No Cost EMI Offer
भारतवर्ष में प्राचीन काल से ही सभी ऊर्जावान देवस्थलों की ऊर्जा का मुख्य स्रोत रहा है वहां स्थापित अष्टधातु से निर्मित विग्रह। भगवान विष्णु और उनके विभिन्न स्वरूपों जैसे श्रीकृष्ण, नरसिंह भगवान, श्रीराम आदि के विग्रह, मूर्तियाँ अष्टधातु की बनी होती थीं जिनको आज भी प्रसिद्द देवस्थलों या म्युजियमों में देखा जा सकता है.
आठ धातुओं यानि सोना, चाँदी, तांबा, रांगा, जस्ता, सीसा, लोहा, तथा पारा (रस) से मिलकर बना होता है । दीर्घ अनुसन्धान के बाद Dhumra Gems ने अपनी प्रयोगशाला में पूर्ण शास्त्रों में वर्णित विधि से अष्टधातु का निर्माण किया है. अब आप भी शुद्ध अष्टधातु से निर्मित विग्रह को अपने पूजा स्थल में स्थापित करने का सौभाग्य प्राप्त कर सकते हैं.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर धातु में ऊर्जा निहित होती है. धातु अगर सही समय में और ग्रहों की सही स्थिति को देखकर धारण किये जाएं तो इनका सकारात्मक प्रभाव प्राप्त होता है अन्यथा धातु विपरीत प्रभाव भी देते हैं |
1. यदि आप अष्टधातु से बनी कोई भी वस्तु प्रयोग करते हैं अथवा घर में स्थापित करते हैं तो आप सभी नौ ग्रहो से होने वाली पीड़ा को शांत कर सकते हैं
2. अष्टधातु का मुनष्य के स्वास्थ्य से गहरा सम्बंध है यह हृदय को भी बल देता है एवं मनुष्य की अनेक प्रकार की बीमारियों का निवारण करता है। अष्टधातु की अंगूठी या कड़ा धारण करने पर यह मानसिक तनाव को दूर कर मन में शान्ति लाता है। यही नहीं, यह वात पित्त कफ का इस प्रकार सामंजस्य करता हैं कि बीमारियां कम होकर स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव होता है।
3. अष्टधातु मस्तिष्क पर भी गहरा प्रभाव डालता है | अष्टधातु पहनने से व्यक्ति में तीव्र एवं सही निर्णय लेने की क्षमता बढ़ जाती है। धीरे-धीरे सम्पन्नता में वृद्धि होती है।
Ashtadhatu or Eight Metals, It is an alloy which is used in the formation of Hindu and Jain statues. The eight metals that are manufactured in it are – Gold, Silver, Copper, Lead, Zinc, Tin, Iron, and Mercury (Ras). And the quantity of all the Metals should be the same.