गुरुकुल पावन, कला-कुंजवन
तपोभूमि महिमामय।
ज्ञान-सदन, विज्ञान-निकेतन
जयति विश्वविद्यालय।
राजस्थान विश्वविद्यालय॥
धर्म प्रतिष्ठा अखिल विश्व की
यह उद्घोष हमारा।
जले चेतना–दीप यहीं पर
तोड़ तिमिर की कारा।
कर्मक्षेत्र यह आदर्शों का, संस्कृति का सूर्योदय।
ज्ञान–सदन, विज्ञान–निकेतन जयति विश्वविद्यालय।
राजस्थान विश्वविद्यालय॥
इस नंदन–वन के सौरभ को
दिशि–दिशि में फैलायें।
कर्मठ तन में निर्मल मन का
नव आलोक जगायें।
शान 'गुलाबी नगरी' की है इसका प्रांगण निर्भय।
ज्ञान–सदन, विज्ञान निकेतन, जयति विश्वविद्यालय।
राजस्थान विश्वविद्यालय॥
राजस्थान विश्वविद्यालय॥
रचयिता
डॉ॰ हरिराम आचार्य