West Bengal School & Madrasah Clerks' Association
Registered as: COSSIPORE UNITED SCHOOL CLERKS' WELFARE ASSOCIATION
REGISTRATION NO.: S0007742 of 2019-2020
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महत्वपूर्ण लिंक्स
W B B M E
WB FINANCE DEPT
১৬ই সেপ্টেম্বর'' ২০২৩ থেকে ১৫ই অক্টোবর' ২০২৩ পর্যন্ত সংগঠনের বিশেষ বিশেষ কার্যক্রমের আপডেট :-
♦️ ১. ৩০ শে সেপ্টেম্বর এবং ১লা অক্টোবর ২০২৩, হুগলী জেলার ব্যান্ডলে আমাদের সংগঠনের ৩য় রাজ্য সম্মেলন অনুষ্ঠিত হয়। নবনির্বাচিত কার্য্যনির্বাহী কমিটি এবং রাজ্য কমিটি গঠিত হয়।
♦️ ২. ১৩ই অক্টোবর করনিকদের প্রমোশনের দাবিতে শিক্ষামন্ত্রী, প্রেসিডেন্ট, ওয়েস্ট বেঙ্গল কাউন্সিল অফ HS এডুকেশন (বিদ্যাসাগর ভবন), এবং কমিশনার অফ স্কুল এডুকেশনের দফতরে দাবিপত্র পেশ করা হয়। ২১ শে অগাস্ট CAS এর দাবিতে কমিশনে করা দাবিপত্রের খোঁজখবর নেওয়া হয়। শিক্ষকদের প্রমোশনের উদ্দেশ্যে গঠিত ৬(ছয়) সদস্যের কমিটির একজন অন্যতম গুরুত্বপূর্ণ সদস্য মাননীয় চিরঞ্জীব ভট্টাচার্য্য -মহাশয়ের সাথে দেখা করে করনিকদেরও প্রমোশনের দাবি নিয়ে আলোচনা করা হয়।
♦️ ৩. ১৫ ই অক্টোবর মালদা জেলার ২য় জেলা সম্মেলন অনুষ্ঠিত হয়। জেলার নবগঠিত কমিটি গঠিত হয়।
সংযোজন ও বিয়োজন সংক্রান্ত সংশোধিত সংবিধান পুনরায় প্রকাশিত করা হয়।
পশ্চিমবঙ্গের স্কুল ও মাদ্রাসার পরিকাঠামো ধরে রেখেছে তার করণিক সম্প্রদায়। এ কথা বললে অত্যুক্তি হবে না যে, করণিকরাই স্কুল ও মাদ্রাসার মেরুদণ্ড স্বরূপ। শিশু-কিশোরদের শিক্ষাপ্রদান শিক্ষাপ্রতিষ্ঠানের প্রধান লক্ষ্য। সেই শিক্ষাদানের পরিবেশ যাতে বজায় থাকে তার জন্যে করণিকরাই নিরলস প্রচেষ্টা জারি রাখেন। একজন করণিক একাধারে ডাটা-এন্ট্রি অপারেটর, ক্যাশিয়ার, হিসাবরক্ষক, অফিস অ্যাটেন্ডেন্ট, নোডাল টিচার এবং করণিক। এছাড়া শিক্ষাপ্রতিষ্ঠানের দৈনন্দিন কার্য্যাবলির পরিচালনায় তাঁর সক্রিয় ভূমিকাও রয়েছে।
पश्चिम बंगाल के स्कूलों और मदरसों के बुनियादी ढांचे का धारक हैं इसका लिपिक समुदाय। यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि क्लर्क स्कूलों और मदरसों की रीढ़ होते हैं। बच्चों और किशोरों की शिक्षा शिक्षण संस्थानों का मुख्य लक्ष्य है। उस शिक्षण वातावरण को बनाए रखने के लिए क्लर्क अथक प्रयास करते हैं। एक लिपिक, डाटा एंट्री ऑपरेटर, कैशियर, अकाउंटेंट, ऑफिस अटेंडेंट, नोडल टीचर और क्लर्क का एक संयोजन है। इसके अलावा, शैक्षणिक संस्थान के दिन-प्रतिदिन के संचालन के प्रबंधन में उनकी सक्रिय भूमिका रहती है।
কিন্তু দুঃখের বিষয় এহেন গুরুত্বপূর্ণ কর্মী দীর্ঘ বঞ্চনা, লাঞ্ছনা, অবহেলা ও অবমাননার শিকার। কর্মক্ষেত্রে প্রবেশ করার সঙ্গে সঙ্গে বিপুল কর্মভার তাঁদের কাঁধে চাপিয়ে দেওয়া হয়। অথচ সেই কাজের যোগ্য বেতন ও সম্মান— কোনওটাই তাঁদের জন্যে বরাদ্দ হয় না। অধিকাংশ করণিকের উচ্চ শিক্ষাগত যোগ্যতা রয়েছে। অথচ তাদের বেতনক্রম মাধ্যমিক স্তরের। এই বিপুল কর্মভার, যা সম্পন্ন করতে সমানভাবে মস্তিস্কের এবং শরীরের প্রভূত শ্রমের প্রয়োজন, তার সাম্মানিক কখনও মাধ্যমিক মানের হতে পারে না। কর্মজীবনে করণিকদের কোনও প্রোমোশনও নেই। যার ফলে বেতনক্রমের উন্নতির সব পথ রুদ্ধ।
लेकिन दुःख की बात है कि ऐसे महत्वपूर्ण कार्यकर्ता लंबे समय तक भेदवाव, अपमान, उपेक्षा और अवहेलना के शिकार हैं। कार्यस्थल में प्रवेश करते ही, उनके कंधों पर भारी काम का बोझ थोप दिया जाता है। लेकिन उस काम के लायक तनख्वाह और मान-मर्यादा उन्हें कुछ भी नहीं दिया जाता। अधिकांश लिपिक अभी उच्च शैक्षणिक योग्यता के अधिकारी है। लेकिन इनका वेतन माध्यमिक स्तर का होता है। यह विशाल कार्य, जिसमें मन और शरीर दोनों का कठिन परिश्रम की आवश्यकता होती है, उसका वेतनमान कभी भी माध्यमिक स्तर का नहीं हो सकता। लिपिकों के कार्यकाल मे कोई प्रमोशन नहीं मिलता है। नतीजतन, वेतन सुधार के सभी रास्ते बंद हो गए हैं।
আরও একটি গুরুত্বপূর্ণ বিষয় হল, বিদ্যালয় ও মাদ্রাসার করণিকদের জন্য কোনও কর্মতালিকা নেই। যার ফলে ইচ্ছাখুশিমতো পাহাড়প্রমাণ কাজের বোঝা তাদের উপর চাপিয়ে দেওয়া সম্ভব হয়। কাজের চাপে কর্মসময়ের চেয়ে অনেক বেশি সময় কর্মক্ষেত্রে কাটাতে হয় করণিকদের। এমনকি দীর্ঘ ছুটির সময়ও একা প্রতিষ্ঠান খুলে তাদেরকে কাজ করে যেতে হয়। যদিও এই ত্যাগ ও কর্মনিষ্ঠার জন্যে কোনও অতিরিক্ত সুযোগসুবিধা বা পারিশ্রমিক তাঁরা পান না।
एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि स्कूलों और मदरसों में लिपिकों के लिए कोई कर्म तालिका नहीं है। नतीजतन, उन पर अपनी मर्जी से काम का पहाड़ थोपना संभव है। काम के बोझ के कारण लिपिकों को काम के घंटों की तुलना में काम पर अधिक समय देना पड़ता है। लंबी छुट्टियों में भी उन्हें अकेले ही प्रतिष्ठान खोलकर काम पर जाना पड़ता है। हालांकि इस त्याग और समर्पण के लिए उन्हें कोई अतिरिक्त सुविधा या पारिश्रमिक नहीं मिलता है।
হাজারও সুযোগসুবিধা ও অধিকার থেকে বঞ্চিত হওয়ার সঙ্গে সঙ্গে আরও কিছু বঞ্চনা করণিকদের সহ্য করতে হচ্ছে। করণিকরা যেহেতু কম বেতনের কর্মী, তাই তাদেরকে অধস্তন এবং নিম্ন পদমর্যাদার বিবেচনা করে বিদ্যালয় ও মাদ্রাসার প্রধান শিক্ষক, সহ-শিক্ষক ও ম্যানেজিং কমিটির পদাধিকারীরা প্রায়শই অসম্মান-অপমান করে থাকেন। অনেক প্রতিষ্ঠানেই করণিকরা প্রতিনিয়ত অবমাননা ও মানহানির শিকার হচ্ছেন। তাদেরকে অনৈতিক কাজ করার জন্যে চাপসৃষ্টি, ভীতি প্রদর্শন এবং মানসিক চাপ সৃষ্টি করা হয়। এমনকি কোনও কোনও করণিক শারীরিক নির্যাতনের শিকার হয়ে থাকেন।
लिपिकों को अनेक सुविधाओं और अधिकारों से वंचित होने के साथ-साथ कुछ और भेदभावों को भी झेलना पड़ता है। चूंकि लिपिक कम वेतन पाने वाले कर्मचारी होते हैं, इसलिए अक्सर स्कूल और मदरसा के प्रधानाध्यापक, सह-शिक्षक और प्रबंध समिति के अधिकारी, जो उन्हें अधीनस्थ और निम्न श्रेणी का मानते हैं, उनके साथ अपमानजनक व्यवहार करते हैं। कई शिक्षण संस्थानों में, लिपिकों को लगातार अपमान और मानहानि का शिकार होना पड़ता है। उन पर अनैतिक कार्य करने के लिए दबाव डाला जाता है, डराया जाता है और मानसिक दबाव डाला जाता है। यहां तक कि कुछ लिपिकों को शारीरिक शोषण का भी शिकार होना पड़ता है।
এসব সত্ত্বেও ছাত্রছাত্রীদের দিকে তাকিয়ে, প্রতিষ্ঠানের স্বার্থে, পশ্চিমবঙ্গের শিশু-কিশোর-শিক্ষার মান অটুট রাখতে করণিকরা তাঁদের কাজ চালিয়ে যাচ্ছেন। তাদের এই ত্যাগ সরকার ও প্রতিষ্ঠানের কর্তাব্যক্তিরা ভুলে থাকতে পারেন, কিন্তু ইতিহাস কখনওই ভুলবে না।
इसके बावजूद, विद्यार्थियों के स्वार्थ और संस्था की खातिर एवं पश्चिम बंगाल में बाल-किशोरों की शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए लिपिक अपना काम जारी रखते हैं। उनके बलिदान को सरकार और संस्थाएं भले ही भुला दें, लेकिन इतिहास कभी नहीं भूलेगा।
এই দীর্ঘ বঞ্চনা, লাঞ্ছনা, অবহেলা ও অবমাননা আজ সীমা ছাড়িয়েছে। তাই সারা পশ্চিমবঙ্গের বিদ্যালয় ও মাদ্রাসার করণিকরা জেগে উঠেছে, ঐক্যবদ্ধ হয়েছে, জোট বেঁধে গত ২০১৮ সালের ২৪ জুন থেকে তিল তিল করে গড়ে তুলেছে নিজেদের সংগঠন— ‘ওয়েস্ট বেঙ্গল স্কুল অ্যান্ড মাদ্রাসা ক্লার্কস’ অ্যাসোসিয়েশন’ (WBSMCA)। এঈ সংগঠন করণিকদের নতুন করে স্বপ্ন দেখতে অনুপ্রাণিত করছে, মাথা উঁচু করে দাঁড়াতে শেখাচ্ছে, মেরুদণ্ড সোজা করে প্রতিবাদ করতে সাহস যোগাচ্ছে এবং করণিকদের সামগ্রিক ব্যক্তিত্বের বিকাশের প্লাটফর্ম দিচ্ছে।
यह लंबा भेदवाव, अपमान, उपेक्षा और अवहेलना आज सीमा को पार कर गया है। इसलिए, 24 जून, 2018 से पूरे पश्चिम बंगाल के स्कूलों और मदरसों के लिपिक जाग गए हैं, एकजुट होकर अपना स्वयं का संगठन - 'वेस्ट बंगाल स्कूल एंड मदरसा क्लर्क्स एसोसिएशन' (WBSMCA) बना लिया है। यह संगठन लिपिकों को नए सिरे से सपने देखने के लिए प्रेरित करता है, उन्हें डटकर खड़ा होना सिखाता है, सीधी रीढ़ के साथ विरोध करने का साहस देता है और लिपिकों के समग्र व्यक्तित्व विकास के लिए एक मंच प्रदान करता है।
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আমাদের উদ্দেশ্য / हमारा उद्देश्य
স্কুল ও মাদ্রাসার করণিকদের প্রতি হয়ে চলা সকল প্রকার বঞ্চনার নিরসন করাই ওয়েস্ট বেঙ্গল স্কুল অ্যান্ড মাদ্রাসা ক্লার্কস’ অ্যাসোসিয়েশন (WBSMCA)-এর প্রধান লক্ষ্য। প্রথম থেকেই কয়েক দফা দাবি সামনে রেখে সারা বাংলার করণিকদের স্বার্থে WBSMCA লড়ছে। তার মধ্যে অন্যতম হল স্কুল ও মাদ্রাসার করণিকদের বেতনক্রম মাধ্যমিক থেকে উচ্চমাধ্যমিক ও প্রশিক্ষিত (কম্পিটার) স্তরে উন্নীত করা, প্রোমোশনের সুযোগ দেওয়া, কর্মতালিকা প্রকাশ করা ইত্যাদি।
पश्चिम बंगाल स्कूल और मदरसा क्लर्क एसोसिएशन (WBSMCA) का मुख्य उद्देश्य है स्कूल और मदरसा के लिपिकों के खिलाफ सभी प्रकार के भेदभावों को मिटाना। WBSMCA शुरू से ही कई मांगों को लेकर पूरे बंगाल में लिपिकों के हितों की लड़ाई लड़ता रहा है। उनमें से एक स्कूल और मदरसा लिपिकों के वेतनमान को माध्यमिक से उच्चतर माध्यमिक और प्रशिक्षित (कंप्यूटर) स्तर तक बढ़ाना, पदोन्नति के अवसर देना, कार्य अनुसूची प्रकाशित करना आदि है।
এছাড়া সংগঠনের অন্যতম উদ্দেশ্য হল সারা বাংলার কর্মক্ষেত্রে বিপন্ন করণিকদের সহায়তা প্রদান। যে-কোনও করণিকের উপর ঘটে চলা দপ্তরের বা প্রতিষ্ঠানের যে-কোনও অন্যায়ের প্রতিবাদ করা, আক্রান্ত করণিকের সুরক্ষা দেওয়া এবং সমস্যার স্থায়ী সমাধান করা।
इसके अलावा, संगठन का एक उद्देश्य पूरे बंगाल के कार्यस्थल में उत्पीड़ित लिपिकों को सहायता प्रदान करना है। किसी लिपिक के विरुद्ध कार्यालय या संस्था के किसी भी गलत कार्य का विरोध करना, पीड़ित लिपिक की रक्षा करना और समस्या का स्थायी समाधान करना।
করণিকরা সমাজের প্রতি দায়বদ্ধ। তাই যে-কোনও সামাজিক ও প্রাকৃতিক বিপর্যয়ে করণিকরা যাতে যৌথভাবে তাদের অবদান রাখতে পারে, প্রাণপণে ঝাঁপিয়ে পড়তে পারে, WBSMCA সেই উদ্দেশ্যে তাদের একত্রিত করবে। যেমন, কোভিড মহামারিতে সারা রাজ্যের করণিকরা রাজ্য সরকারের ত্রাণ তহবিলে ১০,৪৩,২২০ টাকা অনুদান প্রদান করেছিল।
लिपिक समाज के प्रति उत्तरदायी हैं। WBSMCA लिपिकों को उस उद्देश्य के लिए एक साथ लाएगा, ताकि वे किसी भी सामाजिक और प्राकृतिक आपदा में सामूहिक रूप से अपना योगदान दे सकें, जोश के साथ कूद सकें । उदाहरण के लिए, कोविड महामारी के दौरान, राज्य भर के लिपिकों ने राज्य सरकार के राहत कोष में १०,४३,२२० रुपये का दान दिया था।
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AN APPEAL
This website is a result of tireless effort and selfless dedication of some members of WBSMCA. They have tried to make this site useful for all the members in all aspect. But, as they are not professionals in this field, there may be some imperfection. To make this site complete and handy for the clerks, your cooperation is solicited.
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