सनी कुमार हिंदी मास्टर
भाषा किसे कहते हैं :-
भाषा वह माध्यम है, जिसके द्वारा कोई भी व्यक्ति लिखकर, बोलकर, तथा सांकेतिक रूप से , अपने मन के भावों, विचारों या बातो का आदान-प्रदान करता है।
दूसरे शब्दों में- भाषा वह माध्यम जिसके द्वारा हम अपने भावों को लिखित, कथित अथवा सांकेतिक रूप से दूसरों को समझा सके और दूसरों के भावो तथा विचारों को समझ सके उसे हम भाषा कहते है।
सामान्य शब्दों में- भाषा मनुष्य की सार्थक व्यक्त वाणी को कहते है।
भाषा शब्द संस्कृत के भाष धातु से बना है। जिसका अर्थ है- बोलना।
भाषा को कुछ उदाहरण के साथ समझते हैं ⤵
जैसे ऑफिस में मालिक अपनी बात बोलकर समझाते हैं और कर्मचारी सुनकर उनकी बात समझते हैं। भाई पिता से बोलकर अपने मन के भाव प्रकट करता है और वे उसकी बात सुनकर समझते हैं। इसी प्रकार, कर्मचारी भी मालिक द्वारा समझाई गई बात को लिखकर प्रकट करते हैं और मालिक उसे पढ़कर मूल्यांकन करते हैं।
सभी मनुष्यॉ द्वारा मन के भावों का आदान-प्रदान करने के लिए भाषा का प्रयोग किया जाता है।जानवरो की बोलियों को भाषा नहीं कहा जाता। इसके द्वारा मनुष्य के भावो, विचारो और भावनाओ को व्यक्त किया जाता है।
भाषा की परिभाषा:-
वैसे तो भाषा की परिभाषा देना एक कठिन कार्य है। फिर भी अलग – अलग भाषा विशेषज्ञॉ ने अपने – अपने तरीके से इसे परिभाषित किया हैं। किन्तु ये परिभाषा पूर्ण नही है। हर में कुछ न कुछ त्रुटि पायी जाती है।
आचार्य देवनार्थ शर्मा के अनुसार:- उच्चरित ध्वनि संकेतो की सहायता से भाव या विचार की पूर्ण अथवा जिसकी सहायता से मनुष्य परस्पर विचार-विनिमय या सहयोग करते है उस यादृच्छिक, रूढ़ ध्वनि संकेत की प्रणाली को भाषा कहते है।
डॉ शयामसुन्दरदास के अनुसार :- मनुष्य और मनुष्य के बीच वस्तुओ के विषय अपनी इच्छा और मति का आदान प्रदान करने के लिए व्यक्त ध्वनि-संकेतो का जो व्यवहार होता है, उसे भाषा कहते है।
डॉ बाबुराम सक्सेना के अनुसार:- जिन ध्वनि-चिंहों द्वारा मनुष्य परस्पर विचार-बिनिमय करता है उसको समष्टि रूप से भाषा कहते है।
उपर्युक्त परिभाषाओं से निम्नलिखित निष्कर्ष निकलते है-
1. भाषा में ध्वनि-संकेतों का परम्परागत और रूढ़ प्रयोग होता है।
2. भाषा के सार्थक ध्वनि-संकेतों से मन की बातों या विचारों का विनिमय होता है।
3. भाषा के ध्वनि-संकेत किसी समाज या वर्ग के आन्तरिक और ब्राह्य कार्यों के संचालन या विचार-विनिमय में सहायक होते हैं।
4. हर वर्ग या समाज के ध्वनि-संकेत अपने होते हैं, दूसरों से भित्र होते हैं।
भाषा के मुख्य भेद
1. मौखिक भाषा
2. लिखित भाषा
3. सांकेतिक भाषा।
1. मौखिक भाषा
जब कोई व्यक्ति बोलकर अपनी बातो, भावनाओं, विचारों को किसी अन्य व्यक्ति तक पंहुचाता हैं, तथा अन्य व्यक्ति इसे सुनकर समझ पाता हैं तो यह मौखिक भाषा कहलाती हैं।
अन्य शब्दों मे :- भाषा का वह रूप जिसमें एक व्यक्ति बोलकर विचार प्रकट करता है और दूसरा व्यक्ति सुनकर उसे समझता है, तो यह मौखिक भाषा कहलाती है।
इसे हम मौखिक भाषा के उदाहरण की मदद से समझते हैं।⤵️
किसी स्टेडियम मे में पर्वचन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता में वक्ताओं ने बोलकर अपने विचार प्रकट किए तथा श्रोताओं ने सुनकर उनका आनंद उठाया। यह भाषा का मौखिक रूप है। इसमें वक्ता बोलकर अपनी बात कहता है व श्रोता सुनकर उसकी बात समझता है।
Definition :- The form of language in which one person expresses an idea by speaking and another person hears it and understands it, then it is called oral language.
अन्य:-
टेलीफ़ोन, दूरदर्शन, भाषण, वार्तालाप, नाटक, रेडियो आदि।
मौखिक या उच्चरित भाषा, भाषा का बोल-चाल का रूप है। उच्चरित भाषा का इतिहास तो मनुष्य के जन्म के साथ जुड़ा हुआ है। मनुष्य ने जब से इस धरती पर जन्म लिया होगा तभी से उसने बोलना प्रारंभ कर दिया होगा। इसलिए यह कहा जाता है कि भाषा मूलतः मौखिक है। यह भाषा का प्राचीनतम रूप है। मनुष्य ने पहले बोलना सीखा। इस रूप का प्रयोग व्यापक स्तर पर होता है।
मौखिक भाषा की विशेषता
1. यह भाषा का अस्थायी रूप है।
2. उच्चरित होने के साथ ही यह समाप्त हो जाती है।
3. वक्ता और श्रोता एक-दूसरे के आमने-सामने हों प्रायः तभी मौखिक भाषा का प्रयोग किया जा सकता है।
4. इस रूप की आधारभूत इकाई ‘ध्वनि’ है। विभिन्न ध्वनियों के संयोग से शब्द बनते हैं जिनका प्रयोग वाक्य में तथा विभिन्न वाक्यों का प्रयोग वार्तालाप में किया जाता हैं।
5. यह भाषा का मूल या प्रधान रूप हैं।
2. लिखित भाषा
जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को अपनी बातो, विचारों तथा भावनाओं को लिखकर व्यक्त करता है या पहुँचाता और अन्य व्यक्ति इसे पढ़कर समझ पाता है तो इसे लिखित भाषा कहते है।
दूसरे शब्दों में- जिन अक्षरों या चिन्हों की सहायता से हम अपने मन के विचारो, बातो तथा भावनाओं को लिखकर प्रकट करते है, उसे लिखित भाषा कहते है।
अन्य शब्दों मे :- भाषा का वह रूप जिसमें एक व्यक्ति अपने विचार या मन के भाव लिखकर प्रकट करता है और दूसरा व्यक्ति पढ़कर उसकी बात समझता है, लिखित भाषा कहलाती है।
Definition :- When a person expresses or conveys his words, thoughts and feelings to another person by writing and the other person can read and understand it, then it is called Likhit bhasha.
इसे हम लिखित भाषा के उदाहरण की मदद से समझते हैं।⤵️
Hashim विदेश में रहता है। उसने मैसेज लिखकर अपने घरवालों को अपनी अपनी स्तिथि की जानकारी दी। घरवालों ने मैसेज पढ़कर जानकारी प्राप्त की। यह भाषा का लिखित रूप है। इसमें एक व्यक्ति लिखकर विचार या भाव प्रकट करता है, दूसरा पढ़कर उसे समझता है।
अन्य:- उदाहरण ⤵️
पत्र, लेख, पत्रिका, समाचार-पत्र, कहानी, जीवनी, संस्मरण, तार, सोशल मीडिया आदि।
इस तरह विभिन्न भाषा-भाषी समुदायों ने अपनी-अपनी भाषिक ध्वनियों के लिए तरह-तरह की आकृति वाले विभिन्न लिखित-चिह्नों का निर्माण किया और इन्हीं लिखित-चिह्नों को ‘वर्ण’ (letter) कहा गया। अतः जहाँ मौखिक भाषा की आधारभूत इकाई ध्वनि (Phone) है तो वहीं लिखित भाषा की आधारभूत इकाई ‘वर्ण’ (letter) हैं।
लिखित भाषा की विशेषता
लिखित भाषा की कुछ प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
1. यह भाषा का स्थायी रूप है।
2. इस रूप में हम अपने भावों और विचारों को अनंत काल के लिए सुरक्षित रख सकते हैं।
3. यह रूप यह अपेक्षा नहीं करता कि वक्ता और श्रोता आमने-सामने हों।
4. इस रूप की आधारभूत इकाई ‘वर्ण’ हैं जो उच्चरित ध्वनियों को अभिव्यक्त (represent) करते हैं।
5. यह भाषा का गौण रूप है।
6. हमें इस बात ध्यान रखना चाहिए की भाषा का मौखिक रूप हीं प्रधान है। क्योंकि अगर कोई व्यक्ति पढ़ा लिखा न हो तो भी हम यह नही कह सकते है की उसे भाषा नहीं आती क्योंकि यह सब वह बोलकर भी समझा सकता है या व्यक्त कर सकता है।
3. संकेतिक भाषा
जब कोई व्यक्ति संकेतो के माध्यम से अपनी बातो, विचारों तथा भावनाओं को अन्य व्यक्ति को समझा पाता है तो इसे सांकेतिक भाषा कहते हैँ।
अन्य शब्दो मे :- जिन संकेतो के द्वारा बच्चे या गूँगे अपनी बात दूसरों को समझाते है, वे सब सांकेतिक भाषा कहलाती है।
दूसरे शब्दों में- जब संकेतों (इशारों) द्वारा बात समझाई और समझी जाती है, तब वह सांकेतिक भाषा कहलाती है।
अब हम इसे उदाहरण की मदद से समझते हैँ ⤵️
जैसे- चौराहे पर खड़ा यातायात नियंत्रित करता सिपाही, मूक-बधिर व्यक्तियों का वार्तालाप आदि।
Note :- इसका अध्ययन व्याकरण में नहीं किया जाता।
इससे सम्बंधित पूछे जाने वाले सवाल⤵️
भाषा के कितने रूप होते हैं
भाषा के कितने भेद होते हैं
तो दोस्तों ऊपर दिए गये सभी क्वेश्चन समान है, बस पूछने तरीका अलग इसलिए इनके answer भी एक हीं है जो आप लोग ऊपर पढ़ चुके हो।
भाषा की प्रकृति
भाषा हवाओ की तरह सदा चलती-बहती रहती है।
भाषा के अपने गुण या स्वभाव को भाषा की प्रकृति कहते हैं।
हर भाषा की अपनी प्रकृति, आंतरिक गुण-अवगुण होते है।
भाषा एक सामाजिक शक्ति है, जो मनुष्य को प्राप्त होती है।
मनुष्य भाषा को अपने पूवर्जो से सीखता है और उसका विकास करता है।
भाषा परम्परागत और अर्जित दोनों है।
भाषा के दो रूप है- कथित और लिखित।
हम इसका प्रयोग कथन के द्वारा, अर्थात बोलकर और लेखन के द्वारा (लिखकर) करते हैं।
देश और काल के अनुसार भाषा अनेक रूपों में बँटी है। यही कारण है कि संसार में अनेक भाषाएँ प्रचलित हैं। भाषा वाक्यों से बनती है, वाक्य शब्दों से और शब्द मूल ध्वनियों से बनते हैं। इस तरह वाक्य, शब्द और मूल ध्वनियाँ ही भाषा के अंग हैं।
व्याकरण में इन्हीं के अंग-प्रत्यंगों का अध्ययन-विवेचन होता है।
अतएव, व्याकरण भाषा पर आश्रित है।
लिपि किसे कहते हैं :-
लिपि शब्द का अर्थ होता है ‘लिपना’ या ‘पोतना’ विचारो का लिपना अथवा लिखना ही लिपि कहलाता है।
दूसरे शब्दों में- भाषा की उच्चरित/मौखिक ध्वनियों को लिखित रूप में अभिव्यक्त करने के लिए निश्चित किए गए चिह्नों या वर्णों की व्यवस्था को लिपि कहते हैं।
हिंदी और संस्कृत भाषा की लिपि देवनागरी है। अंग्रेजी भाषा की लिपि रोमन पंजाबी भाषा की लिपि गुरुमुखी और उर्दू भाषा की लिपि फारसी है।
मौखिक या उच्चरित भाषा को स्थायित्व प्रदान करने के लिए भाषा के लिखित रूप का विकास हुआ। प्रत्येक उच्चरित ध्वनि के लिए लिखित चिह्न या वर्ण बनाए गए। वर्णों की पूरी व्यवस्था को ही लिपि कहा जाता है। वस्तुतः लिपि उच्चरित ध्वनियों को लिखकर व्यक्त करने का एक ढंग है।
किसी भी भाषा को एक से अधिक लिपियों में लिखा जा सकता है तो दूसरी ओर कई भाषाओं की एक ही लिपि हो सकती है अर्थात एक से अधिक भाषाओं को किसी एक लिपि में लिखा जा सकता है। उदाहरण के लिए हिंदी भाषा को हम देवनागरी तथा रोमन दोनों लिपियों में इस प्रकार लिख सकते हैं-
देवनागरी लिपि – मै अच्छा लड़का हूँ
रोमन लिपि – main achha ladka hun.
ऊपर के उदाहरण मे हम ने भाषा को देवनागरी लिपि और रोमन लिपि दोनों मे लिखा।
लिपि के प्रकार
लिपि मुख्यत 9 प्रकार की होती हैँ।
देवनागरी लिपि (devnagri lipi)
ब्राह्मी लिपि ( brahmi lipi )
गुरुमुखी लिपि(gurumukhi lipi)
फ़ारसी लिपि (farsi lipi)
अरबी लिपि ( arbi lipi )
उड़िया लिपि (udiya lipi )
बांग्ला लिपि ( Bangla lipi)
रोमन लिपि ( roman lipi )
तमिल लिपि (tamil lipi )
देवनागरी लिपि |devnagri lipi
देवनागरी लिपि में बायीं ओर से दायीं ओर लिखा जाता है। यह एक वैज्ञानिक लिपि है। यह एक मात्र ऐसी लिपि है जिसमें स्वर तथा व्यंजन ध्वनियों को मिलाकर लिखे जाने की व्यवस्था है।
Devanagri Lipi in hindi :- संसार की समस्त भाषाओं में व्यंजनों का स्वतंत्र रूप में उच्चारण स्वर के साथ मिलाकर किया जाता है पर देवनागरी के अलावा विश्व में कोई भी ऐसी लिपि नहीं है जिसमें व्यंजन और स्वर को मिलाकर लिखे जाने की व्यवस्था हो।
यही कारण है कि देवनागरी लिपि अन्य लिपियों की तुलना में अधिक वैज्ञानिक लिपि है।
देवनागरी लिपि से हिंदी,संस्कृत,मराठी, नेपाली,गुजराती आदि भाषाओं का विकास हुआ है।
देवनागरी लिपि की विशेषता
Devnagri lipi की प्रमुख विशेषता निम्न हैँ ⤵️
आ (ा), ई (ी), ओ (ो) और औ (ौ) की मात्राएँ व्यंजन के बाद जोड़ी जाती हैं (जैसे- का, की, को, कौ); इ (ि) की मात्रा व्यंजन के पहले, ए (े) और ऐ (ै) की मात्राएँ व्यंजन के ऊपर तथा उ (ु), ऊ (ू),ऋ (ृ) मात्राएँ नीचे लगायी जाती हैं।
‘र’ व्यंजन में ‘उ’ और ‘ऊ’ मात्राएँ अन्य व्यंजनों की तरह न लगायी जाकर इस तरह लगायी जाती हैं- र् +उ =रु । र् +ऊ =रू ।
अनुस्वार (ां) और विसर्ग (:) क्रमशः स्वर के ऊपर या बाद में जोड़े जाते हैं; जैसे- अ+ां =अं। क्+अं =कं। अ+:=अः। क्+अः=कः।
स्वरों की मात्राओं तथा अनुस्वार एवं विसर्गसहित एक व्यंजन वर्ण में बारह रूप होते हैं। इन्हें परम्परा के अनुस्वार ‘बारहखड़ी’ कहते हैं।जैसे- क का कि की कु कू के कै को कौ कं कः। व्यंजन दो तरह से लिखे जाते हैं- खड़ी पाई के साथ और बिना खड़ी पाई के।
ङ छ ट ठ ड ढ द र बिना खड़ी पाईवाले व्यंजन हैं और शेष व्यंजन (जैसे- क, ख, ग, घ, च इत्यादि) खड़ी पाईवाले व्यंजन हैं। सामान्यतः सभी वर्णो के सिरे पर एक-एक आड़ी रेखा रहती है, जो ध, झ और भ में कुछ तोड़ दी गयी है।
जब दो या दो से अधिक व्यंजनों के बीच कोई स्वर नहीं रहता, तब दोनों के मेल से संयुक्त व्यंजन बन जाते हैं। जैसे- क्+त् =क्त । त्+य् =त्य । क्+ल् =क्ल ।
जब एक व्यंजन अपने समान अन्य व्यंजन से मिलता है, तब उसे ‘द्वित्व व्यंजन’ कहते हैं। जैसे- क्क (चक्का), त्त (पत्ता), त्र (गत्रा), म्म (सम्मान) आदि।
ब्राह्मी लिपि
यह सबसे प्राचीनतम लिपियों में से एक है इसी से देवनागरी लिपि का विकास हुआ है और देवनागरी लिपि से कई भाषाओं का विकास हुआ है।
उत्तरी शैली- गुप्त लिपि, कुटिल लिपि, शारदा लिपि, प्राचीन नागरी लिपि
प्राचीन नागरी लिपि: पूर्वी नागरी- मैथली, कैथी, नेवारी, बँगला, असमिया आदि।
पश्चिमी नागरी: गुजराती, राजस्थानी, महाराष्ट्री, महाजनी, नागरी या देवनागरी।
गुरुमुखी लिपि
इससे पंजाबी भाषा का विकास हुआ है।
फ़ारसी लिपि
इससे उर्दू भाषा का विकास हुआ है। इसमें दायी ओर से बायीं ओर लिखा जाता है।
अरबी लिपि
इससे कश्मीरी, उर्दू तथा सिंधी भाषा का विकास हुआ है।
उड़िया लिपि
इससे उड़िया भाषा का विकास हुआ है।
बांग्ला लिपि
इससे बंगाली भाषा का विकास हुआ है।
रोमन लिपि
इसे अंग्रेजी, जर्मन, फ्रेंच, फ्रांसीसी आदि भाषाओं का विकास हुआ है।
तमिल लिपि
इसे तमिल भाषा का विकास हुआ है।
नीचे की तालिका में विश्व की कुछ भाषाओं और उनकी लिपियों के नाम दिए जा रहे हैं-
क्रम भाषा लिपियाँ
1 हिंदी, संस्कृत, मराठी, नेपाली, बोडो देवनागरी
2 अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, स्पेनिश, इटेलियन, पोलिश, मीजो रोमन
3 पंजाबी गुरुमुखी
4 उर्दू, अरबी, फारसी फारसी
5 रूसी, बुल्गेरियन, चेक, रोमानियन रूसी
6 बँगला बँगला
7 उड़िया उड़िया
8 असमिया असमिया
मातृभाषा
मातृभाषा किसे कहते हैँ:- वह भाषा जिसे व्यक्ति अपने परिवार से अपनाता व सीखता है, मातृभाषा कहलाती है।
दूसरे शब्दों में:- कोई व्यक्ति जिस परिवार में जन्म लेता है, उस परिवार के सदस्यों द्वारा बोली जाने वाली भाषा को वह सबसे पहले सीखता है। इसलिए यही उसकी ‘मातृभाषा’ कहलाती है।
निचे हम इसे कुछ उदाहरण की मदद से समझते हैँ ⤵️
मातृभाषा – मुहम्मद हाशिम का जन्म राजस्थानी भाषी परिवार में हुआ है, इसलिए वह राजस्थानी बोलता है।
अन्य उदाहरण मे : मकसूद का जन्म तमिलभाषी परिवार में हुआ है, इसलिए वह तमिल बोलता है। राजस्थानी व तमिल उनकी मातृभाषाएँ हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल तथा उनके जवाब
Que1. bharat ki rashtrabhasha kaun si hai
Ans. bharat ke sanvidhan mein kisi bhi bhasha ko rashtrabhasha ke roop mein accept nahi kiya gya
Que2. सिक्किम की भाषा क्या है
Ans. सिक्किम की वैसे तो बहुत सी भाषाएँ है जैसे अंग्रेजी, नेपाली, लेप्चा, भूटिया, गुरूङ, लेपचा, लिंबू, मगर, मुखिया, नेपालभाषा, राई, शेर्पा, तामाङ, तथा हिन्दी आधिकारिक भाषाएँ हैं, लेकिन सबसे ज्यादा यहाँ पर अंग्रेजी भाषा ही बोली जाती है।
Que3. Hindi bhasha ki lipi kya hai
Ans. Devnagri lipi hindi bhasha ki lipi hai
Ques4. Bhasha ki sabse chhoti ikai kya hai
Ans. मौखिक भाषा के सन्दर्भ में सबसे छोटी इकाई “ध्वनी” है, तथा लिखित भाषा के सन्दर्भ में सबसे छोटी इकाई “ध्वनी” है।
Que5. Punjabi bhasha ki lipi kya hai
Ans. Gurumukhi lipi Punjabi bhasha ki lipi hai.
Que6. Angreji bhasha ki lipi kya hai
Ans. Roman lipi angreji bhasha ki lipi hai
Que7. Urdu bhasha ki lipi kya hai
Ans. Farsi lipi urdu bhasha ki lipi hai
Que8. Keral mein kaun si bhasha boli jaati hai
Ans. Keral mein Malayalam bhasha boli jaati hai
Que9. mahatma gandhi ki atmakatha kis bhasha mein hai
Ans. Gujarati bhasha mein
Que10. Bhasha kitne prakar ki hoti hai
Ans. Bhasha 3 prakar ki hoti hai
भाषा किसे कहते हैं :-
भाषा वह माध्यम है, जिसके द्वारा कोई भी व्यक्ति लिखकर, बोलकर, तथा सांकेतिक रूप से , अपने मन के भावों, विचारों या बातो का आदान-प्रदान करता है।
दूसरे शब्दों में- भाषा वह माध्यम जिसके द्वारा हम अपने भावों को लिखित, कथित अथवा सांकेतिक रूप से दूसरों को समझा सके और दूसरों के भावो तथा विचारों को समझ सके उसे हम भाषा कहते है।
सामान्य शब्दों में- भाषा मनुष्य की सार्थक व्यक्त वाणी को कहते है।
भाषा शब्द संस्कृत के भाष धातु से बना है। जिसका अर्थ है- बोलना।
भाषा को कुछ उदाहरण के साथ समझते हैं ⤵
जैसे ऑफिस में मालिक अपनी बात बोलकर समझाते हैं और कर्मचारी सुनकर उनकी बात समझते हैं। भाई पिता से बोलकर अपने मन के भाव प्रकट करता है और वे उसकी बात सुनकर समझते हैं। इसी प्रकार, कर्मचारी भी मालिक द्वारा समझाई गई बात को लिखकर प्रकट करते हैं और मालिक उसे पढ़कर मूल्यांकन करते हैं।
सभी मनुष्यॉ द्वारा मन के भावों का आदान-प्रदान करने के लिए भाषा का प्रयोग किया जाता है।जानवरो की बोलियों को भाषा नहीं कहा जाता। इसके द्वारा मनुष्य के भावो, विचारो और भावनाओ को व्यक्त किया जाता है।
भाषा की परिभाषा:-
वैसे तो भाषा की परिभाषा देना एक कठिन कार्य है। फिर भी अलग – अलग भाषा विशेषज्ञॉ ने अपने – अपने तरीके से इसे परिभाषित किया हैं। किन्तु ये परिभाषा पूर्ण नही है। हर में कुछ न कुछ त्रुटि पायी जाती है।
आचार्य देवनार्थ शर्मा के अनुसार:- उच्चरित ध्वनि संकेतो की सहायता से भाव या विचार की पूर्ण अथवा जिसकी सहायता से मनुष्य परस्पर विचार-विनिमय या सहयोग करते है उस यादृच्छिक, रूढ़ ध्वनि संकेत की प्रणाली को भाषा कहते है।
डॉ शयामसुन्दरदास के अनुसार :- मनुष्य और मनुष्य के बीच वस्तुओ के विषय अपनी इच्छा और मति का आदान प्रदान करने के लिए व्यक्त ध्वनि-संकेतो का जो व्यवहार होता है, उसे भाषा कहते है।
डॉ बाबुराम सक्सेना के अनुसार:- जिन ध्वनि-चिंहों द्वारा मनुष्य परस्पर विचार-बिनिमय करता है उसको समष्टि रूप से भाषा कहते है।
उपर्युक्त परिभाषाओं से निम्नलिखित निष्कर्ष निकलते है-
1. भाषा में ध्वनि-संकेतों का परम्परागत और रूढ़ प्रयोग होता है।
2. भाषा के सार्थक ध्वनि-संकेतों से मन की बातों या विचारों का विनिमय होता है।
3. भाषा के ध्वनि-संकेत किसी समाज या वर्ग के आन्तरिक और ब्राह्य कार्यों के संचालन या विचार-विनिमय में सहायक होते हैं।
4. हर वर्ग या समाज के ध्वनि-संकेत अपने होते हैं, दूसरों से भित्र होते हैं।
भाषा के मुख्य भेद
1. मौखिक भाषा
2. लिखित भाषा
3. सांकेतिक भाषा।
1. मौखिक भाषा
जब कोई व्यक्ति बोलकर अपनी बातो, भावनाओं, विचारों को किसी अन्य व्यक्ति तक पंहुचाता हैं, तथा अन्य व्यक्ति इसे सुनकर समझ पाता हैं तो यह मौखिक भाषा कहलाती हैं।
अन्य शब्दों मे :- भाषा का वह रूप जिसमें एक व्यक्ति बोलकर विचार प्रकट करता है और दूसरा व्यक्ति सुनकर उसे समझता है, तो यह मौखिक भाषा कहलाती है।
इसे हम मौखिक भाषा के उदाहरण की मदद से समझते हैं।⤵️
किसी स्टेडियम मे में पर्वचन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता में वक्ताओं ने बोलकर अपने विचार प्रकट किए तथा श्रोताओं ने सुनकर उनका आनंद उठाया। यह भाषा का मौखिक रूप है। इसमें वक्ता बोलकर अपनी बात कहता है व श्रोता सुनकर उसकी बात समझता है।
Definition :- The form of language in which one person expresses an idea by speaking and another person hears it and understands it, then it is called oral language.
अन्य:-
टेलीफ़ोन, दूरदर्शन, भाषण, वार्तालाप, नाटक, रेडियो आदि।
मौखिक या उच्चरित भाषा, भाषा का बोल-चाल का रूप है। उच्चरित भाषा का इतिहास तो मनुष्य के जन्म के साथ जुड़ा हुआ है। मनुष्य ने जब से इस धरती पर जन्म लिया होगा तभी से उसने बोलना प्रारंभ कर दिया होगा। इसलिए यह कहा जाता है कि भाषा मूलतः मौखिक है। यह भाषा का प्राचीनतम रूप है। मनुष्य ने पहले बोलना सीखा। इस रूप का प्रयोग व्यापक स्तर पर होता है।
मौखिक भाषा की विशेषता
1. यह भाषा का अस्थायी रूप है।
2. उच्चरित होने के साथ ही यह समाप्त हो जाती है।
3. वक्ता और श्रोता एक-दूसरे के आमने-सामने हों प्रायः तभी मौखिक भाषा का प्रयोग किया जा सकता है।
4. इस रूप की आधारभूत इकाई ‘ध्वनि’ है। विभिन्न ध्वनियों के संयोग से शब्द बनते हैं जिनका प्रयोग वाक्य में तथा विभिन्न वाक्यों का प्रयोग वार्तालाप में किया जाता हैं।
5. यह भाषा का मूल या प्रधान रूप हैं।
2. लिखित भाषा
जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को अपनी बातो, विचारों तथा भावनाओं को लिखकर व्यक्त करता है या पहुँचाता और अन्य व्यक्ति इसे पढ़कर समझ पाता है तो इसे लिखित भाषा कहते है।
दूसरे शब्दों में- जिन अक्षरों या चिन्हों की सहायता से हम अपने मन के विचारो, बातो तथा भावनाओं को लिखकर प्रकट करते है, उसे लिखित भाषा कहते है।
अन्य शब्दों मे :- भाषा का वह रूप जिसमें एक व्यक्ति अपने विचार या मन के भाव लिखकर प्रकट करता है और दूसरा व्यक्ति पढ़कर उसकी बात समझता है, लिखित भाषा कहलाती है।
Definition :- When a person expresses or conveys his words, thoughts and feelings to another person by writing and the other person can read and understand it, then it is called Likhit bhasha.
इसे हम लिखित भाषा के उदाहरण की मदद से समझते हैं।⤵️
Hashim विदेश में रहता है। उसने मैसेज लिखकर अपने घरवालों को अपनी अपनी स्तिथि की जानकारी दी। घरवालों ने मैसेज पढ़कर जानकारी प्राप्त की। यह भाषा का लिखित रूप है। इसमें एक व्यक्ति लिखकर विचार या भाव प्रकट करता है, दूसरा पढ़कर उसे समझता है।
अन्य:- उदाहरण ⤵️
पत्र, लेख, पत्रिका, समाचार-पत्र, कहानी, जीवनी, संस्मरण, तार, सोशल मीडिया आदि।
इस तरह विभिन्न भाषा-भाषी समुदायों ने अपनी-अपनी भाषिक ध्वनियों के लिए तरह-तरह की आकृति वाले विभिन्न लिखित-चिह्नों का निर्माण किया और इन्हीं लिखित-चिह्नों को ‘वर्ण’ (letter) कहा गया। अतः जहाँ मौखिक भाषा की आधारभूत इकाई ध्वनि (Phone) है तो वहीं लिखित भाषा की आधारभूत इकाई ‘वर्ण’ (letter) हैं।
लिखित भाषा की विशेषता
लिखित भाषा की कुछ प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
1. यह भाषा का स्थायी रूप है।
2. इस रूप में हम अपने भावों और विचारों को अनंत काल के लिए सुरक्षित रख सकते हैं।
3. यह रूप यह अपेक्षा नहीं करता कि वक्ता और श्रोता आमने-सामने हों।
4. इस रूप की आधारभूत इकाई ‘वर्ण’ हैं जो उच्चरित ध्वनियों को अभिव्यक्त (represent) करते हैं।
5. यह भाषा का गौण रूप है।
6. हमें इस बात ध्यान रखना चाहिए की भाषा का मौखिक रूप हीं प्रधान है। क्योंकि अगर कोई व्यक्ति पढ़ा लिखा न हो तो भी हम यह नही कह सकते है की उसे भाषा नहीं आती क्योंकि यह सब वह बोलकर भी समझा सकता है या व्यक्त कर सकता है।
3. संकेतिक भाषा
जब कोई व्यक्ति संकेतो के माध्यम से अपनी बातो, विचारों तथा भावनाओं को अन्य व्यक्ति को समझा पाता है तो इसे सांकेतिक भाषा कहते हैँ।
अन्य शब्दो मे :- जिन संकेतो के द्वारा बच्चे या गूँगे अपनी बात दूसरों को समझाते है, वे सब सांकेतिक भाषा कहलाती है।
दूसरे शब्दों में- जब संकेतों (इशारों) द्वारा बात समझाई और समझी जाती है, तब वह सांकेतिक भाषा कहलाती है।
अब हम इसे उदाहरण की मदद से समझते हैँ ⤵️
जैसे- चौराहे पर खड़ा यातायात नियंत्रित करता सिपाही, मूक-बधिर व्यक्तियों का वार्तालाप आदि।
Note :- इसका अध्ययन व्याकरण में नहीं किया जाता।
इससे सम्बंधित पूछे जाने वाले सवाल⤵️
भाषा के कितने रूप होते हैं
भाषा के कितने भेद होते हैं
तो दोस्तों ऊपर दिए गये सभी क्वेश्चन समान है, बस पूछने तरीका अलग इसलिए इनके answer भी एक हीं है जो आप लोग ऊपर पढ़ चुके हो।
भाषा की प्रकृति
भाषा हवाओ की तरह सदा चलती-बहती रहती है।
भाषा के अपने गुण या स्वभाव को भाषा की प्रकृति कहते हैं।
हर भाषा की अपनी प्रकृति, आंतरिक गुण-अवगुण होते है।
भाषा एक सामाजिक शक्ति है, जो मनुष्य को प्राप्त होती है।
मनुष्य भाषा को अपने पूवर्जो से सीखता है और उसका विकास करता है।
भाषा परम्परागत और अर्जित दोनों है।
भाषा के दो रूप है- कथित और लिखित।
हम इसका प्रयोग कथन के द्वारा, अर्थात बोलकर और लेखन के द्वारा (लिखकर) करते हैं।
देश और काल के अनुसार भाषा अनेक रूपों में बँटी है। यही कारण है कि संसार में अनेक भाषाएँ प्रचलित हैं। भाषा वाक्यों से बनती है, वाक्य शब्दों से और शब्द मूल ध्वनियों से बनते हैं। इस तरह वाक्य, शब्द और मूल ध्वनियाँ ही भाषा के अंग हैं।
व्याकरण में इन्हीं के अंग-प्रत्यंगों का अध्ययन-विवेचन होता है।
अतएव, व्याकरण भाषा पर आश्रित है।
लिपि किसे कहते हैं :-
लिपि शब्द का अर्थ होता है ‘लिपना’ या ‘पोतना’ विचारो का लिपना अथवा लिखना ही लिपि कहलाता है।
दूसरे शब्दों में- भाषा की उच्चरित/मौखिक ध्वनियों को लिखित रूप में अभिव्यक्त करने के लिए निश्चित किए गए चिह्नों या वर्णों की व्यवस्था को लिपि कहते हैं।
हिंदी और संस्कृत भाषा की लिपि देवनागरी है। अंग्रेजी भाषा की लिपि रोमन पंजाबी भाषा की लिपि गुरुमुखी और उर्दू भाषा की लिपि फारसी है।
मौखिक या उच्चरित भाषा को स्थायित्व प्रदान करने के लिए भाषा के लिखित रूप का विकास हुआ। प्रत्येक उच्चरित ध्वनि के लिए लिखित चिह्न या वर्ण बनाए गए। वर्णों की पूरी व्यवस्था को ही लिपि कहा जाता है। वस्तुतः लिपि उच्चरित ध्वनियों को लिखकर व्यक्त करने का एक ढंग है।
किसी भी भाषा को एक से अधिक लिपियों में लिखा जा सकता है तो दूसरी ओर कई भाषाओं की एक ही लिपि हो सकती है अर्थात एक से अधिक भाषाओं को किसी एक लिपि में लिखा जा सकता है। उदाहरण के लिए हिंदी भाषा को हम देवनागरी तथा रोमन दोनों लिपियों में इस प्रकार लिख सकते हैं-
देवनागरी लिपि – मै अच्छा लड़का हूँ
रोमन लिपि – main achha ladka hun.
ऊपर के उदाहरण मे हम ने भाषा को देवनागरी लिपि और रोमन लिपि दोनों मे लिखा।
लिपि के प्रकार
लिपि मुख्यत 9 प्रकार की होती हैँ।
देवनागरी लिपि (devnagri lipi)
ब्राह्मी लिपि ( brahmi lipi )
गुरुमुखी लिपि(gurumukhi lipi)
फ़ारसी लिपि (farsi lipi)
अरबी लिपि ( arbi lipi )
उड़िया लिपि (udiya lipi )
बांग्ला लिपि ( Bangla lipi)
रोमन लिपि ( roman lipi )
तमिल लिपि (tamil lipi )
देवनागरी लिपि |devnagri lipi
देवनागरी लिपि में बायीं ओर से दायीं ओर लिखा जाता है। यह एक वैज्ञानिक लिपि है। यह एक मात्र ऐसी लिपि है जिसमें स्वर तथा व्यंजन ध्वनियों को मिलाकर लिखे जाने की व्यवस्था है।
Devanagri Lipi in hindi :- संसार की समस्त भाषाओं में व्यंजनों का स्वतंत्र रूप में उच्चारण स्वर के साथ मिलाकर किया जाता है पर देवनागरी के अलावा विश्व में कोई भी ऐसी लिपि नहीं है जिसमें व्यंजन और स्वर को मिलाकर लिखे जाने की व्यवस्था हो।
यही कारण है कि देवनागरी लिपि अन्य लिपियों की तुलना में अधिक वैज्ञानिक लिपि है।
देवनागरी लिपि से हिंदी,संस्कृत,मराठी, नेपाली,गुजराती आदि भाषाओं का विकास हुआ है।
देवनागरी लिपि की विशेषता
Devnagri lipi की प्रमुख विशेषता निम्न हैँ ⤵️
आ (ा), ई (ी), ओ (ो) और औ (ौ) की मात्राएँ व्यंजन के बाद जोड़ी जाती हैं (जैसे- का, की, को, कौ); इ (ि) की मात्रा व्यंजन के पहले, ए (े) और ऐ (ै) की मात्राएँ व्यंजन के ऊपर तथा उ (ु), ऊ (ू),ऋ (ृ) मात्राएँ नीचे लगायी जाती हैं।
‘र’ व्यंजन में ‘उ’ और ‘ऊ’ मात्राएँ अन्य व्यंजनों की तरह न लगायी जाकर इस तरह लगायी जाती हैं- र् +उ =रु । र् +ऊ =रू ।
अनुस्वार (ां) और विसर्ग (:) क्रमशः स्वर के ऊपर या बाद में जोड़े जाते हैं; जैसे- अ+ां =अं। क्+अं =कं। अ+:=अः। क्+अः=कः।
स्वरों की मात्राओं तथा अनुस्वार एवं विसर्गसहित एक व्यंजन वर्ण में बारह रूप होते हैं। इन्हें परम्परा के अनुस्वार ‘बारहखड़ी’ कहते हैं।जैसे- क का कि की कु कू के कै को कौ कं कः। व्यंजन दो तरह से लिखे जाते हैं- खड़ी पाई के साथ और बिना खड़ी पाई के।
ङ छ ट ठ ड ढ द र बिना खड़ी पाईवाले व्यंजन हैं और शेष व्यंजन (जैसे- क, ख, ग, घ, च इत्यादि) खड़ी पाईवाले व्यंजन हैं। सामान्यतः सभी वर्णो के सिरे पर एक-एक आड़ी रेखा रहती है, जो ध, झ और भ में कुछ तोड़ दी गयी है।
जब दो या दो से अधिक व्यंजनों के बीच कोई स्वर नहीं रहता, तब दोनों के मेल से संयुक्त व्यंजन बन जाते हैं। जैसे- क्+त् =क्त । त्+य् =त्य । क्+ल् =क्ल ।
जब एक व्यंजन अपने समान अन्य व्यंजन से मिलता है, तब उसे ‘द्वित्व व्यंजन’ कहते हैं। जैसे- क्क (चक्का), त्त (पत्ता), त्र (गत्रा), म्म (सम्मान) आदि।
ब्राह्मी लिपि
यह सबसे प्राचीनतम लिपियों में से एक है इसी से देवनागरी लिपि का विकास हुआ है और देवनागरी लिपि से कई भाषाओं का विकास हुआ है।
उत्तरी शैली- गुप्त लिपि, कुटिल लिपि, शारदा लिपि, प्राचीन नागरी लिपि
प्राचीन नागरी लिपि: पूर्वी नागरी- मैथली, कैथी, नेवारी, बँगला, असमिया आदि।
पश्चिमी नागरी: गुजराती, राजस्थानी, महाराष्ट्री, महाजनी, नागरी या देवनागरी।
गुरुमुखी लिपि
इससे पंजाबी भाषा का विकास हुआ है।
फ़ारसी लिपि
इससे उर्दू भाषा का विकास हुआ है। इसमें दायी ओर से बायीं ओर लिखा जाता है।
अरबी लिपि
इससे कश्मीरी, उर्दू तथा सिंधी भाषा का विकास हुआ है।
उड़िया लिपि
इससे उड़िया भाषा का विकास हुआ है।
बांग्ला लिपि
इससे बंगाली भाषा का विकास हुआ है।
रोमन लिपि
इसे अंग्रेजी, जर्मन, फ्रेंच, फ्रांसीसी आदि भाषाओं का विकास हुआ है।
तमिल लिपि
इसे तमिल भाषा का विकास हुआ है।
नीचे की तालिका में विश्व की कुछ भाषाओं और उनकी लिपियों के नाम दिए जा रहे हैं-
क्रम भाषा लिपियाँ
1 हिंदी, संस्कृत, मराठी, नेपाली, बोडो देवनागरी
2 अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, स्पेनिश, इटेलियन, पोलिश, मीजो रोमन
3 पंजाबी गुरुमुखी
4 उर्दू, अरबी, फारसी फारसी
5 रूसी, बुल्गेरियन, चेक, रोमानियन रूसी
6 बँगला बँगला
7 उड़िया उड़िया
8 असमिया असमिया
मातृभाषा
मातृभाषा किसे कहते हैँ:- वह भाषा जिसे व्यक्ति अपने परिवार से अपनाता व सीखता है, मातृभाषा कहलाती है।
दूसरे शब्दों में:- कोई व्यक्ति जिस परिवार में जन्म लेता है, उस परिवार के सदस्यों द्वारा बोली जाने वाली भाषा को वह सबसे पहले सीखता है। इसलिए यही उसकी ‘मातृभाषा’ कहलाती है।
निचे हम इसे कुछ उदाहरण की मदद से समझते हैँ ⤵️
मातृभाषा – मुहम्मद हाशिम का जन्म राजस्थानी भाषी परिवार में हुआ है, इसलिए वह राजस्थानी बोलता है।
अन्य उदाहरण मे : मकसूद का जन्म तमिलभाषी परिवार में हुआ है, इसलिए वह तमिल बोलता है। राजस्थानी व तमिल उनकी मातृभाषाएँ हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल तथा उनके जवाब
Que1. bharat ki rashtrabhasha kaun si hai
Ans. bharat ke sanvidhan mein kisi bhi bhasha ko rashtrabhasha ke roop mein accept nahi kiya gya
Que2. सिक्किम की भाषा क्या है
Ans. सिक्किम की वैसे तो बहुत सी भाषाएँ है जैसे अंग्रेजी, नेपाली, लेप्चा, भूटिया, गुरूङ, लेपचा, लिंबू, मगर, मुखिया, नेपालभाषा, राई, शेर्पा, तामाङ, तथा हिन्दी आधिकारिक भाषाएँ हैं, लेकिन सबसे ज्यादा यहाँ पर अंग्रेजी भाषा ही बोली जाती है।
Que3. Hindi bhasha ki lipi kya hai
Ans. Devnagri lipi hindi bhasha ki lipi hai
Ques4. Bhasha ki sabse chhoti ikai kya hai
Ans. मौखिक भाषा के सन्दर्भ में सबसे छोटी इकाई “ध्वनी” है, तथा लिखित भाषा के सन्दर्भ में सबसे छोटी इकाई “ध्वनी” है।
Que5. Punjabi bhasha ki lipi kya hai
Ans. Gurumukhi lipi Punjabi bhasha ki lipi hai.
Que6. Angreji bhasha ki lipi kya hai
Ans. Roman lipi angreji bhasha ki lipi hai
Que7. Urdu bhasha ki lipi kya hai
Ans. Farsi lipi urdu bhasha ki lipi hai
Que8. Keral mein kaun si bhasha boli jaati hai
Ans. Keral mein Malayalam bhasha boli jaati hai
Que9. mahatma gandhi ki atmakatha kis bhasha mein hai
Ans. Gujarati bhasha mein
Que10. Bhasha kitne prakar ki hoti hai
Ans. Bhasha 3 prakar ki hoti hai