हर कोई अपने चेहरे को सुंदर और आकर्षित बनाना चाहता है। वह चाहता है कि उसका फेस काफी जवान और आकर्षित लगे । महिलाएं इंटरनेट पर सर्च करती रहती है कि How to glow face fast in hindi? एंड How to glowing skin fast in hindi? इन सभी का जवाब आपको इसी पोस्ट में मिलेगा । तो आइए जानते हैं वह कौन सी जादुई टिप्स (Magical tips) है जो आपकी त्वचा को जवां, खूबसूरत और आकर्षक बना देगी ।
चावल का पानी चेहरे को सुंदर और जवान बनाए रखने के लिए काफी फायदेमंद है । प्राचीन काल से ही जापान और कोरिया की महिलाएं अपने चेहरे को खूबसूरत बनाने के लिए इसका इस्तेमाल करती आई है । इसके लिए आपको एक कप चावल में 3 कप पानी ले, फिर आधे घंटे पानी में भिगोए और छान कर किसी जार में भरकर इसे फ्रीज कर ले अथवा जमा दें । रोज सुबह रुई से या अपनी अपनी अंगुलियों के द्वारा इसे पूरे चेहरे पर लगाएं तथा अपनी उंगलियों को चेहरे पर गोल-गोल घुमाएं । यह लगाने के बाद आपकी त्वचा जवां और चमकदार बनेगी ।
मासिक धर्म की अनियमितता में मुख्य दो समस्याएँ सामने आती हैं - । मासिक धर्म में रुकावट (Menstrual blockage) । 2. मासिक धर्म का अधिक आना (Excess of menstruation)।
मासिक धर्म की अनियमितता में निम्नलिखित आहार लिए जा सकते हैं :
नारियल- नारियल खाने से मासिक धर्म खुलकर आता है।
मटर - मासिक धर्म की रुकावट को दूर करता है।
तुलसी - तुलसी की जड़ को छाया में सुखाकर और पीसकर, चौथाई चम्मच पान में रखकर खाने से अनावश्यक ऋतु-स्त्राव बंद हो जाता है।
संतुलित भोजन लें, नींबू, मौसम्बी, गर्म चाय, कॉफ़ी, गाजर, राई, सौंफ का सेवन करें।
1. Antioxidant
एंटीऑक्सीडेंट एक पदार्थ है जो हमारे फेस को बाहरी खराब पदार्थों से बचाए रखता है | यह बाहर से आने वाली या सूर्य से आने वाली हानिकारक किरने, हवा में फैले हुए कीटाणु, धूल-मिट्टी, विटामिन की कमी आदि से होने वाले प्रभाव से बचाने के लिए एंटीऑक्सीडेंट कि हमारे चेहरे को चमकाने में महत्वपूर्ण भूमिका होती है| यह हमारे चेहरे के लिए बहुत महत्वपूर्ण है | हमारे चेहरे को हेल्थी भी रखता है और इसकी चमक-दमक भी बढ़ाता है साथ ही Face को आकर्षित बनाता है |
2. Vitamin A
विटामिन ए की भूमिका त्वचा को सुरक्षित रखने में रहती है | विटामिन ए कटी-फटी त्वचा को भरने में त्वचा के Immune system को बढ़ाने में, त्वचा को moisturizing करने में और त्वचा को हाइड्रेट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है | यह चेहरे पर ग्लो लाने में सबसे ज्यादा मदद करता है | यह चेहरे को हेल्दी बनाने के साथ-साथ चेहरे को कभी भी फटने नहीं देता | यह चेहरे की सुंदरता को बनाए रखने में मदद करता है | इसके लिए आप Vitamin A Cream Use कर सकते हो और Vitamin A Capsule उपयोग में ले सकते हैं | त्वचा को सुरक्षित रखने में हर विटामिन की अलग-अलग भूमिका होती है उसी तरह विटामिन ए की भूमिका त्वचा को कटने-फटने से बचाने में रहती है |
कार्बोहाइड्रेट्स (Carbohydrates) - इसके मुख्य स्रोत हैं स्टार्च व शर्करा (Starch and sugar), ये तत्त्व चावल (Rice), आलू (Potato) व गेहूं (Wheat) आदि में प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इससे हमारे शरीर को ऊर्जा (Energy) प्राप्त होती है, किन्तु इसकी मात्रा संतुलित ही होनी चाहिए। अधिक मात्रा में लेने पर यह वसा (Fat) में तब्दील होकर शरीर को मोटा (Obesity) करना शुरू कर देती है। स्थूल शरीर अच्छा नहीं होता, वह स्वयं ही रोगों का घर बनने लगता है।
वसा (Fat) - वसा, जैसा कि ऊपर लिखा जा चुका है कि ये शरीर को स्थूल बना देती है, किन्तु संतुलित मात्रा शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है। इसका पाचन (Digestion) भी कार्बोहाइड्रेट्स की तुलना में कठिनाई से होता है। इसके बावजूद शरीर की पच्चीस से तीस प्रतिशत ऊर्जा की आवश्यकता वसा द्वारा ही पूरी होती है। इसकी प्राप्ति हमें मांस (Meat), दूध (Milk), घी (Ghee) व मक्खन (Butter) आदि से होती है।
प्रोटीन (Protein) - प्रोटीन प्राप्ति के मुख्य स्रोत (Sources) मांस, मछली (Fish), पनीर (Cheese), मेवे, दूध व अण्डे (Eggs) हैं। प्रोटीन हमारे शरीर के लिए बहुत ही आवश्यक है। हमारे शरीर के ऊतकों (Tissues) का लगभग दस प्रतिशत भाग प्रोटीन से बना है। प्रोटीन एमिनो अम्लों (Amino acids) से मिलकर बनते हैं। वैसे प्रोटीन्स की संख्या बीस है किन्तु इनके आपसी मेल से लाखों नए प्रोटीन बनते हैं। शरीर के लिए इन बीसों प्रोटीन्स से बनने वाले लाखों प्रोटीन्स की आवश्यकता होती है। कहने का तात्पर्य है कि प्रोटीन्स हमारे शरीर के लिए बेहद आवश्यक हैं।
भोजन विटामिन (Vitamin), कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate), वसा (Fat), प्रोटीन (Protein), खनिज लवण (Minerals) युक्त होना चाहिए। शरीर के संतुलन को बनाए रखने के लिए 75% क्षार प्रधान और 25% अम्ल प्रधान भोजन की आवश्यकता होती है। एक ही प्रकार का आहार अधिक मात्रा में न लिया जाए, बल्कि कई गुणों व रसों से युक्त आहार लेना चाहिए।
त्रिगुण सिद्धांत के आधार पर भोजन तीन प्रकार के होते हैं -
1. सात्विक भोजन (Satvik food)
2. राजसी भोजन (Rajsi food)
3. तामसिक भोजन (Tamsik food)
1.सात्विक भोजन - ऐसे भोज्य पदार्थ जो जीव को प्राण, स्वास्थ्य, प्रसन्नता दें तथा जीवन रस युक्त प्राकृतिक और प्रकृति से सरल रूप से प्राप्त किए गए हों, आयुवर्द्धक तथा बुद्धिवर्द्धक होते हैं। ये भोजन मन को शांत कर कुशाग्र बुद्धि और संतुलित आचरण पैदा करते हैं। ऐसे भोजन अन्नमय, प्राणमय, मनोमय तथा विज्ञानमय कोषों को समान रूप से पोषित करते हैं तथा समस्त कोषों में संतुलन बनाए रखते हैं।
दाल, चावल, गाय का दूध, घी, मीठे फल आदि तथा वे पदार्थ जो पेड़-पौधों तथा दूध घी से बने हों उन्हें सात्विक भोजन कहा जाता है। आयु, बुद्धि, बल, आरोग्य, सुख, प्रीति बढ़ाने वाले रसयुक्त चिकने, स्थिर रहने वाले आहार सात्विक भोजन कहलाते हैं।
जैसा कि आप जानते हो आयुर्वेदिक उपाय शरीर के लिए काफी लाभदायक रहते हैं | कई तरह के शारीरिक रोगों को खत्म करने के लिए आयुर्वेदिक फलों का उपयोग करते हैं ताकि रोगों को जड़ से खत्म कर सकें | उनमें से Amla भी उतना ही लाभकारी है जितने दूसरे फल | आंवले में एंटीऑक्सीडेंट (Antioxident) गुण पाए जाते हैं जो कि कई रोगों को खत्म करने की ताकत रखते हैं | हमें रोज आंवला खाना चाहिए, ताकि हमारे शरीर में जमी गंदगी बाहर निकल सके और हमारे खून को साफ कर सके |
Awala खाने से कैंसर ठीक होता है क्योंकि इसमें एंटी ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं |
हाई ब्लड प्रेशर को कम करने में आंवले का उपयोग किया जाता है |
आंखों की रोशनी तेज करने में आंवले का पाउडर उपयोग किया जाता है |
वजन कम करने में आंवले का यूज़ होता है |
बालों को काला और घना बनाए रखने के लिए आंवले का जूस और आंवला पाउडर उपयोग में लिया जाता है |
अल्सर की बीमारी को खत्म करने के लिए काफी लाभदायक रहता है |
आप रोजाना सुबह-शाम खाली पेट आंवले का जूस पी सकते हो , इससे आपके शरीर में काफी बदलाव देखने को मिलेंगे | बाजार में कई तरह के आंवले के जूस मौजूद है, आप एक अच्छा आंवले का जूस खरीदें | आंवले का जूस भोजन को पचाने, पेट को साफ रखने, पेट संबंधी सारी पीड़ा को दूर करने में सहायक है | इसलिए आपको हमेशा खाली पेट आंवले का जूस पीना चाहिए |
यह बात बिलकुल सत्य है कि हमारे ऋषि-मुनियों का ज्ञान अथाह था। लेकिन होता यह है कि हम उनके ज्ञान की पराकाष्ठा की तुलना अपने ज्ञान से करते हैं और उनके ज्ञान को तर्क-वितर्क करके गलत साबित कर देते हैं या फिर पश्चिमी देशों के वैज्ञानिकों की बातें मान लेते हैं। वो कहते हैं कि प्राचीन संतों ने गलत कहा तो हम गलत मान लेते हैं और यदि वे कहते हैं कि तुम्हारे ऋषियों ने सही कहा तो हम सही मान लेते हैं। हम अपने दिमाग को सकारात्मक ढंग से लगाना ही नहीं चाहते। अब हम योग को ही देख लें, लाखों वर्षों से हमारे यहाँ यह परंपरा चली आ रही थी। हमने कई दशक पूर्व से अपने अज्ञान, आलस्य के कारण योगासनों में ध्यान देना बंद कर दिया था या कोई करता था तो हम हँसते थे और सामने करने वाला भी कई बार इसी कारण से करना छोड़ देता था। अब चूंकि पश्चिमी देश के लोगों ने अपनाना चालू कर दिया तो हमारी भी आँखें खुल गईं।
यह बात सिर्फ़ योगासन की ही थी बल्कि कई बातें हम अभी भी नहीं मानते जैसे महान आत्माओं ने कहा है कि रात्रि भोजन और मद्य, माँस का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसी कई बातें हैं जिन्हें हम अनदेखा कर रहे हैं। अब हम रात्रि भोजन का वैज्ञानिक कारण देखें तो डॉक्टरों का भी कहना है कि सोने से 4 घंटे पहले भोजन कर लेना चाहिए। यदि हम भोजन करके तुरंत सो जाते हैं तो भोजन पचेगा नहीं। रात भर उदर में पड़ा रहेगा, भोजन सड़ेगा। हमारी उदर-क्रिया पूर्ण रूप से विटामिन, प्रोटीन का शोषण और अपना कार्य नहीं कर पाती। पेट को कभी विश्राम ही नहीं मिल पाता। भोजन पच नहीं रहा हो तो वायु विकार उत्पन्न होते हैं, जिससे कई-तरह की बीमारियाँ होने की संभावना रहती है।
अतः आचार्यों ने सोने के चार घंटे पहले भोजन करने को कहा है। यदि हम यहाँ वैज्ञानिक कारण जानें तो पाएँगे कि हम उन चार घंटों में काफ़ी परिश्रम कर चुके होते हैं जिससे भोजन को पचने में समस्या नहीं हो पाती।
कार्यालयों में काम करने वाले व्यक्ति स्वयं थोड़ा सा परिवर्तन ला कर स्वस्थ रह सकते हैं। जैसे कार्यालय में पहुँचते ही मानसिक रूप से तरोताजा महसूस करें और मुस्कराते हुए कुर्सी पर बैठें, मेरुदण्ड सीधा रखे एवं आँखें बंद कर ॐ का या अपने इष्ट का उच्चारण करें। पाँच बार लम्बी गहरी श्वास लें व छोड़ें। इसके बाद आत्मविश्वास के साथ कार्य करने हेतु तैयार हो जाएँ। चूंकि टेबल-कुर्सी में काम करते रहने से मेरुदण्ड, गर्दन, आँखों और मस्तिष्क पर अधिक जोर पड़ता है। अतः कुर्सी पर बैठने के तरीके में परिवर्तन लाएँ। मेरुदण्ड सीधा रखें। गर्दन झुकाकर काम करने से गर्दन में विकार उत्पन्न हो जाते हैं, इसलिए कुर्सी पर बैठे-बैठे ही ग्रीवा शक्ति विकासक क्रिया को 2 से 5 मिनट करें। आँखों के लिए दृष्टि वर्धक क्रियाओं को अवश्य करें एवं मानसिक विकास के लिए योगनिद्रा, ध्यानयोग व प्राणायामों को नियमित रूप से प्रातःकाल में करें।
सुबह 1 घंटे का समय निकालें। सबसे पहले सरल अभ्यास से शुरू करें। पवनमुक्तासन समूह के अभ्यास (Pawanmuktasana group exercises), उर्जाप्रदायक आसन एवं क्रियाएँ (energetic asanas and activities), अर्धपद्मासन (Ardhapadmasana), पद्मासन (Padmasana), बद्ध पद्मासन (Buddha Padmasana), वज्रासन (Vajrasana), शशांकासन (Shashankasana), मंडूकासन (Mandukasana), भुजंगासन (Bhujangasana), तिर्यक भुजंगासन (Tiriyak Bhujangasana)
चाहे बच्चों के शारीरिक विकास (Physical Development) की बात हो या मानसिक क्षमता (Mental Ability) को विकसित करने की बात, योग भी उनके जीवन के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना खेलकूद या अन्य गतिविधियाँ।
बच्चों के क्रमिक विकास के लिए योग को अनिवार्य कर देना चाहिए। बच्चे अपने शरीर में नियमित अभ्यास से लोचलचक (Flexibility) पैदा कर उच्च अभ्यास को भी आसानी से कर सकते हैं। प्रतिदिन योगाभ्यास करने से शरीर के सभी अंग सुचारू रूप से कार्य करने लगते हैं।
लगभग 8 वर्ष से लेकर 16 वर्ष की उम्र तक बच्चों का जीवन गीली मिट्टी की तरह होता है। जैसा बनाओ वैसे बन जाता है अतः बच्चों को अष्टांग योग में यम और नियम की भी शिक्षा देकर उनको संस्कारवान बनाकर उनके भविष्य में उज्ज्वलता लाई जा सकती हैं। स्मरण शक्ति बढ़ाने, लंबाई बढ़ाने (Hight gain), दृष्टि दोष (Hyper Myopia) दूर करने जैसे शारीरिक एवं मानसिक आवश्यकताओं को पूरा करने का सबसे अच्छा माध्यम सम्पूर्ण योग शिक्षा ही है। इसलिए बच्चों को योग अपने जीवन में अवश्य अपनाना चाहिए।
महिलाएं अपने स्वास्थ्य के लिए सबसे ज़्यादा चिंतित रहती हैं। अधिकतर महिलाएं मानती हैं कि उन्हें कोई न कोई बीमारी लगी रहती है। बहुत ही कम महिलाएँ अपने आप को पूर्णतः स्वस्थ मानती हैं। आज महिलाओं का जीवन पहले की अपेक्षा काफ़ी बदल गया हैं। क्योंकि पहले की स्त्रियाँ सुबह से शाम तक घरों के काम में लगी रहती थीं। इस कारण अनजाने में ही योग की क्रियाएँ हो जाया करती थीं। जैसे सूर्योदय से पहले उठना, झाडू लगाना, साफ सफाई करना, पानी भरना, अनाजों को साफ करना, भोजन तैयार करना, चक्की चलाना, दही बिलोना, मक्खन निकाल कर घी बनाना। उन्हें ऐसे कई कामों में व्यस्त रहना होता था एवं इसी कारण दिनभर की थकान की वजह से रात्रि को नींद भी अच्छा आया करती थी, परन्तु आज का वातावरण, परिवेश व परिस्थियाँ बदल गई हैं। आज की महिलाएँ नौकरी एवं व्यवसाय को सँभालने लगी हैं। अतः घरों में उनके काम करने की ज़िम्मेदारी नौकर-चाकरों और विद्युत मशीनों ने ले ली है। साथ ही और भी कई कारण आज प्रकट हो गये हैं। इसीलिए आजकल महिलाओं को कई बीमारीयाँ बहुत जल्दी घेर लेती हैं जैसे मोटापा (Obesity) , कमरदर्द (Back pain), प्रदर, हिस्टीरिया, सिरदर्द (Headache), वायु दोष, ल्यूकेरिया, अनिद्रा (Insomnia), मधुमेह (Diabetes), हृदय रोग, कब्ज (Constipation), गठिया (Gout) एवं मानसिक तनाव (Depression) आदि।
योगाभ्यास (Yoga practice) ही एक ऐसा माध्यम है, जो उनको सम्पूर्ण स्वास्थ्य के साथ सुन्दरता प्रदान कर सकता है। अतः नियमित रूप से प्रतिदिन 1 घंटा योगासन व प्राणायाम के लिए निकालना अतिआवश्यक हो गया है।