विभिन्न प्रकार की विविधताओं एवं भिन्नताओं को एक समरस धागे में बांधे भारत देश में सुशासन प्रदान करना एक जटिल चुनौती है। इस चुनौती से पार पाने हेतु आवश्यक प्रशासन तंत्र के सूत्रधारों का चयन भी चुनौतीपूर्ण कार्य हैं। स्वतंत्रता के सात दशक बाद भी देश की प्रशासन व्यवस्था अंग्रेजों द्वारा रचित ICS पद्धति पर ही आधारित है। चयन परीक्षा भी ब्रिटिश काल के अनुरूप ही चली आ रही थी। न्यास का मानना है की इस प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन की है। इसी दिशा में न्यास के प्रयासों के परिणामस्वरूप भारत सरकार ने बी एस बासवान समिति का गठन किया था। इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए राज्यों में भी परीक्षा प्रणाली में सुधार हेतु न्यास का प्रकल्प कार्यरत है।
प्रकल्प के ध्येय वाक्य ‘संवाद-सुझाव-सुधार' को कृति में लाते हुए छात्रों से संवाद कर, विद्वानों से चर्चा कर सुझाव एकत्रित कर उनको उचित पटल तक ले जाने का कार्य कर इन परीक्षाओं में अनुपलब्ध शिकायत निवारण व्यवस्था की दिशा में कार्यरत हैं।
सम्पूर्ण देश की प्रतियोगी परीक्षाओं में व्याप्त भाषायी पूर्वाग्रह, अतार्किकता एवं भेदभाव को समाप्त कर परीक्षाओं को तर्कसंगत, सक्षम एवं पारदर्शी बनाने हेतु न्यास कृत संकल्प है। हमारी मूल मान्यता है कि भारतीय भाषाओं में अध्ययन करने वाले छात्रों को सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में "Level Playing Field" मिले तथा सभी परीक्षाएं सेवा की आवश्यकताओं के अनुरूप अभ्यर्थियों का न्यायसंगत व पारदर्शी तरीके से चयन कर सकें।
इस कार्य हेतु हमने सम्पूर्ण देश से शिक्षाविदों, वर्तमान एवं पूर्व अधिकारियों व छात्रों की टोलियाँ गठित की है। इसके माध्यम से हम हर परीक्षा प्रणाली का विश्लेषण करते है, विभिन्न स्थानों पर बैठक व कार्यशाला आयोजित कर समस्याएं व सुझाव प्राप्त कर विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में सुधार का प्रयास करते है। साथ ही सूचना के अधिकार के माध्यम से किसी परीक्षा की सम्पूर्ण जानकारी, वह किस समिति की अनुशंसा पर बनी, उसकी पूरी रिपोर्ट, किसी प्रणाली में परिवर्तन हेतु लिए गए निर्णय आदि प्राप्त कर उसका गहन अध्ययन कर उसमे अन्तर्निहित दोषों को सामने ला कर उन्हें दूर करने का प्रयास करते है। इस प्रकार आंदोलन, देशभर में छात्रों से संवाद, सूचना के अधिकार एवं न्यायलय के माध्यम से हम विभिन्न प्रतियोगी परिक्षों में सुधार हेतु सतत प्रयासरत है।
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