पाइथोगोरस (Pythagoras, लगभग 570–495 ई.पू.) एक यूनानी दार्शनिक, गणितज्ञ और आध्यात्मिक गुरु माने जाते हैं। उनका प्रभाव केवल गणित तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने संगीत, दर्शन और गुप्त पंथ (Orphic traditions) में भी गहरी छाप छोड़ी। उनकी शिक्षाओं का सबसे महत्वपूर्ण पहलू था संख्याओं को ब्रह्मांड का आधार मानना।
## पाइथोगोरस का दर्शन
पाइथोगोरस और उनके अनुयायी मानते थे कि **संख्या ही सृष्टि का मूल तत्व** है। उनका कहना था कि ब्रह्मांड में हर वस्तु और घटना को संख्या द्वारा व्यक्त किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, संगीत के सुर (Harmony) और तारों की गति (Celestial movements) को भी संख्यात्मक अनुपातों से समझाया जा सकता है।
## संख्या विज्ञान (Numerology) पर प्रभाव
पाइथोगोरस को आधुनिक संख्या विज्ञान (Pythagorean Numerology) का जनक माना जाता है। उन्होंने संख्याओं को विशेष गुण और प्रतीकात्मक अर्थ दिए:
* **संख्या 1**: नेतृत्व और सृजन शक्ति
* **संख्या 2**: सामंजस्य और सहयोग
* **संख्या 3**: रचनात्मकता और अभिव्यक्ति
* **संख्या 4**: स्थिरता और मेहनत
* **संख्या 5**: स्वतंत्रता और साहस
* **संख्या 6**: संतुलन और जिम्मेदारी
* **संख्या 7**: आध्यात्मिकता और ज्ञान
* **संख्या 8**: शक्ति और सफलता
* **संख्या 9**: करुणा और मानवता
इस प्रणाली ने बाद में यूरोप और विश्व के कई हिस्सों में रहस्यवाद (Mysticism) और अंक-आधारित अध्ययनों को प्रेरित किया।
## गणित और ज्यामिति में योगदान
हालाँकि पाइथोगोरस के बारे में अधिकांश जानकारी बाद के लेखकों से मिलती है, परंतु उन्हें **पाइथागोरस प्रमेय** (Pythagorean Theorem) के लिए प्रसिद्धि मिली। उन्होंने त्रिकोणमिति और ज्यामिति को भी लोकप्रिय बनाया, जिससे ग्रीक गणित का विकास हुआ।
## निष्कर्ष
पाइथोगोरस केवल गणितज्ञ ही नहीं बल्कि दार्शनिक और रहस्यवादी भी थे। उनकी सोच ने संख्या विज्ञान को जन्म दिया और यह परंपरा आज भी ज्योतिष, अंक ज्योतिष (Numerology) और आध्यात्मिक अध्ययनों में प्रयोग की जाती है।