Attitude Shayari refers to poetic expressions that emphasize self-belief, confidence, and a bold outlook on life. Written in Hindi or other Indian languages, these shayaris often carry a tone of defiance, self-love, and determination. They serve as a medium to convey one's personality, mindset, and emotions in a powerful yet poetic manner.
The themes of Attitude Shayari often include:
Self-confidence and pride.
Overcoming challenges and proving oneself.
Individuality and independence.
Dismissal of negativity or criticism.
Relatability: Attitude Shayari appeals to people who want to express their individuality and stand out in a crowd. Its bold and confident tone resonates with those who take pride in their achievements and character.
Social Media Influence: With the rise of platforms like Instagram, WhatsApp, and Facebook, Attitude Shayari has found a significant audience. People frequently use these shayaris as captions, statuses, or posts to convey their personality.
Universal Appeal: The themes of self-respect, confidence, and resilience are universally appreciated. Attitude Shayari transcends age and cultural barriers, making it a favorite among poetry enthusiasts.
Empowerment: Attitude Shayari empowers individuals to embrace their uniqueness and take pride in their journey. It acts as a motivational force, inspiring confidence in oneself.
This is 2 line attitude shayari writen in two lines, short to understand the meaning quickly.
मुझे जिसने जैसा समझा,
बस अपनी औक़ात तक समझा।
मैं तो दरिया था गहराई लिए,
लोग आते रहे अपनी प्यास तक समझा।
हकीकत हूँ मैं, कोई सपना नहीं,
जिसने देखा, वो बस अंदाज़ तक समझा।
दुनिया ने हर रंग में आज़माया,
और फिर अपने स्वार्थ तक समझा।
मैं जो हूं, वो कम ही जान पाए,
बाकी ने मुझे बस बातें तक समझा।
चुप रहा, तो कमजोर समझा,
बोल पड़ा, तो बस शोर समझा।
दिल को किसी ने महसूस न किया,
हर किसी ने बस बातों तक समझा।
मैं रौशनी था, जलता रहा,
लोग आए, पर दिया तक समझा।
मेरे दिल की तहों में क्या था,
सबने सिर्फ़ किनारा तक समझा।
हर किसी ने अपने पैमाने लगाए,
और मुझे बस वहाँ तक समझा।
मैं आइना था, सच्चाई दिखाता रहा,
लोगों ने मुझे चेहरा तक समझा।
मैं ख़ामोश था, तो सबको ग़लतफहमी हुई,
जो बोला, तो बस गुफ़्तगू तक समझा।
मैं फूल था, खुशबू बिखेरता रहा,
लोगों ने मुझे कांटा तक समझा।
मैं हर लम्हा कुछ कहता रहा,
लोगों ने मुझे ख़ामोशी तक समझा।
मैं इबादत था, दिलों को छूने चला,
लोगों ने मुझे रस्मों तक समझा।
मैं समंदर था, गहराई में छुपा,
लोगों ने मुझे किनारा तक समझा।
मैं कहानी था, सच्चाई से लबरेज़,
लोगों ने मुझे किस्सा तक समझा।
मैं हवा था, सबके साथ चलता रहा,
लोगों ने मुझे झोंका तक समझा।
मैं छांव था, सुकून देने को खड़ा,
लोगों ने मुझे पेड़ तक समझा।
मैं मोती था, सीप में छुपा हुआ,
लोगों ने मुझे पानी तक समझा।
मैं मुस्कान था, दर्द छुपा हुआ,
लोगों ने मुझे खुशी तक समझा।
मैं लफ्ज़ था, दिल से निकला हुआ,
लोगों ने मुझे शायरी तक समझा।
मैं साया था, हर जगह साथ रहा,
लोगों ने मुझे अंधेरा तक समझा।
मैं सूरज था, जलता रहा सबके लिए,
लोगों ने मुझे तपिश तक समझा।
मैं चांद था, रोशनी बांटता रहा,
लोगों ने मुझे रात तक समझा।
This is for attitude shayari boy.
मैं उम्मीद था, हर दिल में बसता रहा,
लोगों ने मुझे ख्वाब तक समझा।
मैं सच्चाई था, हर जगह झलकता रहा,
लोगों ने मुझे अफसाना तक समझा।
मैं दिल था, धड़कन बनकर जीता रहा,
लोगों ने मुझे आवाज़ तक समझा।
मैं किताब था, हर पन्ने पर कुछ लिखा,
लोगों ने मुझे कवर तक समझा।
मैं राह था, मंजिल तक ले जाता रहा,
लोगों ने मुझे रास्ता तक समझा।
मैं बारिश था, हर दिल को भिगोता रहा,
लोगों ने मुझे बूंद तक समझा।
मैं दीपक था, अंधेरों में जलता रहा,
लोगों ने मुझे लौ तक समझा।
मैं किताब था, हज़ार राज़ समेटे हुए,
लोगों ने मुझे कहानी तक समझा।
मैं तूफान था, सब कुछ बदलने चला,
लोगों ने मुझे हवा तक समझा।
मैं इश्क़ था, दिलों को जोड़ता रहा,
लोगों ने मुझे खेल तक समझा।
मैं सच था, हर झूठ से ऊपर,
लोगों ने मुझे जाल तक समझा।
मैं पुल था, सबको जोड़ने चला,
लोगों ने मुझे रास्ता तक समझा।
मैं चिंगारी था, आग में बदलने को,
लोगों ने मुझे राख तक समझा।
मैं मौसम था, हर पल बदलता रहा,
लोगों ने मुझे पल तक समझा।
मैं दुआ था, हर दिल से उठता रहा,
लोगों ने मुझे फरियाद तक समझा।
मैं इरादा था, मजबूत और अडिग,
लोगों ने मुझे ख्याल तक समझा।
मैं नूर था, अंधेरों को मिटाने वाला,
लोगों ने मुझे परछाई तक समझा।
मैं गुलाब था, खुशबू से महकता रहा,
लोगों ने मुझे कांटा तक समझा।
मैं सपना था, हर आंख में पलता रहा,
लोगों ने मुझे रात तक समझा।
मैं साज़ था, हर सुर में ढलता रहा,
लोगों ने मुझे शोर तक समझा।
मैं सफर था, जो खुद को तलाशता रहा,
लोगों ने मुझे मंज़िल तक समझा।
मैं सितारा था, आसमान में चमकता हुआ,
लोगों ने मुझे दूरी तक समझा।
मैं कविता था, भावों से भरा हुआ,
लोगों ने मुझे शब्द तक समझा।
मैं खुशी था, जो हर दिल में खिलता रहा,
लोगों ने मुझे पल तक समझा।
मैं धड़कन था, हर दिल की पहचान,
लोगों ने मुझे आवाज़ तक समझा।
मैं रेत था, मुट्ठी में समेटा गया,
लोगों ने मुझे मिट्टी तक समझा।
मैं सपना था, उम्मीदों का साया,
लोगों ने मुझे ख्वाब तक समझा।
मैं सूरज था, सवेरा लाने वाला,
लोगों ने मुझे तपिश तक समझा।
मैं गीत था, हर दिल को छूने वाला,
लोगों ने मुझे धुन तक समझा।
मैं जज़्बात था, दिल से बहने वाला,
लोगों ने मुझे अल्फाज़ तक समझा।