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भारतीय भाषाओं के उन्‍नयन की उच्‍च स्‍तरीय समिति के अध्‍यक्ष डॉ. चमू कृष्‍ण शास्‍त्री का संस्‍थान मुख्यालय में आगमन

आगरा, दिनांक : 17.06.2022|

जिस व्‍यक्ति में ज्ञान के साथ सक्रियता भी है उसको ही पंडित कहा जाता है - यह बात वरिष्‍ठ शिक्षा विद् एवं संस्‍कृत विद्वान डॉ. चमू कृष्‍ण शास्‍त्री ने केंद्रीय हिंदी संस्‍थान मुख्‍यालय में संस्‍थान सदस्‍यों को संबोधित करते हुए कही थी। डॉ. चमू कृष्‍ण शास्‍त्री भारतीय भाषाओं के उन्‍नयन के लिए शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा गठित उच्‍च स्‍तरीय समिति के अध्‍यक्ष हैं। अपने संबोधन में उन्‍होंने केंद्रीय हिंदी संस्‍थान के कार्यकलापों और इसके विकास की भावी संभावनाओं के बारे में चर्चा की। इस अवसर पर भारतीय भाषा उन्‍नयन समिति के परामर्श दाता डॉ. राकेश जी, संस्‍थान के उपाध्‍यक्ष श्री अनिल शर्मा;जोशी, संस्‍थान की निदेशक प्रो. बीना शर्मा, शैक्षिक समन्‍वयक प्रो. हरिशंकर, कुलसचिव डॉ. चंद्रकांत त्रिपाठी सहित संस्‍थान के सभी शैक्षणिक एवं प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित थे।

कार्यक्रम के आरंभ में प्रो. हरिशंकर ने आगंतुक अतिथियों का स्‍वागत किया जिसके बाद संस्‍थान की गतिविधियों पर आधारित एक वीडियो प्रस्‍तुति दिखायी गई। डॉ. शास्‍त्री जी ने अपने आरंभिक शैक्षणिक एवं भाषा प्रचार-प्रसार से जुड़े अनुभवों से बात की शुरूआत की और इस कार्य की चुनौतियों को इंगित किया।

उन्‍होंने संस्‍थान सदस्‍यों से विभिन्‍न कार्यों, योजनाओं एवं गतिविधियों के बारे में छोटे-छोटे प्रश्‍नों के माध्‍यम से जानकारी ली और अपने व्‍यापक अनुभव के आधार पर इनको और प्रभावी तथा सटीक ढंग से क्रियान्वित करने के उपयोगी सूत्र सुझाये। उन्‍होंने संस्‍थान के शिक्षक-प्रशिक्षणपरक कार्यक्रम को आगामी समय और अधिक व्‍यापक और समयानुकूल बनाने, साथ ही पाठ्यक्रमों को परिणामकारी और प्रासंगिक बनाने पर बल दिया। उन्‍होंने सुझाव दिया कि संस्‍थान को विभिन्‍न राज्‍य सरकारों के शैक्षणिक बोर्डों में प्रचलित हिंदी पाठ्यक्रमों एवं पाठ्य-सामग्री का संग्रह और व्‍यापक आंकलन करना चाहिए ताकि उसके आधार पर हिंदी शिक्षक-प्रशिक्षण के साथ-साथ हिंदीतर प्रदेशों में हिंदी के शिक्षण को और अधिक प्रासंगिक और आकर्षक बनाया जा सके।

डॉ. शास्‍त्री का बल इस बात पर था कि संस्‍थान अपने कार्यक्रमों में आने वाले समय की ज़रूरतों और चुनौतियों के अनुरूप आवश्‍यक बदलाव करे और नये कार्यक्रम भी जोड़े। अंत में उन्‍होंने राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का हवाला देते हुए समग्र शिक्षण व्‍यवस्‍था में मातृभाषाओं के शिक्षण को मज़बूत करने और इस दृष्टि से हिंदी शिक्षण-प्रशिक्षण और प्रचार-प्रसार को उन्‍नत धरातल पर ले जाने का आह्वान किया।

डॉ. शास्‍त्री ने संस्‍थान पुस्‍तकालय छात्रावासों और परिसर के विभिन्‍न खण्‍डों का संदर्शन भी किया। संस्‍थान के उपाध्‍यक्ष श्री अनिल शर्मा जोशी ने अपने वक्‍तव्‍य में डॉ. शास्‍त्री जी द्वारा दिये गए मार्गदर्शन के प्रति आभार व्‍यक्‍त करते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन के अनुसार संस्‍थान को अपने विविध क्रियाकलापों की विज़न आधारित समीक्षा करनी चाहिए और की गयी चर्चा के आधार पर कार्य बिंदु तैयार कर उन पर कार्य आरंभ करना चाहिए।

अंत में कुलसचिव डॉ. चंद्रकांत त्रिपाठी द्वारा डॉ. चमू कृष्‍ण शास्‍त्री सहित कार्यक्रम में सहभागी रहे सभी संस्‍थान सदस्‍यों का धन्‍यवाद ज्ञापन दिया।

  • केशरी नंदन, मीडिया प्रभारी

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ एवं केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा के बीच शैक्षणिक सहयोग एवं शोध विषयक बहुउद्देशीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर

दिनांक 11 मार्च 2022, मेरठ|

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ एवं केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर विश्वविद्यालय समिति कक्ष में दोनों पक्षों ने हस्ताक्षर किए। केन्द्रीय हिंदी संस्थान आगरा एवं चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के मध्य बहुउद्देशीय समझौता ज्ञापन संपन्न हुआ।

इस समझौता ज्ञापन के अंतर्गत संस्थान के विद्यार्थी खड़ी बोली (कौरवी) उसकी भाषिक संस्कृति और उसके लोक साहित्य की विभिन्न विधाओं से परिचित हो सकेंगे। जिसमें विद्यार्थियों को हिंदी लोकतत्व अध्ययन से जुड़े विषयों जैसे: लोक साहित्य, लोक भाषा, लोक संस्कृति, लोकोक्ति और मुहावरे, तुलनात्मक अध्ययन आदि के व्यवहारिक रूप से परिचित होने का अवसर मिलेगा। केन्द्रीय हिंदी संस्थान आगरा में विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को हिंदी भाषा के मानकीकरण, हिंदी के स्वरूप में अद्यतन बदलाव एवं हिंदी व्याकरणिक चिंतन के विकास की प्रक्रिया से संबंधित प्रासंगिक पक्ष को तार्किक ढंग से समझने और प्रयोग में लाने का अवसर मिलेगा तथा वे विदेशी विद्यार्थियों की संस्कृति से भी परिचित हो सकेंगे। समझौता ज्ञापन में दोनों संस्थानों की शिक्षण, शोध तथा आपसी आदान प्रदान संबंधी योजनाओं पर व्यापक चर्चा हुई। विश्वविद्यालय के हिंदी तथा शिक्षा विभाग इसके केन्द्र के रूप में कार्य करेंगे। इस अवसर पर पूर्व में संस्थान तथा हिंदी विभाग के संयुक्त कार्यक्रमों की चर्चा भी हुई।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ की कुलपति प्रो॰ संगीता शुक्ला ने कहा कि प्रत्येक दो माह पर दोनों संस्थानों के नोडल अधिकारियों की बैठक होती रहनी चाहिए ताकि समझौता को गति प्रदान की जा सके। बाहर के विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर केन्द्रीय हिंदी संस्थान, आगरा और चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ कॉमन पाठ्यक्रम तैयार कर सकते हैं। ताकि पठन-पाठन की प्रक्रिया को अधिक वैश्विक और भविष्योन्मुख बनाया जा सके। भारतीय कंपनियों के उत्पादों से जुड़े उत्पादों का ऑपरेटिंग मैनुअल भारतीय भाषाओं हिंदी में बनाए जाने का नियम हो। इस दिशा में प्रयास किया जाना चाहिए।

केन्द्रीय हिंदी संस्थान, आगरा की निदेशक डॉ॰ बीना शर्मा ने कहा कि हिंदी संस्थान में उपलब्ध संसाधनों का लाभ चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के विद्यार्थियों को प्राप्त हो सकेगा। यह दो कुलों का मिलन है। जिससे अध्ययन-अध्यापन प्रगति के नए आयाम जुड़ेगे।

केन्द्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के उपाध्यक्ष प्रो॰ अनिल जोशी ने कहा कि विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के आदान-प्रदान से वैश्विक संस्कृति एवं साहित्यिक संभावनाओं को गति प्रदान की जा सकेगी। विद्यार्थीं विदेशी हिंदी भाषा शिक्षण की प्रासंगिक विधियों और समस्याओं के अध्ययन विश्लेषण से जुड़े विषयों पर कार्य कर सकेंगे।

विश्वविद्यालय की प्रतिकुलपति प्रो॰ वाई विमला ने कहा कि विज्ञान को सािहत्य में रूपान्तरण एक अनिवार्य पहलू है। इसलिए विश्वविद्यालय के स्तर पर अनुवाद को बढ़ावा दिये जाने की जरूरत है।

कार्यक्रम का संयोजन संचालन प्रो॰ नवीन चन्द्र लोहनी, संकायाध्यक्ष कला एवं अध्यक्ष हिंदी विभाग ने किया। प्रो॰ लोहनी ने कहा कि संस्थान की अंतरराष्ट्रीय पहचान है इससे विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों तथा शिक्षकों को संस्थान के आठों केन्द्रों में जुड़ने का मौका मिलेगा। विश्वविद्यालय के कुलसचिव धीरेन्द्र कुमार ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।

इस अवसर पर प्रो॰ हरे कृष्णा, प्रो॰ एस॰एस॰ गौरव, प्रो॰ विजय जयसवाल, प्रो॰ भुपेन्द्र राणा, श्री अनुपम श्रीवास्तव, शिवप्रकाश शर्मा, श्री एस॰एन॰ शर्मा, श्रीमती सरोज शर्मा, डॉ॰ आरती राणा, डॉ॰ विद्यासागर सिंह, डॉ॰ अंजू, डॉ॰ प्रवीण कटारिया, डॉ॰ यज्ञेश कुमार, मोहनी कुमार, विनय कुमार उपस्थित रहे।

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  • अनुपम श्रीवास्तव

पूर्ववर्ती त्रैमासिक संस्करण के समाचार

  • श्री रमेश पोखरियाल निशंक, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार के कर कमलों से दिनांक 05 अक्टूबर, 2020 को केंद्रीय हिंदी संस्थान हैदराबाद क्षेत्रीय केंद्र के नवनिर्मित भवन का उद्घाटन।

  • गांधी जयंती के अवसर पर दिनांक 02 अक्टूबर, 2020 को केंद्रीय हिंदी संस्थान, अहमदाबाद क्षेत्रीय केंद्र द्वारा एक दिवसीय ई-विचार-गोष्ठी का आयोजन।

  • हिंदी दिवस के अवसर पर दिनांक 14 सितंबर, 2020 को केंद्रीय हिंदी संस्थान, मुख्यालय आगरा द्वारा एक दिवसीय विशेष ऑनलाइन व्याख्यानमाला - 'हिंदीतर क्षेत्रों में हिंदी के प्रचार-प्रसार एवं संवर्धन की चुनौतियाँ' का आयोजन।

  • शिक्षक दिवस के अवसर पर दिनांक 05 सितंबर, 2020 को केंद्रीय हिंदी संस्थान, मुख्यालय आगरा द्वारा एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार - 'शिक्षकों से संवाद' कार्यक्रम - 'हिंदी शिक्षकों के समक्ष चुनौतियाँ' का आयोजन।

केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद क्षेत्रीय केंद्र के नवनिर्मित भवन का उद्घाटन

केंद्रीय हिंदी संस्थान हैदराबाद क्षेत्रीय केंद्र के नवनिर्मित भवन का ऑनलाइन उद्घाटन श्री रमेश पोखरियाल निशंक, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार के कर कमलों से दिनांक 05 अक्टूबर, 2020 को संपन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता तेलंगाना सरकार के श्रम, रोज़ग़ार और महिला एवं बाल विकास मंत्री श्री सी.एच.मल्लारेड्डी ने की।

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गांधी जयंती पर अहमदाबाद केंद्र द्वारा ई-विचार-गोष्ठी का आयोजन

गांधी जयंती के अवसर पर दिनांक 02 अक्टूबर, 2020 को केंद्रीय हिंदी संस्थान, अहमदाबाद क्षेत्रीय केंद्र द्वारा एक दिवसीय ई-विचार-गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें गुजरात के विद्वन वक्ताओं ने अपने विचार रखे।

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हिंदी दिवस पर मुख्यालय आगरा द्वारा विशेष व्याख्यानमाला का आयोजन

हिंदी दिवस के अवसर पर दिनांक 14 सितंबर, 2020 को केंद्रीय हिंदी संस्थान, मुख्यालय आगरा द्वारा एक दिवसीय विशेष ऑनलाइन व्याख्यानमाला - 'हिंदीतर क्षेत्रों में हिंदी के प्रचार-प्रसार एवं संवर्धन की चुनौतियाँ' का आयोजन।


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शिक्षक दिवस पर मुख्यालय आगरा द्वारा एक दिवसीय राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी

शिक्षक दिवस के अवसर पर दिनांक 05 सितंबर, 2020 को केंद्रीय हिंदी संस्थान, मुख्यालय आगरा द्वारा एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार - 'शिक्षकों से संवाद' कार्यक्रम - 'हिंदी शिक्षकों के समक्ष चुनौतियाँ' का आयोजन किया गया।

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