शाम ढलने लगी लेके परछाइयां।
बात बढ़ने लगी जश्ने शहनाईयां।।
स्वप्न सुमधुर मेरे गीत सजने लगे,
रात लेने लगी मस्त अंगड़ाईयां।।
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