हार्ट अटैक, हार्ट वाल्व की बीमारी या अन्य हार्ट की बीमारियों के कारण जब ह्रदय की क्षमता कम हो जाती है तो हृदय शरीर की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त रक्त पंप करने में असमर्थ होता है। नतीजतन, तरल पदार्थ फेफड़ों और शरीर के अन्य हिस्सों में जमा हो सकते है।
हार्ट फेल्योर के लक्षणो में मुख्य रूप से तेज़ चलने/सीढ़ी चढ़ने/भारी काम करने पर सांस भरना या थकान, पैरो में सूजन, सीधा सोने पर सांस भरना, सोने के 1_2 घण्टे बाद सांस भरने के कारण अचानक नींद खुल जाना आदि होते हैं
उपचार के दौरान मरीजों को निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए।
- दवाइयों से हार्ट की क्षमता और कम होने से रोकी जा सकती है या कई बार बड़ायी भी जा सकती है अतः दवाएं नियमित रूप से ले, और बिना चिकित्सक की सलाह के एक भी दिन दवाएं न छोड़े।
- कई प्रोसेजर (जैसे हार्ट वाल्व सर्जरी, ICD, CRTD आदि) भी कभी हार्ट फेल्योर को बड़ने से रोकने या अचानक मृत्यु को रोकने में कारगर हो सकते है, अपने चिकित्सक से सलाह ले।
- कम नमक वाला आहार ले, नियमित अपना वजन करते रहे(बड़ने पर चिकित्सक की सलाह ले), सोते वक्त सांस ज्यादा चलती हो तो अपना पलंग सर की तरफ से थोड़ा ऊंचा कर ले (या अतिरिक्त तकियो का उपयोग करे) अपना टीकाकरण पूर्ण रखे।
- नियमित व्यायाम करे ,धूम्रपान और अत्यधिक शराब के सेवन से बचें।