🙏This site is under construction. 🙏Please co-operate with us.🙏
उत्सवे व्यसने चैव दुर्भिक्षे राष्ट्रविप्लवे।
राजद्वारे श्मशाने च यस्तिष्ठति स बान्धवः ॥१५॥
अन्वयः-
उत्सवे व्यसने च एव दुर्भिक्षे राष्ट्रविप्लवे राजद्वारे श्मशाने च यः तिष्ठति सः बान्धवः।
अनुवादः-
देश के विद्रोह में अकाल में प्रतिकूलता में उत्सव में जो राजा के द्वार पर और श्मशान में हो, वह कुटुम्बी है।