाषाणम के लाभ :-
1. नवपाषाणम अत्यधिक शक्तिशाली एवं उर्जात्मक है । उपरोक्त 9 रत्नों के सभी लाभ इस गुटिका में समाहित हो जाते है।
2. नवपाषाणम नवग्रह के सभी दोष दूर कर पूर्ण सकरात्मक ऊर्जा प्रदान करती है।
3. नवपाषाणम आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाती है और चक्रो को स्पंदित करती है। इससे कुंडलिनी का जागरण होता है।
4. नवपाषाणम गुटिका मुख में धारण करने से सभी रोगों को नाश होता है और स्वस्थ शरीर की प्राप्ति होती है।
5. नवपाषाणम धारण करने से किसी भी तंत्र मंत्र या काला जादू का प्रयोग काम नही कर पाता। यह पूर्ण रूप से सुरक्षा प्रदान करती है।
6. नवपाषाणम धारण करने से टेलीपैथी, वशीकरण, उच्च योनियों से संपर्क, स्वास्थ्य शरीर आदि स्वतः प्राप्त हो जाते है।
7. गोरक्ष संहिता के अनुसार इसके धारण करने से कुंडली के मंगल दोष, पितृ दोष , काल द्रमुक दोष , काल सर्प दोष और बहुत से दोष दूर हो जाते है।
8. नवपाषाणम धारण से पूर्ण सकरात्मक ऊर्जा, तीव्र मस्तिष्क , स्वस्थ शरीर की प्राप्ति होती है।
9. यह साधना में विशेष रूप से फलदायी है और इच्छाओं और सफलता की प्राप्ति करती है।
अंत मे यही कहा जा सकता है कि इसको धारण और प्राप्त करना पूर्ण सौभाग्य को जागृत कर हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करना है।
नवपाषाणम के द्वारा गुटिका, माला, शिवलिंग एवं श्रीयंत्र आदि विग्रह बना कर इसको धारण अथवा स्थापन करके पूजन किया जा सकता है.