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जलबिन्दुनिपातेन क्रमशः पूर्यते घटः।
स हेतुः सर्वविद्यानां धर्मस्य च धनस्य च॥४२॥
अन्वयः-
जलबिन्दुनिपातेन क्रमशः घटः पूर्यते सर्वविद्यानाम् धर्मस्य च धनस्य च सः हेतुः।
अनुवादः-
पानी की बूंदों के गिरने से धीरे-धीरे घड़ा भर जाता है। सभी विद्याओं, धार्मिक गुणों और धन की प्राप्ति के मामले में भी ऐसा ही है।