हिंदी परिचय


वर्ष 2000 में शुरू हुए हिंदी के पहले वेबपोर्टल से लेकर अब तक ¨हिंदी ने लगातार इंटरनेट पर अपनी उपस्थिति मजबूत करती गई है। ब्लागों की भरमार है, सरकारी-गैर सरकारी वेबसाइट भी खूब हैं। सोशल मीडिया में अभिव्यक्ति के लिए देवनागर हिंदी को हर वर्ग के लोग खासी प्राथमिकता दे रहे हैं। जमाना अपडेट हुआ तो स्मार्टफोन आया, यहां भी ढेरों ऐसे कीबोर्ड एप आ चुके हैं जो देवनागरी हिंदी लेखन को बढ़ाना देने में सहायक हैं।

यहीहिंदीकी मजबूती ही है कि कभी केवल अंग्रेजी में होने वाली क्रिकेट कमेंट्री और स्कोर बोर्ड अब सहजता से ¨हदी में देखने-सुनने को मिल रही है। हाल के वर्षों में डीटीएच पर किसी भी चैनल के हिंदी में अनुवाद की सुविधा मिलने लगी है। इंटरनेट पर हिंदी का सफर रोमन लिपि से प्रारंभ होता है और लंबी अवधि तक फांट की समस्याओं से जूझती रही, लेकिन बढ़ती जरूरत के बीच यूनीकोड व मंगल जैसे फांट के विकास ने देवनागरी हिन्दी ी को कंप्यूटर पर नया जीवन प्रदान किया। आज ¨हिन्दी दिवस के अवसर पर इंटरनेट पर चमक बिखेरती हमारी राजभाषा ¨हदी की स्थिति पर एक नजर . आज के समय में इंटरनेट पर हिंदी साहित्य का प्रचुर भंडार घर बैठे इंटरनेट पर उपलब्ध है। करीब 100 ई-पत्रिकाएं देवनागरी लिपि में उपलब्ध हैं तो 'अभिव्यक्ति' 'अनुभूति', 'रचनाकार', 'हिंदी नेस्ट', 'कविताकोश', 'संवाद' आदि ई-पत्रिकाएं इंटरनेट पर ¨हदी प्रेमियों के लिए सुलभ हो चुकी हैं। यही नहीं 'हंस', 'कथादेश', 'तद्भव', 'नया ज्ञानोदय' जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं के इंटरनेट संस्करण भी अब सहज उपलब्ध हैं।


कम्प्यूटर में अब ऐसे भी सॉफ्टवेयर हैं जिसमें अपनी बात अंग्रेजी में लिखो और उसका हिन्दी रूप सामने आ जाता है। इसके अलावा धीरे-धीरे ही सही हिन्दी अपना अस्तित्व बढ़ाती जा रही है। विश्व की विभिन्न भाषाओं में तीसरा स्थान प्राप्त करने वाली इस भाषा को अहिन्दी भाषी राज्यों में पढ़ा और समझा भी जाने लगा है।


एक तरफ हिन्दी आगे बढ़ रही है तो दूसरी तरफ हिन्दी की कक्षा में पढ़ने वाला छात्र जब अपने शिक्षक से कक्षा में प्रवेश की अनुमति चाहता है तो कहता है "मे आई कम इन सर"। इसका दुःखद पहलू तो यह भी है कि जो लोग हिन्दी के विकास की बात करते हैं वे स्वयं भी इसका अनादर करने से बाज नहीं आते।


आमतौर पर लोग कर्नाटक को कर्नाटका, केरल को केरला कहने में गर्व महसूस करते हैं। उसी प्रकार आम बोल-चाल की भाषा में हिन्दी के साथ अंगरेजी का प्रयोग बढ़ रहा है और लोग दोष एक-दूसरे पर मढ़ रहे हैं लेकिन इसके लिए सार्थक प्रयास कहीं नहीं दिख रहे हैं। शासकीय कामकाज में हिन्दी का प्रयोग बढ़ाने का आदेश तो दिया जाता है लेकिन इसका परिपत्र भी अंग्रेजी में लिखा जाता है।


अंग्रेजी भाषा आज इतनी भारी हो गई है कि घर में छोटा बच्चा जब ट्विंकल-ट्विंकल लिटिल स्टार की कविता सुनाता है तो सीना गर्व से फूल जाता है। पहले प्राथमिक कक्षा में हिन्दी की बारहखड़ी सिखाई जाती थी। इससे मात्राओं और शुद्ध उच्चारण का ज्ञान होता था। अब बच्चों में हिन्दी भाषा का ज्ञान औपचारिकता तक सिमट गया है।

फेसबुक, वाट्सएप और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया के लोकप्रिय प्लेटफार्म हों या फिर ब्लाग, वेबसाइट अथवा वेब पोर्टल, इंटरनेट के हर कोने में हमारी ¨हदी चमक रही है। बदलते जमाने के साथ हमारी ¨हिन्दी दूसरी भाषाओं के साथ ही इंटरनेट के वैश्विक प्लेटफार्म पर विकास की नई रफ्तार पकड़ रही है। उपयोगकर्ता आम हो या खास हिंदी सभी को लुभा रही है।