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(मैं संगोष्ठी आयोजन समिति की  अध्यक्षता  कर रहा हूँ. अपने तकनीकी लेख अधिकाधिक संख्या में प्रेषित करें.)


बच निकला में राग रंग के शयनों से, बच निकला मादक हाला के बयनों से।  

जप तप योग सभी साधन कर लिए मगर, बच न सका फिर भी दो चंचल नयनों से।।   


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