आपके बच्चे आपके बच्चे नहीं हैं. वे जीवन की अभिलाषा के बेटे और बेटियां हैं। वे तुम्हारे माध्यम से आते हैं लेकिन तुमसे नहीं और यद्यपि वे तुम्हारे साथ हैं, तौभी वे तुम्हारी संपत्ति नहीं हैं।
आप उन्हें अपना प्यार तो दे सकते हैं, लेकिन अपने विचार नहीं, क्योंकि उनके अपने स्वयं के विचार हैं। आप उनके शरीरों को तो आश्रय दे सकते हैं, परंतु उनकी आत्माओं को नहीं, क्योंकि उनकी आत्माएं आने वाले कल के घर में निवास करती हैं, जहां तुम नहीं जा सकते, जिसका दर्शन आप सपने में भी नहीं कर सकते।। आप उनके जैसे बनने का प्रयास कर सकते हैं परन्तु उन्हें अपने जैसा बनाने का प्रयास मत करो, क्योंकि जीवन पीछे की ओर नहीं जाता, न ही कल के बीते दिन के साथ रुक जाता है ।
आप वे धनुष हैं जिनसे आपके बच्चे जीवित तीरों की तरह निकलते हैं। धनुर्धर अनंत के पथ पर निशान देखता है और वह आपको अपनी शक्ति से झुकाता है, ताकि उसके तीर तेजी से और दूर तक जा सकें। अपने झुकाव को, तीरंदाज के हाथ द्वारा, प्रसन्नता से होने दें। क्योंकि जिस प्रकार वह उड़ते तीर से प्रेम रखता है, उसी प्रकार वह स्थिर धनुष से भी प्रेम रखता है।
[ द पैगंबर से। ख़लील जिब्रान, 1923 ]