personal experiences - व्यक्तिगत अनुभव

GODLY WORLD UNIVERSITY ESTABLISHED BY GOD SHIVA


GODLY CHILD CUM STUDENT

GODLY CHILD CUM STUDENT

UNIVERSAL PEACE HALL, PANDAV BHAVAN, MT. ABU


मई २०१८ में इस ईश्वरीय विश्व विद्यालय में ईश्वरीय ज्ञान व सहज राजयोग का अभ्यास करते हुए मैंने २१ वर्ष पूर्ण किये ज्ञान मार्ग में इन आधारों से २१ वर्षों से चल रहा हूँ :

१) जब से पहली मुरली पढ़ी है तब से बाबा व ईश्वरीय ज्ञान पर १००% निश्चय हैं , थोड़ा भी संशय के कारण डगमग नहीं हुआ ।

२) माया वा परिस्थिति का कैसे भी पेपर आया उसे परमात्म निश्चय बल से पार किया ।

३) स्वयं को ज्ञान मंथन व स्वदर्शन चक्र में सदा बिजी रखा जिससे व्यर्थ से बचा रहा । तन, मन और धन की सेवा का सदा बैलेंस रखा ।

४) सेवा केंद्र से सदा संपर्क में रहा और बाबा के कमरे में रोज हाजिरी दी । मुरली एक दिन भी मिस नहीं की । बाबा के कार्य व मुरली के प्रति पूर्ण आदर रहा ।

५) संगदोष से स्वयं को बचाता रहा । एक बाबा के ही संग में रमण किया । ब्राह्मण जीवन की मुख्य धारणाओं को दरकिनार नहीं किया ।

६) जब से ज्ञान में आया दूसरों को देखने के बजाय स्वयं और पढाई पर ही फोकस अथवा अटेंशन दिया । किसी के गुण अवगुण में नहीं अटका । अपने पुरुषार्थ और बाबा को ही देखा, ब्राह्मण परिवार के संस्कारों के टकराव में नहीं फसां । ओम शांति ....

७) आखिर में सबसे महत्वपूर्ण बात, उमंग उत्साह को कभी कम नहीं होने दिया और दूसरों में भी उमंग उत्साह भरने का प्रयत्न करता रहा ।

Om Shanti ….. BK Anil Kumar

Myself completed 21 years in this Godly world University in May 2018 practicing Godly knowledge and easy Rajyoga. I am continuing in Knowledge path since 21 years on the following basis :

1. Since I have read the first Murli, my faith over goldy knowledge and baba is 100% without wavering even due to minor doubt.

2. What so ever paper of Maya and circumstances appeared I have cleared it with the power of Godly faith.

3. I had engaged myself in knowledge churning and discuss of self realization that saved me from waste thoughts. Always kept a balance in service through body, mind and wealth.

4. I always kept connection with the centre and daily gave attendance in baba’s room.

5. I had taken care to get rid of bad company and had been only in the company of baba. Never by passed main disciplines of Brahmin life.

6. Since I came in knowledge, I have focused on self and study instead of looking at others. Never got stuck up in the good and bad virtues of others. Always looked at Baba and self and never got trapped in the brahmin family sanskars.

7. Lastly, the most important is never allowed to reduce my zeal and enthusiasm and also tried to fill this quality in others. Omshanti....... BK Anil Kumar