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उत्पत्ति से प्रकाशितवाक्य के पुस्तकों का सारांश
उत्पत्ति
(Genesis) Posted on 25 Oct 2023
उत्पत्ति
(Genesis)
आसानी से समझने के लिये पुस्तक का सारांश (अवलोकन)
1. उत्पत्ति की पुस्तक को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। ’उत्पत्ति’ की पुस्तक, बाइबल की अन्य पुस्तको के लिये स्वयं एक परिचय है।
2. प्रथम पुरुष, स्त्री, विवाह, जन्म, मृत्यु, वर्षा, पाप, हत्या और कई प्रथम घटनाएँ, उत्पत्ति की पुस्तक में दर्ज है।
3. इसमे 50 अध्याय हैं। उत्पत्ति को मोटे तौर पर अध्याय 1- 11 और अध्याय 12 से 50 में विभाजित किया जा सकता है।
उत्पत्ति 1 - 11 सृष्टि, पतन, बाढ़ और बाबुल के गुम्मट से संबंधित है।
4. उत्पत्ति 12- 50 चार व्यक्तियों के साथ संबंधित हैं, जैसे -अब्राहम, इसहाक, याकूब और यूसुफ।
5. हालांकि उत्पत्ति की पुस्तक मुख्य रूप से सृष्टि के लिए याद की जाती है, लेकिन सृष्टि का वर्णन केवल 2 ही अध्यायो मे पाया जाता है।
इस पुस्तक का मुख्य विषय मानव है।
6. ’वंशावली’ का विवरण सम्पूर्ण पुस्तक मे मिलता है। आदम, नूह, अब्राहम, इश्माएल, एसाव और याकूब की वंशावली के लिये निम्नलिखित पद देखें। (2:4, 6:9, 10:1, 11:27, 25:12, 25:19, 36:1)।
7. उत्पत्ति की पुस्तक में पायें जाने वाले महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं: आदम, हव्वा, कैन, हाबिल, शेत, हनोक, मल्कीसेदेक, नूह, शेम, हाम, येपेत, एबेर, तेरह, अब्राहम, सारा, लूत, हाजिरा, इश्माएल, इसहाक, रिबेका, एसाव, याकूब, लाबान, राहेल, लिआ, याकूब के बारह बेटे, दीना, पोतीफर, पिलानेहारा, फिरौन।
8. याद रखने के लिए महत्वपूर्ण स्थानः अदन, अरारात, बाबुल, उर, हारान, कनान, मिस्र, सदोम, यरदन, बेतेल, पेनीएल, शेकेम, गरार, मिस्र और गोशेन।
9. नये नियम से उत्पत्ति के कुछ कनेक्शन (टेलीस्कोपिक) उत्पत्ति 3:15, उत्पत्ति 1: 26-27 बनाम मैथ्यू 22:15- 20
समानताएं, उत्पत्ति 1:27 और 2:24 यीशु फरीसियों को जवाब देते हैं, मत्ती 11:23-24 बनाम यहून्ना 8:33-41,
अंतिम दिन, नूह के दिनो के समान होगे लूका 17:26-29
उत्पत्ति की पुस्तक की पूर्ण समीक्षा के लिए सक्राइबस को सम्पर्क करें।
By जे. गोड़विन निकलसन
अनुवादक : रविन्द्र
Scribes Publishers
(M) 91 9099408760
info@otmadeeasy.in
निर्गमन
(Exodus) Posted on 26 Oct 2023
निर्गमन (Exodus)
1. निर्गमन में 40 अध्याय हैं, जिन्हें निम्नानुसार चार भागों में विभाजित किया जा सकता है
2. अध्याय 1 - 11 (विषय: मिस्र में गुलामी)
3. अध्याय 12 - 18 (विषय: छुड़ाया जाना, मिस्र से सीनै )
4. अध्याय 19 - 24: (विषय: सीनै पर्वत, वाचा और व्यवस्था)
5.अध्याय 25 - 40 (विषय: मिलापवाला तम्बू)
6. प्रमुख घटनाएं: गुलामी, मूसा, जलती हुई झाड़ी, फिरौन, दस विपत्तियां, छुटकारा, लाल समुद्र को पार करना, पानी, मन्ना, व सीनै पर्वत पर एक लम्बे समय तक रहने का प्रबंध। दस आज्ञाएँ और अन्य कानून सीनै पर्वत पर दिए गये थे। पुराना नियम (वाचा), मिलापवाले तम्बू के संबंध में नियम।
7. पवित्रशास्त्र का एक विस्तृत भाग (अध्याय 25 से 40 ) मिलापवाले तम्बू के निर्माण से संबंधित है, (आराधना का महत्व)।
8. यह फिर से दो भागों में विभाजित है। पहला भाग (25 से 30) तम्बू के निमार्ण निर्देश के बारे में है। और दूसरा भाग (37 से 40) तम्बू के वास्तविक निर्माण का विवरण है। (यह अध्याय एक जैसी नकल लगते है।)
9.याद रखने योग्य महत्वपूर्ण व्यक्तिः धाईया - शिप्रा और पुआ, मूसा, सिप्पोरा, गेर्शोम, अम्राम व योकेबेद (मूसा के माता-पिता), मरियम, हारून, फिरौन, यित्रो, यहोशु, बसलेल और ओहोलीआब।
महत्वपूर्ण स्थान: मिस्र, मिद्यान, लाल सागर, मारा, मरीबा, एलीम, सिनै।
11. निर्गमन में केवल एक ही प्रमुख युद्ध का उल्लेख है और वह अमालेकियों के खिलाफ था। (निर्गमन 17)
12. परमेश्वर के बारे में:
मै जो हॅू सो हॅू यहोवा निस्सी यहोवा राफा
परमेश्वर छुड़ाने वाले के रूप मे।
परमेश्वर हमारे साथ निवास करता है। (मिलाप वाला तम्बू)
वाचा का परमेश्वर
चमत्कार करने वाला परमेश्वर
सबसे ऊँचा नाम (मिस्र की सभी देवीयो से बड़ा - विपत्तियों से सबक)
13. हालांकि आम तौर पर हम सोचते हैं कि निर्गमन हमें मिस्र से कनान तक की यात्रा के बारे में बताता है, लेकिन वास्तव में, निर्गमन में हम मिस्र से सीनै तक की यात्रा के बारे में ही पाते हैं।
14. लेखक: मूसा को माना जाता है। लेकिन अन्य विचार भी हैं।
15. नये नियम से कनेक्शन
~ मूसा बनाम यीशु (इब्रानियों)
~ छुटकारा और उद्धार
~ लहू की वाचा (पुराना नियम और नया नियम)
~ लाल समुद्र पार करना और बपतिस्मा
~ सीनै पर्वत की व्यवस्था बनाम पहाड़ी उपदेश
( व अन्य अवधारणाएं)
By जे. गोड़विन निकलसन
अनुवादक : रविन्द्र
Scribes Publishers
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(M) 91 9099408760
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Posted by
Johnson (For Scribes)
लैव्यव्यवस्था
(Leviticus) Posted on 27 Oct 2023
लैव्यव्यवस्था का अवलोकन
(Leviticus)
१. इसमे २७ अध्याय है |
२. इसका मुख्य विषय पवित्रता या आराधना है |
३. इनका सन्दर्भ सिनाई पर्वत से है | निर्गमन में जो मूसा की व्यवस्था का वर्णन है, यहां उसी को आगे की तरफ बढ़ाया गया है |
४. प्रथम पाँच अध्यायों में पाँच प्रकार के चढ़ावो का वर्णन है | उनके नाम, होमबलि (अध्याय -१), अन्नबलि (अध्याय -२), मेलबलि (अध्याय -३), पापबलि (अध्याय -४), दोषबलि (अध्याय -५) है |
इनका विवरण अध्याय १,२,३,४, ५ मे पाया जाता है जो कि याद रखने के लिये सरल है।
५. लैव्यव्यवस्था के अन्दर प्रचलित आराधना की विधि, नियम एवं प्रथा और समर्पण के पर्वो और बलिदान के चढ़ावो के विषय मे जानकारी प्राप्त होती है।
६. अन्तिम दो अध्याय हमें पवित्र जीवन यापन और अर्थपूर्ण आराधना के विषय में बताते है।
७. पवित्र का विलोम प्रचलित है | (लैव्य १०:१०) (व्यवहार में हम सोच सकते है, अपवित्र)|
८. लैव्य १६ को प्रायश्चित के लिए स्मरण रखा जाता है (गुड फ्राइडे ) |
९. लैव्य २५ को याद रखना आसान है, क्योंकि यह जुबली वर्ष के विषय में बतलाता है (२५ - रजत जयंती )
१०. लैव्य २६ अध्याय व्यवस्थाविवरण २७ और २८ की तरह ही है| इसलिए याद रखने का कोड है, २६,२७,२८|
११. हांलाकि इस पुस्तक का नाम लैव्यव्यवस्था है, पर व्यवस्था का विवरण ज्यादातर साधारण व्यक्तियों के लिए है |
१२. निर्गमन और लैव्यव्यवस्था की समानताएं ये है कि निर्गमन की पुस्तक जो पहले आती है, तम्बू के निर्माण के विषय में शिक्षा देती है | और बाद में लैव्यव्यवस्था यह सिखाती है कि तम्बू का इस्तेमाल कैसे करना है|
१३. लैव्यव्यवस्था में नायक (मुख्य व्यक्ति) हारून (याजक) है |
१४. दूरदर्शिता - ऐसे बहुत सारे पद नए नियम में है | यीशु और प्रेरितों की शिक्षाएँ |
१५. यीशु ने कहा, अपने पड़ोसी से प्रेम कर | यह लैव्य १९: १८ से है|
By जे. गोड़विन निकलसन
अनुवादक : भोला लाल
Scribes Publishers
(M) 91 9099408760
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गिनती का अवलोकन
(Numbers) Posted on 28 Oct 2023
गिनती का अवलोकन (Numbers)
1. इसमे 36 अध्याय है।
2. निर्गमन की पुस्तक में मिस्र से सीनै पर्वत तक की यात्रा का वर्णन किया है। गिनती की पुस्तक में सिनाई से कादेश और मोआब तक की यात्रा वर्णित है।
3. इस पुस्तक में वर्णित दो जनगणनाओं के कारण इसका नाम गिनती रखा गया है। पहली जनगणना (अध्याय 1), सीनै पर्वत से प्रस्थान के पहले हुई थी और दूसरी जनगणना मोआब में यात्रा के अंत के दौरान हुई थी (अध्याय26)।
4. हालांकि शीर्षक गिनती है, वास्तव में अंतर्वस्तु (सामग्री) केवल यात्रा है। इसलिए हम इसे निर्गमन 2 (सीनै पर्वत से मोआब तक - यात्रा 2) कह सकते हैं।
5. सीनै पर्वत, कादेश और मोआब इन तीन स्थानों के आधार पर पूरी पुस्तक को तीन भाग में विभाजित किया जा सकता है।
6. अध्याय 1 - 10 में वे सीनै पर्वत पर बसें हैं। यह लगभग लैव्यव्यवस्था के धर्म विधियों और आराधना नियमों की तरह हैं।
7. अध्याय 11 - 20, सीनै पर्वत से कादेश की यात्रा के बारे में है। वे लगभग एक साल से इसी स्थान (सीनै पर्वत) में हैं, और अब वे प्रतिज्ञात देश के लिए अपनी आगे की यात्रा शुरू करने के लिए तैयार हो रहे हैं। कादेश में, उन्होंने परमेश्वर के खिलाफ विद्रोह किया और उन्हें 38 साल की सजा दी गई (व्यवस्थाविवरण 2:14)।
8.तीसरा विभाजन अध्याय 21 - 36 है। यह कादेश से मोआब तक की यात्रा के बारे मे है। इस्राएलियों की नई पीढ़ी ने फिर से परमेश्वर की प्रतिज्ञा के अनुसार देश में प्रवेश करने का प्रयास किया। उन्हें उन एदोम के लोगो का सामना करना पड़ा, जिन्होंने रास्ता देने से इनकार कर दिया था। बिलाम के आर्शीवाद वचन भी इस अंतर्वस्तु में हैं।
9. यात्रा के पहले भाग में प्रमुख चुनौती पानी, भोजन आदि जैसी भौतिक समस्याएं थीं। यात्रा के बाद हिस्सा, लोगों के साथ, आंतरिक और बाहरी विरोधों से संबंधित था। उन्हें लोगों और लड़ाई का सामना करना पड़ा।
10. जितना वे प्रतिज्ञात देश के करीब गए, उतना ही चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
11. याद रखने योग्य महत्वपूर्ण व्यक्ति : मूसा, हारून, मरियम, यहोशू, कालेब, एलीआज़ार, कोरह, सीहोन ( एमोरी के राजा), ओग (बाशान के राजा), बालाक और बिलाम।
12. याद रखने योग्य कुछ स्थान: सीनै पर्वत, तबेरा (11: 3), कादेश, बैर (एक कुंआ -21:16), मोआब और शितिम। (गिनती 33 में उनकी यात्रा के 42 स्थानों का उल्लेख है)
13 .नये नियम से संबंध : 1 कुरिन्थियों 10:1-12, मत्ती 5:17, यूहन्ना 3:14, इब्रानियों 3:7, प्रकाशितवाक्य 22:16
By जे. गोड़विन निकलसन
अनुवादक : मनीषा राजेश
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