Bhagwan shri krishna quotes in hindi
भगवान श्रीकृष्ण के कुछ प्रसिद्ध उद्धरण (quotes) हिंदी में:
Bhagwan shri krishna quotes in hindi
भगवान श्रीकृष्ण के कुछ प्रसिद्ध उद्धरण (quotes) हिंदी में:
भगवान श्रीकृष्ण के कुछ प्रसिद्ध उद्धरण (quotes) हिंदी में:
1. "कर्म करो, फल की इच्छा मत करो।"
2. "आपका कर्म ही आपकी पहचान होता है।"
3. "आपका धर्म आपकी शक्तियों का परिचय होता है।"
4. "मन, बुद्धि और आत्मा को एकमेक से मिलाओ।"
5. "भक्ति से ही भगवान की प्राप्ति होती है।"
6. "अपने कर्मों में लिपटा रहो, फल का आलंब न बनो।"
7. "भगवान की आराधना केवल मंदिर में ही नहीं, सब जगह कीजिए।"
8. "आपके मन को शांत और प्रसन्न रखो, भगवान हमेशा साथ हैं।"
9. "समस्त जीवों के प्रति करुणा रखो, क्योंकि सब भगवान के अंश हैं।"
10. "सच्ची प्रेम भक्ति से ही प्राप्त होती है, और वो प्रेम सबकुछ है।"
ये उद्धरण भगवान श्रीकृष्ण के जीवन और उनके उपदेश के महत्वपूर्ण पहलुओं को दर्शाते हैं।
श्रीमद् भागवत की रचना के इतिहास | श्रीमद् भागवत का संक्षिप्त विवरण
श्रीमद् भागवत की रचना के इतिहास | श्रीमद् भागवत का संक्षिप्त विवरण
श्रीमद् भागवत हिन्दुओं के अट्ठारह पुराणों में से एक है। इसे श्रीमद्भागवतम् या केवल भागवतम् भी कहते हैं। इसका मुख्य वर्ण्य विषय भक्ति योग है, जिसमें कृष्ण को सभी देवों का देव या स्वयं भगवान के रूप में चित्रित किया गया है। इसके अतिरिक्त इस पुराण में रस भाव की भक्ति का निरुपण भी किया गया है।
श्रीमद् भागवत की रचना
श्रीमद् भागवत की रचना वेदव्यास ने की थी। वेदों के रचयिता भी वेदव्यास ही थे। भागवत पुराण की रचना का समय लगभग 500 ईसा पूर्व माना जाता है।
श्रीमद् भागवत की कथा
श्रीमद् भागवत की कथा मुख्य रूप से भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं पर आधारित है। इसमें श्रीकृष्ण के जन्म से लेकर उनके वनवास और मोक्ष तक की कहानी को विस्तार से बताया गया है। इसके अतिरिक्त इस पुराण में अन्य कई देवी-देवताओं और महापुरुषों की कथाएँ भी हैं।
श्रीमद् भागवत के स्कंध
श्रीमद् भागवत को 12 स्कंधों में विभाजित किया गया है। प्रत्येक स्कंध में एक विशेष विषय पर चर्चा की गई है।
प्रथम स्कंध: इसमें ब्रह्मा जी की उत्पत्ति, सृष्टि की रचना और वेदव्यास के जन्म की कथा है।
द्वितीय स्कंध: इसमें भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों की कथा है।
तृतीय स्कंध: इसमें भगवान श्रीकृष्ण के जन्म से लेकर उनके बाल्यकाल की कथा है।
चतुर्थ स्कंध: इसमें भगवान श्रीकृष्ण के किशोरकाल की कथा है।
पंचम स्कंध: इसमें भगवान श्रीकृष्ण के विवाह और द्वारका नगरी की स्थापना की कथा है।
छठा स्कंध: इसमें भगवान श्रीकृष्ण के अर्जुन को गीता का उपदेश देने की कथा है।
सातवाँ स्कंध: इसमें भगवान श्रीकृष्ण के वनवास की कथा है।
आठवाँ स्कंध: इसमें भगवान श्रीकृष्ण के मथुरा के अत्याचारी राजा कंस का वध करने की कथा है।
नौवाँ स्कंध: इसमें भगवान श्रीकृष्ण के गोकुल में रहने के दौरान की कथाएँ हैं।
दसवाँ स्कंध: इसमें भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन है।
ग्यारहवाँ स्कंध: इसमें भगवान श्रीकृष्ण के मोक्ष की कथा है।
बारहवाँ स्कंध: इसमें भगवान श्रीकृष्ण के भक्तों की कथाएँ हैं।
श्रीमद् भागवत का महत्व
श्रीमद् भागवत को हिन्दु धर्म का एक प्रमुख ग्रन्थ माना जाता है। इस ग्रन्थ में भक्ति योग, ज्ञान योग और कर्म योग का विस्तृत वर्णन किया गया है। श्रीमद् भागवत को भक्ति मार्ग का सर्वोच्च ग्रन्थ माना जाता है। इस ग्रन्थ में भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन इस प्रकार किया गया है कि मनुष्य को भगवान के प्रति अनन्य प्रेम और भक्ति की भावना उत्पन्न हो जाती है।
श्रीमद् भागवत का प्रभाव
श्रीमद् भागवत का हिन्दू संस्कृति पर गहरा प्रभाव पड़ा है। इस ग्रन्थ की कथाओं को आधार बनाकर अनेक भक्ति गीतों, काव्यों और नाटकों की रचना हुई है। श्रीमद् भागवत की कथाओं को आज भी हिन्दू धर्म में बड़े ही आदर और श्रद्धा के साथ सुनाया और पढ़ा जाता है।
श्रीमद् भागवत कथा पढ़ने के लाभ
श्रीमद् भागवत कथा पढ़ने से मनुष्य को अनेक लाभ होते हैं। इस कथा को पढ़ने से मनुष्य में भक्ति, ज्ञान और वैराग्य की भावना उत्पन्न होती है। श्रीमद् भागवत कथा पढ़ने से मनुष्य के पापों का नाश होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
श्रीमद् भागवत कथा कहाँ सुनें
श्रीमद् भागवत कथा को आप किसी भी मंदिर या धार्मिक स्थल पर सुन सकते हैं। इसके अतिरिक्त आजकल श्रीमद् भागवत कथा को ऑनलाइन भी सुनने की सुविधा उपलब्ध है।
श्रीकृष्ण ने भगवद गीता के माध्यम से अर्जुन को अनेक महत्वपूर्ण उपदेश दिए। इनमें से 15 महत्वपूर्ण उपदेश निम्नलिखित हैं:
1. आत्मा का अविनाशी होना: श्रीकृष्ण ने आत्मा का अविनाशी होना बताया और शरीर की मृत्यु को केवल आत्मा के अंधकार में स्थायी होने का रूप में देखा।
2. कर्मयोग: कर्म करते समय भगवान के प्रति भक्ति और समर्पण करना।
3. ध्यान और भक्ति: भगवान के प्रति आत्मा की अनिवार्य भक्ति और समर्पण की आवश्यकता है।
4. अहिंसा: श्रीकृष्ण ने अहिंसा का महत्व बताया और सभी सजीवों के प्रति दया रखने की सिख दिलाई।
5. आत्मा का स्वरूप: उन्होंने आत्मा के असली स्वरूप को समझाया और यह बताया कि आत्मा अविनाशी और अनन्त है।
6. ब्रह्मचर्य: श्रीकृष्ण ने ब्रह्मचर्य का महत्व बताया, यानी इंद्रियों के नियंत्रण में रहकर सच्चे ज्ञान को प्राप्त करने का सुझाव दिया।
7. ईश्वर के प्रति श्रद्धा: उन्होंने श्रद्धा और आस्था का महत्व बताया, और यह कहा कि भगवान के प्रति निःस्वार्थ प्रेम करना चाहिए।
8. संसार का अनिष्ट: उन्होंने संसार के अनिष्टों का विचार किया और उसके मोह से बचाव की बात की।
9. भक्ति का मार्ग: भक्ति के माध्यम से भगवान के पास पहुँचने का मार्ग बताया।
10. समर्पण: श्रीकृष्ण ने समर्पण की भावना को महत्वपूर्ण माना, जिसमें आत्मा को पूरी तरह से भगवान को समर्पित करना है।
11. समता: सभी प्राणियों के प्रति समता और समरसता की ओर इशारा किया।
12. धर्म की पालन: उन्होंने धर्म की पालन का महत्व बताया और सभी कर्मों को धर्मपूर्ण तरीके से करने की सलाह दी।
13. अपने कर्मों का त्याग: श्रीकृष्ण ने अपने कर्मों को फल की चिंता किए बिना करने का सुझाव दिया।
14. मन का निग्रह: उन्होंने मन के निग्रह का महत्व बताया और यह सिखाया कि मन को नियंत्रित करके आत्मा को प्राप्त किया जा सकता है।
15. भगवान की सच्ची भक्ति: उन्होंने यह सिखाया कि भगवान की सच्ची भक्ति से ही आत्मा का मोक्ष हो सकतासकता
श्रीकृष्ण ने भगवद गीता के माध्यम से अर्जुन को अनेक महत्वपूर्ण उपदेश दिए। इनमें से 15 महत्वपूर्ण उपदेश निम्नलिखित हैं:
1. आत्मा का अविनाशी होना: श्रीकृष्ण ने आत्मा का अविनाशी होना बताया और शरीर की मृत्यु को केवल आत्मा के अंधकार में स्थायी होने का रूप में देखा।
2. कर्मयोग: कर्म करते समय भगवान के प्रति भक्ति और समर्पण करना।
3. ध्यान और भक्ति: भगवान के प्रति आत्मा की अनिवार्य भक्ति और समर्पण की आवश्यकता है।
4. अहिंसा: श्रीकृष्ण ने अहिंसा का महत्व बताया और सभी सजीवों के प्रति दया रखने की सिख दिलाई।
5. आत्मा का स्वरूप: उन्होंने आत्मा के असली स्वरूप को समझाया और यह बताया कि आत्मा अविनाशी और अनन्त है।
6. ब्रह्मचर्य: श्रीकृष्ण ने ब्रह्मचर्य का महत्व बताया, यानी इंद्रियों के नियंत्रण में रहकर सच्चे ज्ञान को प्राप्त करने का सुझाव दिया।
7. ईश्वर के प्रति श्रद्धा: उन्होंने श्रद्धा और आस्था का महत्व बताया, और यह कहा कि भगवान के प्रति निःस्वार्थ प्रेम करना चाहिए।
8. संसार का अनिष्ट: उन्होंने संसार के अनिष्टों का विचार किया और उसके मोह से बचाव की बात की।
9. भक्ति का मार्ग: भक्ति के माध्यम से भगवान के पास पहुँचने का मार्ग बताया।
10. समर्पण: श्रीकृष्ण ने समर्पण की भावना को महत्वपूर्ण माना, जिसमें आत्मा को पूरी तरह से भगवान को समर्पित करना है।
11. समता: सभी प्राणियों के प्रति समता और समरसता की ओर इशारा किया।
12. धर्म की पालन: उन्होंने धर्म की पालन का महत्व बताया और सभी कर्मों को धर्मपूर्ण तरीके से करने की सलाह दी।
13. अपने कर्मों का त्याग: श्रीकृष्ण ने अपने कर्मों को फल की चिंता किए बिना करने का सुझाव दिया।
14. मन का निग्रह: उन्होंने मन के निग्रह का महत्व बताया और यह सिखाया कि मन को नियंत्रित करके आत्मा को प्राप्त किया जा सकता है।
15. भगवान की सच्ची भक्ति: उन्होंने यह सिखाया कि भगवान की सच्ची भक्ति से ही आत्मा का मोक्ष हो सकतासकता
श्री कृष्ण किसका ध्यान करते हैं?
भगवान श्रीकृष्ण अपने भक्तों का ध्यान करते हैं और उनकी प्रेम भक्ति को प्रसन्न करते हैं। वे अपने भक्तों की सेवा, प्रेम, और भक्ति का सत्यापन करते हैं और उनके प्रेम और विश्वास को प्राप्त करने के लिए अपने अवतार में प्रकट होते हैं। इसके साथ ही, श्रीकृष्ण की भगवद गीता जैसी ग्रंथों में उन्होंने भक्तों को धर्म और जीवन के मार्ग के बारे में महत्वपूर्ण उपदेश भी दिया।
रतरत
1. मत्स्य अवतार (Matsya Avatar) - एक मछली के रूप में
2. कूर्म अवतार (Kurma Avatar) - एक कछुआ (कछुवा) के रूप में
3. वराह अवतार (Varaha Avatar) - एक सूअर के रूप में
4. नरसिंह अवतार (Narasimha Avatar) - मनुष्य सिंह के रूप में
5. वामन अवतार (Vamana Avatar) - एक छोटे बच्चे के रूप में
6. परशुराम अवतार (Parashurama Avatar) - एक ब्राह्मण रुप में
7. श्रीराम अवतार (Rama Avatar) - भगवान राम के रूप में
8. कृष्ण अवतार (Krishna Avatar) - भगवान कृष्ण के रूप में
9. बुद्ध अवतार (Buddha Avatar) - भगवान बुद्ध के रूप में
10. कल्कि अवतार (Kalki Avatar) - भगवान कल्कि के रूप में
इन अवतारों के माध्यम से, भगवान विष्णु ने धर्म की स्थापना और अधर्म का नाश किया और मानव समाज को उनके आदर्शों के अनुसरण करने के लिए प्रेरित किया।
Love
Shrikrishna
भगवान श्री विष्णु के 24 महत्वपूर्ण रूप हैं, जिन्हें "चौबीस अवतार" कहा जाता है। ये रूप उनके जीवन के विभिन्न चरणों और कार्यों को प्रकट करते हैं। ये निम्नलिखित हैं:
1. मात्स्य अवतार (Matsya Avatar)
2. कूर्म अवतार (Kurma Avatar)
3. वराह अवतार (Varaha Avatar)
4. नरसिंह अवतार (Narasimha Avatar)
5. वामन अवतार (Vamana Avatar)
6. परशुराम अवतार (Parashurama Avatar)
7. श्रीराम अवतार (Rama Avatar)
8. बुद्ध अवतार (Buddha Avatar)
9. कल्कि अवतार (Kalki Avatar)
10. आदि वराह अवतार (Adi Varaha Avatar)
11. यज्ञ अवतार (Yajna Avatar)
12. दत्तात्रेय अवतार (Dattatreya Avatar)
13. हंस अवतार (Hamsa Avatar)
14. धर्म अवतार (Dharmaraja Avatar)
15. प्रिय अवतार (Priyavrata Avatar)
16. चक्षुष अवतार (Chakshusa Avatar)
17. यज्ञ अवतार (Yajna Avatar)
18. श्वेतावतर (Shveta Avatar)
19. उपेन्द्र अवतार (Upendra Avatar)
20. हरि अवतार (Hari Avatar)
देते
About us
Welcome to श्री कृष्ण मधुर वाणी where we share information related to श्री कृष्ण भगवान का उपदेश. We're dedicated to providing you the very best information and knowledge of the above mentioned topics. Our about us page is generated with the help of About Us Page Generator
We hope you found all of the information on श्री कृष्ण मधुर वाणी helpful, as we love to share them with you.
If you require any more information or have any questions about our site, please feel free to contact us by email at rrajan520@gmail.com.
इस वेबसाइट पर आप फॉलो कर के लिए फ्री ट्रांसलेफ्री टेंपल डाउनलोड कर सकते हैं