भारत में 23% किशोर हैं अधकपारी की चपेट में! जानें क्या है इसका इलाज?
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में बढ़ता तनाव बच्चों और किशोरों को भी प्रभावित कर रहा है। शायद यही कारण है कि अब कम उम्र में भी बच्चे अधकपारी (माइग्रेन) जैसी बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। एक अध्ययन के मुताबिक आजकल अक्सर बच्चे भी सिरदर्द की शिकायत करते हुए नजर आते हैं। इसकी शुरुआत तो बचपन में होती है लेकिन 11-13 साल की उम्र में यह दर्द अपने चरम पर पहुँच जाता है। माइग्रेन सबसे आम प्राथमिक सिरदर्द है, जिससे तकरीबन 9% लोग पीड़ित हैं। इनमें 1.2% युवा और 23% किशोर शामिल हैं। प्रीपुबर्टल आयु वर्ग के लड़कों में यह बीमारी ज्यादा कॉमन है।
इस बारे में जयपुर, राजस्थान से, न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. राजेश चौधरी बताते हैं कि बच्चे भी अधकपारी से पीड़ित हो सकते हैं। इसे पीडियाट्रिक माइग्रेन कहा जाता है। इस बीमारी में बच्चा अक्सर सिर में तेज दर्द होने की शिकायत करता है। इसके अलावा उल्टी, सोने की कोशिश करना व अन्य लक्षण भी बच्चे में नजर आते हैं।
एक नजर डालें बच्चों में अधकपारी के लक्षणों पर
माइग्रेन का दर्द सिर के एक या दोनों तरफ हो सकता है। ऐसे में बच्चों में निम्नलिखित लक्षण नजर आ सकते हैं-
देखने में बहुत ज्यादा तकलीफ होना
झुनझुनाहट जैसी परेशानी का एहसास होना
बोलने के तरीके में बदलाव आना
चलते समय अस्थिरता होना
प्रकाश, ध्वनि या गंध के प्रति संवेदनशीलता
जी मिचलाना
उल्टी होना
चक्कर आना
पेट में दर्द (जिसे पेट का माइग्रेन कहा जाता है)
शरीर के एक हिस्से में कमजोरी या लकवा जैसी स्थिति पैदा होना (इसे हेमिप्लेजिक माइग्रेन कहा जाता है)
बच्चों में अधकपारी का कारण
बच्चों में अधकपारी के कारणों को लेकर शोध जारी है। वैसे इस बीमारी से पीड़ित लोग अक्सर ये पाते हैं कि कुछ खाद्य पदार्थ, परिस्थितियां या पर्यावरणीय कारक उनमें माइग्रेन की घटनाओं को ट्रिगर करते हैं। इन ट्रिगर्स की पहचान करने से माइग्रेन के एपिसोड्स को रोकने में मदद मिल सकती है। हालांकि, इन ट्रिगर्स की पहचान करने में समय लग सकता है। वैसे बच्चों में भी कुछ कारक ऐसे हैं जो अधकपारी का जोखिम बढ़ा सकते हैं, जैसे-
नींद के पैटर्न में बदलाव: यदि कोई बच्चा बहुत अधिक या बहुत कम सोता है, तो उसे यह बीमारी हो सकती है। ऐसा जरूर हो सकता है कि इस बीमारी के कारण बच्चे के नींद का समय निर्धारित हो जाये और वो सही समय पर सोना शुरू कर दे।
डिहाईड्रेशन: बच्चे के शरीर में पानी की कमी भी अधकपारी को गंभीर बना सकती है4। इसीलिए यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि बच्चा पर्याप्त मात्रा में पानी पीए। विशेष रूप से किसी तरह की शारीरिक गतिविधि के बाद बच्चे का पानी पीना जरूरी है।
खानपान: कुछ विशिष्ट खाद्य पदार्थ अधकपारी के लक्षणों को ट्रिगर कर सकते हैं। कम खाना या खाना स्किप करना भी इसका कारण बन सकता है। इसीलिए इन बातों पर ध्यान देना जरूरी है किन खाने की चीजों से बच्चे को माइग्रेन का दर्द उठ सकता है।
तनाव: तनाव और अत्यधिक उत्तेजना अधकपारी का कारण बन सकते हैं4। यदि कोई बच्चा अक्सर तनावग्रस्त और बहुत ज्यादा चिंतित रहता है, तो उसे एक शांत जगह पर ले जाना बेहतर होता है ताकि वो शांति से बैठ सके और रिलैक्स हो सके।
पर्यावरणीय ट्रिगर: मौसम में बदलाव, किसी चीज का धुआं, कंप्यूटर या फोन के स्क्रीन से निकलने वाली चमकदार रोशनी आदि ट्रिगर फैक्टर्स अधकपारी को गंभीर बना सकते हैं।
अधकपारी में अपने बच्चे को डॉक्टर के पास कब ले जाएं?
अगर बच्चे की उम्र 5 वर्ष से कम है और उसमें अधकपारी के लक्षण नजर आये तो बच्चे को तुरंत चिकित्सक के पास लेकर जाएं3।
अगर लगे कि बच्चा अलग ढंग से चल रहा है, उसमें बार-बार गिरना, कमजोरी या सुन्नपन जैसे लक्षण नजर आये, तो तुरंत उसकी जाँच कराएं।
यदि बच्चे के व्यवहार में कोई परिवर्तन नजर आये, तो उसे चिकित्सक से पास ले जाने में देरी न करें।
अगर बच्चा अपने रोजाना के काम अच्छे से न कर पाये तो समझ जाये कि उसका अधकपारी गंभीर हो गया है। ऐसे में तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें।
अधकपारी से होने वाला सिरदर्द अगर बहुत तेज हो जाये या बार-बार हो, इसके कारण बच्चा अगर नींद से उठ जाये या उसे नींद न आये, तो बच्चे को चिकित्सक के पास ले जाएं।
बच्चे का स्कूल न जाना या रोज की गतिविधियां न करना भी अधकपारी की गंभीरता को दर्शाता है।
अगर सुबह-सुबह उठते के साथ बच्चा उल्टी करने लगे तो ऐसी अवस्था में भी बच्चे का तुरंत इलाज कराना आवश्यक है।
अधकपारी का इलाज
यदि कोई बच्चा अधकपारी के लक्षणों का अनुभव कर रहा है, तो डॉक्टर निम्नलिखित ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) दवाइयां लेने का सुझाव दे सकते हैं, जैसे-
एसिटामिनोफेन (टाइलेनॉल) हर 4-6 घंटे में
इबुप्रोफेन (एडविल) हर 6-8 घंटे में
नेप्रोक्सन (एलेव) हर 8-12 घंटे में
हालांकि, ये दवाइयां और खुराक हमेशा बच्चों के लिए उपयुक्त नहीं होती हैं। इसीलिए, डॉक्टर और फार्मासिस्ट से अच्छी तरह दवाईयां लेने के बाद ही इन दवाइयों का सेवन करना चाहिये।
यदि कोई बच्चा बार-बार या गंभीर माइग्रेन एपिसोड का अनुभव करता है, तो डॉक्टर उसे ट्रिप्टान मेडिसिन दे सकते हैं। इससे अधकपारी के लक्षणों से राहत मिलती है।
निष्कर्ष (Conclusion)
बच्चों में अधकपारी की समस्या को बिल्कुल भी इग्नोर न करें वरना इससे बच्चे का पूरा जीवन प्रभावित हो सकता है। जैसे ही इस बीमारी के लक्षण नजर आये, तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें और सही समय पर बच्चे का उचित इलाज करवाएं।
Reference
Verma, A., Balasankar, S., Manokaran, R., 2022. IAP Pediatric Headache Available at: (Accessed: 12 September 2023).
Chaudhary, R., 2023. क्या बच्चों को भी माइग्रेन हो सकता है? Available at: (Accessed: 12 September 2023).
SCHN, 2022. Migraine in children Available at: (Accessed: 12 September 2023).
Armstrong, M., 2021. Medical News Today Migraines in children: Causes, symptoms, and how long they last . Available at: (Accessed: 12 September 2023).
FAQ
सवाल- बच्चों में अधकपारी के लक्षण क्या हैं?
जवाब- देखने में बहुत ज्यादा परेशानी होना, बोलने के तरीके में बदलाव आना, चलते समय अस्थिरता होना, जी मिचलाना, उल्टी, चक्कर आना आदि लक्षण बच्चे में अधकपारी का संकेत हो सकते हैं।
सवाल- बच्चों में कौन से फैक्टर्स अधकपारी को ट्रिगर कर सकते हैं?
जवाब- नींद के पैटर्न में बदलाव, कुछ विशिष्ट खाने की चीजें, आसपास के पर्यावरण में आया बदलाव, तनाव आदि चीजें बच्चों में अधकपारी को ट्रिगर कर सकती हैं।
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