What to Do If Horoscope is Bad - Hindi Kundli - जन्म कुंडली

हम लोगों से सुनते हैं कि जीवन में जो कुछ भी खराब हो रहा है वह सब ग्रहों के दोष का प्रभाव है। बुरे ग्रहों के प्रभाव के कारण ही हमें जीवन में दुःख भोगने पड़ते हैं। पर सवाल यह उठता है, फिर भगवान् ने हमें जन्म ही क्यों दिया? या हमें ऐसा परिवार क्यों दिया जहां हमें पल- पल मुश्किलों और दुर्भाग्य का सामना करना पड़े? क्यों हम एक दुर्भाग्यपूर्ण परिवार और सामने वाला एक सभी सुख-सुविधा से परिपूर्ण परिवार में जन्मा है? लोग अधिकतर अपने जीवन की समस्याओं के लिए एक खराब जन्म कुंडली/Bad horoscope या फिर कुंडली में बैठे बुरे ग्रहों की बात करते हैं। कुछ और लोग भी हैं, जिन्हें शुभ व उच्च के ग्रहों की बड़ा-चढ़ा कर बात करते देखे जा सकते हैं। हमनें बात की, भारत के मशहूर व उत्तम श्रेणी के ज्योतिषी डॉ. विनय बजरंगी जी से। उन्होनें कई रहस्यों से पर्दा उठाया, जैसे कि जब लोग अच्छे या बुरे ग्रहों या अच्छी-बुरी कुंडली की बात करते हैं तो उसका असल में मतलब क्या होता है ? क्या करें जब आपकी जन्म कुंडली एक बुरी श्रेणी में आती हो? और आपकी कुंडली के बुरे ग्रहों से कैसे निबटा जाये?

जन-साधारण के लिए उनसे की गयी बातों के महत्वपूर्ण अंश इस प्रकार हैं –

प्रश्न- क्या कोई कुंडली अच्छी या बुरी हो सकती है ?

DVB- यह बिलकुल गलत है। कोई भी कुंडली केवल अच्छी या बुरी नहीं हो सकती। आप को समझना होगा कि कुंडली आखिर है क्या ? - यह ग्रहों की वह स्थिति है जो आपको आपके जन्म के समय एक निश्चित समय, स्थान व दिन पर आपको मिली थी। आपकी कुंडली के बुरे ग्रह आपके अपने पिछले जन्म के बुरे कर्मों के परिणामस्वरूप मिले हैं। लेकिन भगवान ने आपको "फ्री- विल" यानि "स्वतंत्र- इच्छा " की अनुमति देकर इन बुरे कर्मों को सुधारने या पूर्णतः समाप्त करने का मौका दिया है। इसी तरह आपकी कुंडली के अच्छे ग्रह आपके पूर्व पुण्यों का फल हैं। लेकिन आप अपनी स्वतंत्र इच्छा से इन शुभ फलों को नष्ट भी कर सकते हैं। यह आप पर निर्भर करेगा कि आप अपनी स्वतंत्र इच्छा का इस्तेमाल अपने पूर्व कर्मों को सुधारने में करते हैं या बिगाड़ने में।

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हमारी कुंडली में ग्रहों की स्थिति अपने-आप ही किसी मंज़िल तक पहुँचने में सक्षम नहीं है। यह मेरा बहुत बार देखा व अनुभव किया गया है कि, कुंडली में अनेक उच्च के ग्रह होते हुए भी व्यक्ति ने अपने जीवन में कुछ भी विशेष हासिल नहीं किया। और दूसरी और दो-तीन या अधिक नीच के ग्रह लेकर भी व्यक्ति ने अपने जीवन में कुछ भी शर्मनाक या हानिकारक नहीं किया। इसी से साबित होता है कि कुंडली/Birth Chart में उच्च के ग्रह व्यक्ति के जीवन में शत-प्रतिशत सफलता की गारंटी नहीं देते हैं। और वहीँ नीच के ग्रह किसी व्यक्ति को असफल नहीं बनाते, वे उसके डूबने का कारण नहीं बनते।

मैंने अपने ब्लोग्स और वीडिओज़ में कई बार बताया है कि कुंडली में ग्रह लग्नेश की स्थिति के अनुसार स्थित होते हैं। इसका यह मतलब नहीं है कि ग्रह हमेशा ही उच्च के हैं, बल्कि एक शक्तिशाली लग्नेश, दूसरे ग्रहों को उसकी इच्छा के अनुसार कार्य करने के लिए बाध्य करता है। यह अपनी इच्छा के अनुसार दूसरे ग्रहों से काम लेता है।

ज्योतिष में भावत-भावं एक बहुत ही अद्भुत सिद्धांत है। यह पाराशरी पद्धति में बताया गया, एक मौलिक नियम है। यह नियम कहता है कि, ग्रह की शक्ति इस बात पर निर्भर करेगी की वह किस भाव में बैठा है। उदाहरण के लिए- सूर्य, सिंह राशि का स्वामी है लेकिन इसे तब ही लाभप्रद माना जायेगा जब यह मकर राशि में बैठा हो न कि अपनी ही राशि में।

शुक्र का तुला में बैठना, वृषभ के लिए और शुक्र का वृषभ में बैठना तुला के लिए लाभदायी नहीं है। ऐसा इसलिए है क्योंकि वृषभ व तुला का आपसी सम्बन्ध षडाष्टक (छह-आठ) है।

इसी तरह मंगल का मेष में बैठना, वृश्चिक के लिए और मंगल का वृश्चिक में बैठना, मेष के लिए षडाष्टक सम्बन्ध है।

बृहस्पति, कर्क में उच्च के होते हैं जो उनकी मूलत्रिकोण राशि धनु से षडाष्टक है।

ऊपर दी गयी भावत-भावं की व्याख्या किसी भी ज्योतिष के विद्यार्थी को हक्का-बक्का करने के लिए पर्याप्त है क्योंकि ज्योतिष में कई ऐसी चीज़ें है जो अभी भी पूर्णतः स्पष्ट नहीं हैं।

ऊपर दिए गए कुछ नियम और कुछ अन्य तथ्य, एक साधारण मनुष्य की समझ से बिलकुल परे है क्योंकि यह व्याख्या साधारणतया दी गयी व्याख्या से बिलकुल भिन्न है।

प्रश्न - ग्रहों के दुष्प्रभावों को कैसे कम करें ?

DVB- किसी जातक की कुंडली में बने अशुभ दोष या कमियां उस व्यक्ति के लिए कोई अभिशाप नहीं है। बल्कि वह इन दुष्प्रभावों का उपयोग अपने लाभ के लिए कर सकता है। कुंडली के वे दोष जो उन्हें सबसे ज़्यादा डराते है वास्तव में वे दोष ही उन्हें किसी भी मुश्किल स्थिति से बाहर निकालते हैं।

ऋषियों के रहस्य को साझा करने से पहले, मैं कुछ अवधारणाओं पर रौशनी डालना चाहूंगा -

· सर्वप्रथम, कोई भी ऐसी कुंडली नहीं है जिसमे कोई दोष न हो, यह उस व्यक्ति पर निर्भर करेगा कि वह उस अशुभ दोष को सक्रिय करना चाहेगा या निष्क्रिय।

· एक समझदार ज्योतिषी कुंडली के अशुभ दोषों को पहचान कर उनसे छुटकारा पाने के प्रभावी उपाय सुझा सकता है।

· एक व्यक्ति के लिए यह समझना ज़रूरी है कि कुंडली में बने अशुभ योगों से अपने शुभ कर्मों के द्वारा पीछा छुड़ाया जा सकता है।

· एक व्यक्ति के पिछले जन्म के बुरे कर्म ही उनकी जन्म कुंडली में प्रत्यक्ष दिखाई देते हैं जिनका निवारण केवल शुभ कर्म करके ही किया जा सकता है। सत्कर्म करने से व्यक्ति की जीवन शैली में सकारात्मक बदलाव आता है।

· एक जातक को कभी भी कुंडली में उपस्थित दोषों को उपायों द्वारा दबाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। अगर वे किसी तरह उन्हें दबाने में सफल हो भी गए तो जीवन में किसी भी मौके पर वे और अधिक भयंकर रूप ले कर सामने आ सकते हैं। भगवान् ब्रह्मा जी के कार्मिक सिद्धांत के अनुसार, हर व्यक्ति को अपने कर्मों का भुगतान करना ही पड़ता है।

· उदाहरण के लिए- कोई फर्क नहीं पड़ता आप पितृ पक्ष में कितना दान-पुण्य करते हैं अगर आप अपने बड़ों का आदर नहीं करते तो आपको पितृ दोष से कभी भी छुटकारा नहीं मिल सकता।

इस व्याख्या से यह साफ़ तौर पर जाना जा सकता है कि कुंडली के दोषों को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका अपने कर्मों का विश्लेषण कर उनका सुधार या शुद्धि की जाये।

प्रश्न - कैसे कुंडली के अच्छे योग हमें मदद करते हैं ?

DVB- मैं आपके साथ अपने द्वारा सुलझाया गया सबसे बढ़िया केस साझा करने जा रहा हूँ। एक बार एक बूढ़ा व्यक्ति अपने बेटे की जन्म कुंडली के साथ मेरे पास आया। पिता ने बताया कि उसका बेटा 40 साल का है और परिवार चलाने के लिए कोई काम नहीं करता है। उसने बताया कि उसने अपने बेटे की जन्म कुंडली/Janam Kundli बहुत से ज्योतिषियों को दिखाई और सबने उसे एक ही बात बताई है, उसका बेटा एक सितारे के तरह चमकेगा पर वह तो बिलकुल ही कोई काम नहीं करता। उसके बेटे की जन्म पत्री सही में एक ज्योतिषीय अजूबा थी। उसके अधिकतर ग्रह या तो उच्च की राशि में थे या फिर अपनी ही राशि में बैठे थे। 24 वर्ष की आयु पर उसके उच्च के लग्नेश की दशा चली लेकिन इस दौरान उसने कुछ नहीं किया बल्कि वह अपने परिवार पर ही निर्भर रहा, जिसकी आमदनी का साधन, मात्र मासिक किराया था। सभी ज्योतिषियों ने उसके बेटे के बारे में बहुत अच्छी बातें, उस दौरान घटित होने के लिए बताई लेकिन वे सभी बिलकुल गलत साबित हुई। उनकी जांच के अंश कुछ इस प्रकार थे -

· वह बहुत अच्छी शिक्षा प्राप्त करेगा और एक योग्य व्यक्ति बनेगा। वास्तविकता में वह 12 वीं के बाद अपनी पढ़ाई ज़ारी नहीं रख पाया और 12 वीं भी तीन प्रयासों में पास की।

· वह अपना बिज़नेस सेट करेगा और एक अत्यधिक सफल बिज़नेसमैन बनेगा। ऐसा कुछ नहीं हुआ। उसने बहुत से व्यवसाय चलाने की कोशिश की और सभी में फेल हुआ।

· वह एक सफल व्यक्ति बनेगा और औरों को भी अपना लक्ष्य पाने में मदद करेगा। लेकिन वो हमेशा ही असफल रहा और दूसरों पर हमेशा ही निर्भर रहा।

· हालांकि उसके ग्रह बहुत अच्छे बैठे थे लेकिन फिर भी वह चमकने में नाकामयाब रहा।

कुंडली के भयानक दोष हमेशा हानिकारक नहीं होते

मैं एक और केस बताना चाहूंगा - एक महिला मेरे पास अपने बच्चे की कुंडली के साथ आयी, उसके बारे में भविष्यवाणी करवाने के लिए। पहले तो मैंने मना कर दिया क्योंकि मैं 12 साल से छोटे बच्चो की कुंडली नहीं देखता। उसके बार-बार आग्रह करने पर मैंने हाँ कर दी। वह महिला बहुत दुखी थी क्योंकि बहुत से ज्योतिषियों ने उसके बच्चे की कुंडली के बारे में बहुत सी खराब बातें कहीं थी। उसके बच्चे के ग्रहों की स्थिति इस प्रकार थी -

· बच्चे का जन्म मूल नक्षत्र में हुआ था।

· उसके अधिकतर ग्रह नीच के थे।

· उसकी कुंडली में बालारिष्ट योग भी था।

· कुछ ज्योतिषियों ने उसकी शीघ्र मृत्यु की भविष्यवाणी की थी।

· अगर वह जीवित रहा तो वह जीवन में कुछ ही विषयों का आनंद ले पायेगा नहीं तो अधिकतर अपने माता-पिता और भाई-बहनों पर निर्भर रहेगा।

· बच्चे की माता ने देवताओं को खुश करने के लिए बहुत से उपाय किये थे लेकिन वह संतुष्ट नहीं थी।

इतना सब होते हुए भी मैंने उसे आश्वासन दिया कि उसका बच्चा जीवित रहेगा और एक सफल व्यक्ति बनेगा। मैंने उससे कोई भी उपाय करने के लिए नहीं कहा बल्कि मैंने उसे एक समय तालिका दी, जहां मैंने उसके बच्चे की प्रगति के बारे में बताया था। मैंने उससे हर छह महीनों में मिलने आने के लिए कहा ताकि इस बात की जांच की जा सके कि जो मैंने उसके बच्चे के बारे में बताया वह वाकई काम कर रहा है या नहीं।

प्रश्न- अच्छे या बुरे ग्रहों से कैसे निबटें ?

ऊपर दिए गए उदाहरणों से यह तो स्पष्ट हो ही गया है कि कोई भी ग्रह अच्छा या बुरा प्रभाव नहीं देता। मैं आगे बताता हूँ, ऊपर दिए गए दोनों उदाहरण क्या रहस्य खोलते हैं -

· शक्तिशाली व्यक्ति को औरों की मदद की ज़रुरत पड़ी, जबकि एक कमज़ोर ग्रह वाला व्यक्ति आत्मनिर्भर बना। शक्तिशाली ग्रह भी सहायक साबित नहीं हुए पर कमज़ोर ग्रहों ने जातक का साथ दिया।

· एक शक्तिशाली लग्न सबसे महत्वपूर्ण है और इसे दूसरों ग्रह से सहयोग मिलना ज़रूरी है।

· शक्तिशाली ग्रह संतुष्टि दिखाते हैं जबकि कमज़ोर ग्रह आवशयकता।

· शक्तिशाली ग्रह परिणाम नहीं देते क्यूंकि वे अपनी ज़िम्मेदारी आगे वाले ग्रहों पर डाल देते हैं। ज्योतिष के विद्यार्थियों को पता है कि एक उच्च ग्रह की मूलत्रिकोण राशि हमेशा ही नष्ट हो जाती है।

· हमेशा याद रखें कि एक शक्तिशाली ग्रह केवल एक बार अच्छे परिणाम देता है और अगर उन परिणामों का फायदा ना उठाया जाये तो ये शुभ परिणाम बिना कोई फायदा दिए गुज़र जायेंगें।

· ऐसे अनेकों उदाहरण हैं जहां कमज़ोर ग्रहों ने शक्तिशाली ग्रहों से बेहतर परिणाम दिए हैं।

धनी परिवार में जन्मा व्यक्ति एक साधारण जीवन जी सकता है जबकि एक जीरो कुंडली वाला व्यक्ति बहुत अच्छा प्रदर्शन दिखा सकता है।

एक ऐसा व्यक्ति जिसकी हीरो बन जाने की भविष्यवाणी हुई 40 के पार भी संघर्ष करते देखा जा सकता है। उसके ग्रह इस तरह से बैठे कि वह अपना दुश्मन खुद बन गया और जीवन में निष्फल ही रहा। और दूसरी और वो लड़का जिसकी माँ हद से ज़्यादा डरी हुई थी, एक बहुत अच्छा जीवन जियेगा। उसकी कुंडली कई ज्योतिषियों के लिए जीरो हो सकती है पर ऐसे ज्योतिषी जो एक कुंडली की बारीकियों को समझते हैं, उनके लिए यह कुंडली जीरो नहीं, हीरो है।

इसलिए यह सीखना ज़रूरी है कि कुंडली के अच्छे योगों को कैसे सक्रिय किया जाए और खराब दोषों को कैसे शांत किया जाये। लेकिन यह भी एक सही दशा और गोचर के दौरान ही किया जाना चाहिए। कुंडली के अच्छा या बुरा होने की बात भूल जाइये।

प्रश्न- यह कैसे देखें की ग्रह अच्छा है या बुरा ?

ऐसी अनेक स्थितियां है जिनमें होने पर ग्रह सुव्यवस्थित माना गया है। ये कुछ स्थितियां है जो बताती हैं कि ग्रह कुंडली में सही स्थिति में है -

· यदि ग्रह अपनी उच्च राशि में है तो वह कुंडली का सबसे मजबूत ग्रह है।

· जब ग्रह स्व-राशि का हो।

· जब ग्रह का विंशोपाक बल या षडबल में बली हो।

· जब ग्रह वर्गोत्तम हो।

· जब ग्रह अच्छे षष्ट्यंश में बैठा हो।

· जब ग्रह शुभ ग्रह से युति करे या उसकी दृष्टि में हो।

· जब ग्रह त्रिकोण का स्वामी हो।

· जब ग्रह को वह ग्रह देखे जिसकी राशि में वह बैठा है।

प्रश्न - कुंडली के कमज़ोर ग्रह को कैसे पहचानें ?

ज्योतिष के कुछ नियम है जो एक ग्रह को कमज़ोर या हानिकारक बनाते हैं। ये नियम इस प्रकार हैं -

· जब ग्रह अपनी नीच राशि में हो।

· जब ग्रह अपनी शत्रु राशि में हो।

· जब ग्रह विंशोपाक बल में कमज़ोर हो।

· जब ग्रह बुरे षष्ट्यंश में बैठा हो।

· जब गरक मृत्युभाग में बैठा हो।

· जब ग्रह अशुभ ग्रह से युति या दृष्टि सम्बन्ध में हो।

· जब ग्रह सूर्य के बहुत करीब हो।

· जब ग्रह 6,8 या 12 भाव में बैठा हो।

· जब ग्रह नीच, कमज़ोर या किसी राशि स्वामी से प्रभावित हो।

ये नियम एक ग्रह को शुभ या अशुभ बनाते हैं। एक पीड़ित ग्रह व्यक्ति के जीवन में कई समस्याएं दे सकता है। किसी दुष्प्रभाव के अभाव में ग्रह अपने स्वाभाविक फल देता है जो ऊपर के नियमों में बताये गए हैं। इसी से निर्धारित होगा कि एक ग्रह कमज़ोर है या बली।

इन सभी निर्देशों के बावजूद भी कोई अशुभ ग्रह, अशुभ ही फल दे यह ज़रूरी नही। और शुभ ग्रह, शुभ फल ही देगा यह भी कोई निश्चित बात नहीं है। किसी भी ग्रह से उत्तम फल प्राप्त करना व्यक्ति के कर्मों पर निर्भर करता है।

प्रश्न - क्या करें अगर किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली बुरी हो ?

DVB- मैंने पर्याप्त मात्रा में बता दिया है कि कोई भी कुंडली अच्छी या बुरी नहीं होती। हर कुंडली में अच्छी व बुरी ग्रहों की युतियां या स्थितियां हो सकती हैं। सबसे पहले, ग्रह के बल का पता लगाना आना चाहिए, एक अशुभ ग्रह यदि कमज़ोर हो तो ज़्यादा बुरा नहीं करेगा। ठीक इसी तरह एक शुभ ग्रह, यदि कमज़ोर है तो ज़्यादा अच्छे फल नहीं दे पायेगा। लेकिन अगर फिर भी किसी को अच्छी या बुरी कुंडली का वहम है तो उसके लिए मैं एक सबसे बढ़िया तरीका बताता हूँ। ऐसा नहीं है कि आपकी कुंडली अपना प्रभाव देना बंद कर देगी क्योंकि नीचे बताई गयी बातों में से भरसक प्रयास करने के बाद भी कुछ न कुछ छूट ही जायेगा। यह इसलिए होगा क्योंकि एक कमज़ोर लग्न, चन्द्रमा (मन ) या अन्य कोई ग्रह आपके कर्मों को पूरी तरह प्रभावी नहीं होने देगा। निम्न बातों का ध्यान रखें -

अपनी जन्म कुंडली एक तरफ रख दें और भूल जाएं कि ज्योतिषी ने आपसे क्या कहा है।

भूल जाओ कि आपके जन्म के समय आपके ग्रह कैसे बैठे थे।

अपने घर, परिवार, कार्यक्षेत्र या दोस्तों को कभी मत सताओं। उनके प्रति सद्भावपूर्ण व्यवहार रखो। मैं आपको एक बहुत सरल मन्त्र देता हूँ - सोने से पहले अपनी दिन भर की चर्या पर विचार करें और सोचें कि आपका बर्ताव दूसरों के प्रति कैसा रहा और दूसरों ने आपके प्रति कैसा बर्ताव किया है। बदले की भावना से दूर रहे और क्षमा करना सीखें। ऐसा कोई भी काम न करें जो यदि आपके प्रति कोई और आपके लिए करता तो आपको बुरा लगता।

अपनी आदतों में से हर वह आदत जो आपको लगता है कि दूसरों को परेशान या चोट पहुंचा रही है, को हमेशा के लिए अपने दैनिक जीवन से हटा दें।

आप जिस भी भगवान में विश्वास रखते हैं, एक दिन उनके लिए व्रत करें, नहीं तो कम से कम उस दिन शाकाहार अपनाएं। जैसे अगर आप शिव जी को मानते हैं तो सोमवार, यदि आप हनुमान जी में मानते हैं तो मंगलवार, यदि गणेश जी के भक्त हैं तो बुधवार आदि। हर भगवान् के लिए हिन्दू धर्म में एक दिन निश्चित किया गया है।

आप जिस भी भगवान् में विश्वास रखते हैं, उनके बारे में पढ़ें और उनकी एक आदत या सिद्धांत को अपने जीवन में उतारने की कोशिश करें।

एक बहुत ज़रूरी चीज़, हमेशा अपने बड़ों का आदर करें चाहे वे कोई भी हों कही भी हों।

अतिवाद की दौड़ में शामिल न हों। दूसरे क्या कर रहे हैं, अपने कर्मों को इससे प्रभावित न होने दें।

दूसरो की नक़ल नहीं बल्कि उनसे कुछ अच्छा सीखने की कोशिश करें। जो आपसे बेहतर स्थिति में हैं, उनसे कुछ न कुछ अच्छा ग्रहण करने का प्रयास करें।

अगर आपको किसी लड़ाई झगडे की स्थिति का सामना करना भी पड़े, तो उस स्थिति से बाहर निकल जाएँ न कि उसमें बढ़ -चढ़ कर हिस्सा लें।

किसी भगवान, देवता या ग्रह को खुश करने के चक्कर में न तो कोई दान करें और न ही अपनी उँगलियों को रत्नों से भरें। आप नहीं जानते, और हो सकता है वह ग्रह पहले से ही कुंडली में उच्च का बैठा हो।

आपको बता दूँ, कि मैं केवल शराब, ड्रग या इसी तरह की चीज़ों की बात नहीं कर रहा, जो एक व्यक्ति को हर हालत में छोड़ देनी चाहिए। ये चीज़ें आज नहीं तो कल हमारे दिमाग पर असर डालती हैं।

मैं जानता हूँ, कहना आसान है पर करना मुश्किल। पर यही तो कार्मिक सिद्धांत है। अगर आप इन चीज़ों को अपने जीवन में नहीं उतारते तो अच्छे से अच्छा ज्योतिषी भी आपकी मदद नहीं कर सकता। मैं यह कह कर विराम लूँगा कि- आपकी जन्म कुंडली आपके पिछले जन्म के कर्मों का लेखा-जोखा है, आपका भाग्य इस बात पर निर्भर करेगा कि आप इन कर्मों की कैसे आपूर्ति करते हैं और आपका अगला जन्म, आपके वर्तमान कर्मों पर आधारित होगा।

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ये थे डॉ विनय बजरंगी, जिन्होनें " दैनिक राशिफल पर निर्भर होना कितना सही है ?" पर भी ऐसा ही ज्ञानपूर्ण व विश्लेषणात्मक विवरण दिया है। उनके लेखों के बारे में और अधिक पढ़ने के लिए उनकी वेबसाइट http://www.vinaybajrangi.com/पर जा सकते हैं या उनके कार्यालय में +91 9278665588 / 9278 555588 पर संपर्क कर सकते हैं।