8-Dec-2018
मैने सोचा कि मैं लिखूं कि प्रामाणिक समूह कैसे शुरू हुआ, और इसने अभी तक क्या किया, कैसे किया और क्यों किया?
२०१५ जयपुर चतुर्मास में मैं मुनि श्री प्रमाण सागर महाराज जी के दर्शन करने गया। वहां महाराज श्री जी के पहली बार दर्शन किये - उनसे चर्चा करने का समय तो थोङा सा ही मिला, मगर वहां सचिन भैया से मुलाकात हुई। वो धर्म के प्रचार के लिये एक मोबाईल ऐप्प के बारे में कार्य शुरू करने वाले थे। उनके विचार बङे अच्छे लगे, वहीं प्रीति जी भी आई थी..और उनसे भी इस बारे में कुछ बात हुई। सचिन भैया ने उस दिशा में काम शुरू कर दिया, और मैं जयपुर से वापस आ गया। उस समय मुझे पता नहीं था कि मै भी इसी दिशा में आगे काम करने वाला हूं।
समय बीतता गया। ८ महीने बाद मेरे को विचार आया कि - महाराज श्री के वचन सब उम्र के लोगो को पसन्द आते हैं - क्यों ना महाराज श्री के शंका समाधान को अलग अलग क्लिपस में विभाजित किया जाये और शीर्षक देकर यूट्यूब पर डाला जाये। इससे वो searchable भी हो जायेंगे और युवा वर्ग भी इससे जुङ जायेगा। मैने एक दम दो मित्रो को फ़ोन किया - उन दोनो के नाम सिद्धार्थ थे.. एक भैया देहली से थे, और दूसरे मुम्बई से। उन दोनो को बात जम गयी। और कुछ ही दिनो में हमने १०-१५ क्लिप युट्यूब पर डाल दी।
हमें बङा उत्साह हुआ। तभी प्रीति जी का अजमेर चतुर्मास में महाराज श्री जी के यहां जाने का योग बना। मैं उस समय हस्तिनापुर में था.. तो हमने उनसे कहा कि महाराज श्री जी को ये क्लिप्स दिखाई जायें। महाराज श्री जी ने देखते ही कहा कि सचिन भैया इस पर पहले से ही काम कर रहे हैं। यह जानके हमारा उत्साह ओर बङ गया।
सचिन भैया से बात हुई तो पता पङा कि उन्होने मोबाइल ऐप्प ’प्रामाणिक’ भी विकसित कर ली थी और वो हर दिन के शंका समाधान की २०-२५ क्लिप बनवाके youtube पर डालते जा रहे हैं। तो हमने सोचा इससे बढ़िया क्या हो सकता है। … उन्होने कहा शीर्षक डालने का काम अभी करना है।
तो अब हम पांच लोग हो गये। और हमने इस पर काम करना शुरू कर दिया। प्रामाणिक ऐप्प से कई लोगो ने सन्देश भेजा हुआ था कि वो स्वयंसेवक की तरह काम करना चाहते हैं। सचिन भैया ने उनकी सूचि निकाली और हमने उन सबको सम्पर्क करना शुरु कर दिया और देखते ही देखते ३०-३५ लोगो का समूह बन गया।
प्रीति जी ने training videos बनाने शुरू किये, और सिद्धार्थ भैया देहली ने उसके लिये google spreadsheets में सारे data को व्यवस्थित करना शुरु किया.. और काम चल पङा।
नये नये लोग जुङते चले गये। मुम्बई से, पुणे से.. अलग अलग जगह से इतने बढ़िया लोग जुङे.. और हर व्यक्ति से मेरे को कुछ ना कुछ सीखने को मिला।
२०१६ के उदयपुर चतुर्मास में मैं महाराज श्री के दर्शन करने पहुंचा। और एक नयी ऊर्जा का संचार हुआ। वहां जिनालय में प्रभु के सामने बैठे मेरे को प्रेरणा हुई.. कि कैसे इस धरती पर फ़िर से स्याद्वाद की ध्वजा लहराये.. कैसे लोगो का जीवन सुख से भर जाये.. कैसे सबका कल्याण हो ।महाराज श्री जी की बहुत प्रेरणा हुई.. उसके बाद और लोग जुङते चले।
अमेरिका और सिंगापुर से भी नये लोग जुङे। इन्होने बहुत कार्य में मदद करी। अंकित भैया आगरा से जुङे , जिन्होने IT का बहुत सारा काम सम्भाल लिया।
एक व्यक्ति जुङे हमारे साथ - मनोज भैया देहली से। हमें लगा कि वो नये volunteer हैं, मगर वो एक छुपे रूस्तम निकले। भिण्डर में २०१७ की दिसम्बर में उनसे मुलाकात हुई तो पता पङा कि वो तो सबसे पहले से महाराज श्री से जुङे हुवे है और करीब १०-१२ साल से munipramansagar.net voluntarily चला रहे हैं। पूरे प्रमाणिक समूह में कार्यरत स्व्यंसेवको में सबसे पहले स्वयंसेवक! मनोज भैया से मुझे विनम्रता सीखने को मिली.. उन्होने इतना कार्य किया, लेकिन फ़िर भी खुद से अपने बारे में नहीं बताया.. उनके बारे औरो से पता पङा।
मेरे को corporate में कार्य करने का अनुभव तो था, मगर एक volunteer set up में काम करने का नहीं था। कैसे लोगो को उत्साहित करके, एक ही दिशा में एक ही लक्ष्य की और कैसे बङा जाये। बहुत ठोकरे भी खाई.. गिरे.. गिर कर के उठे.. फ़िर गिरे.. फ़िर उठे.. हर अनुभव एक नयी सीख देता चला गया।
अब अपना काम भी मात्र क्लिप्स तक सीमित नहीं रह गया था। हम उन क्लिप्स को facebook पर भी डालते, एक whatsapp distribution list भी शुरू कर दी थी, articles लिखने का काम, महाराज श्री जी के प्रवचनो को लिखने का काम- जिस पर दो किताबे अभी तक छप चुकी हैं, महाराज श्री के प्रवचनो से quotes निकालने का काम, website सुधारने का कार्य.. ये सब काम ले लिये। टीम में सक्रिय लोग भी ५० से ऊपर हो गये थे। 2 level hierarchy टीम में बन चुकी थी।
एक काम हमने और किया.. वो बच्चो के लिये अच्छी अच्छी छोटी से graphical videos बनाने का काम। यह लोगो ने बहुत पसन्द किया। प्रीति जी ने इसकी शुरूआत करी.. और हमने उन्हे पूरा समर्थन दिया इस काम को आगे ले जाने के लिये।
आज इतने सारे लोग हैं.. जो एक पूरा परिवार सा लगता है। जिनमें परस्पर में गजब का वात्सल्य है.. एक ही दिशा है.. एक ही लक्ष्य है.. जो हैं तो अलग अलग .. मगर फ़िर भी एक ही हैं..!
-श्रीश
11-Dec-2018
इस समूह में जुड़ना तो life का turning point बन गया भावों की विशुद्धि का।
clip titling के लिए गुरु-सम्बोधन ध्यान से सुनना फिर उसके title के बारे सोचना, Shipra Ji के साथ प्रवचन लिखते समय एक ही प्रवचन को 5-6 बार check करना, आकांक्षा जी के direction में Article लिखते समय कैसे उसे सुंदर लिखा जाए तो मनो-मस्तिष्क मे बार-बार गुरु सम्बोधन को विचार करना, ये सब करते-करते गुरु वाणी हृदय के भाव बन गए और भावों में विशुद्धि और दृढ़ता आती गई…
फिर Shrish भैया के साथ बालबोध भाग-1 पर काम करते-करते स्वाध्याय भी की, तीर्थंकर और पाँच कल्याणक पर काम करते हुए समवशरण तो जैसे बहुत कुछ याद हो गया।
मेरी माँ बोलती है कि द्रव्य-क्षेत्र की प्रतिकूलता होते हुए भी (ना मंदिर, ना गुरु, ना साधर्मी भाई-बंधु etc.) इस समूह से जुड़कर बहुत ज्ञान प्राप्त किया। हालाँकि हम धर्म प्रभावना के एक लक्ष्य के लिए जुड़े हैं, किसी और का जीवन परिवर्तित हुआ यह तो पता नहीं पर स्वयं का तो हो ही गया।
12-Dec-2018
हम सपरिवार सवाई माधोपुर में पंचकल्याणक हेतु गए थे परमपूज्य सुधासागरजी महाराजजी के चरणों में जहा हमारे मंदिरजी के श्री सुपार्श्वनाथ भगवान के प्रतिमा के भी पंचकल्याणक होने थे.. मै, मेरी माँ , धर्मपत्नी और बेटा। वहा जिज्ञासा समाधान कार्यक्रम में बैठे थे और मेरे बाजु में एक अंकलजी बैठे थे. जिज्ञासा समाधान में मैंने कुछ जिज्ञासा पूछी..फिर अंकल जी ने भी पूछी, हमारा परिचय हुआ.. और उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ के मै अपने परिवार सहित और छोटेसे ३ साल के बालक सहित पंचकल्याणक में सम्मिलित हुआ हूँ.. और जब उन्हें पता चला के मै पुणे से हूँ.. और जैन सोसाइटी में रहता हूँ, तो उन्होंने कहा.. क्या आप श्रीशजी को जानते हो.. जो USA से वापिस आकर इधर पुणे में एक जैन सोसाइटी में रहते है और धर्म प्रभावना के कार्य में लगे हुए है.. और उनकी बेटी भी श्रीश जी के साथ उस महान कार्य का हिस्सा है और उन्हें धर्म से जुड़े लोगों को इस कार्य में जोड़ना है.. मैंने तुरंत हाँ कह दिया और उनसे फ़ोन नंबर एक्सचेंज हुआ..
पंचकल्याणक के बाद ३-४ माह का समय बिता और एक रात मेरे मोबाइल पर USA से किसी ने कॉल किया.. मै सोच में पड़ गया के किसका कॉल हो सकता है?
जैसे ही फ़ोन रिसीव किया तोह पहले "जय जिनेन्द्र" की आवाज कानों में पड़ी.. मै और भी अचम्भे में पड़ा.. USA से जय जिनेन्द्र कौन सी दीदी कर रही है..
वह फ़ोन था प्रीती दीदीजी का.... जी हाँ..वही प्रीती दीदीजी जिनकी आवाज आजकल हर बच्चे को स्टोरीज के माध्यम से सुनाई देती है और भा जाती है..
उन्होंने कहा की उन्हें मेरा नंबर उनके पापाजी ने दिया। .... तब मुझे समझ आया के कंवर अंकलजी याने जो मुझे सवाईमाधोपुर में मिले थे.. प्रीती दीदी उनकी सुपुत्री है.. और इस तरह से मैं प्रोजेक्ट से जुड़ा.. बहुत बहुत आभारी हूँ मै प्रीती दीदी और उनके पापाजी का.. जिनके कारन मै प्रोजेक्ट से जुड़ा.. फिर श्रीश भैया के मार्गदर्शन में मैंने थोड़ा बहुत titling का काम किया.. मगर पर्युषण पर्व के बाद मै ज्यादा योगदान नहीं दे पाया।
एक और संयोग ये भी बना था के परम पूज्य प्रमाण सागरजी महाराजजी के प्रथम बार दर्शन का अवसर भी उसी यात्रा के दौरान धर्म नगरी किशनगढ़ में मिला था और एक प्रकार का आशीर्वाद ही प्राप्त हुआ गुरूजी का... तब मुझे ज्ञात भी नहीं था के ऐसा कोई कार्य हो रहा है... और कुछ ही दिनों में मै भी इसका हिस्सा हो जाऊंगा..
शुरुवाती दिनों में सिद्धार्थ भाई, प्रीती दीदी, चारु दीदी, सचिन भाई आदि आदि से बहुत कुछ सीखने को मिला और इन सब के कारण थोड़ी बहुत धर्म प्रभावना का हिस्सा बनने को मिला..
13-Dec-2018
Feeling nostalgic after reading this blog! मनोज भैया has been associated with Maharaj ji from incredible 22 years!! What a humility to stay away from all limelight! He laid the foundation of Pramanik activities in IT by starting the website about 12 years ago. Then he was joined by our 2nd oldest (not eldest though) team member who conceived the idea of Pramanik App and envisioned/kickstarted many technical initiatives with regards to Pramanik activities -- Sachin Bhaiya. He had already laid the foundation of "Best of Shanka Samadhan" by breaking the program into small clips and creating a huge repository.
Rest is history! We all came in titled/refined these clips and then Shrish Ji's creative mind gave birth to many other projects. We have had huge technical support from our tech experts like Saurabh Bhaiya (Sachin Ji's brother), Siddharth Bhaiya, Meha and our young n bright Ankit (Agra). Our latest team has many dedicated, cheerful active members like Ankita, Achintya Bhaiya, Neeta ji, Shailesh Bhaiya, Rangoli Didi, Akanksha Ji, Vaibhav Paratwar bhaiya, Shubham bhaiya and many more working away from the spotlight. Sincere anumodna for your hard work, pure intentions and bhaavna! 🙏. May we all continue to be together in spreading the cause of Ahinsa!