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शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जिससे उनके भीतर लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में भाग लेने की, और मौलिक अभिव्यक्ति की प्रवृत्ति, तथा सौन्दर्यबोध की समझ विकसित हो और साथ ही आर्थिक प्रक्रियाओं व सामाजिक बदलाव की ओर कार्य करने व उसमें योगदान देने की क्षमता भी विकसित हो सके।
स्वामी विवेकानंद – “मनुष्य की अंतर्निहित पूर्णता की अभिव्यक्ति ही शिक्षा है।”
वैदिक काल में शिक्षा का उद्देश्य आदर्श और महान था। लेकिन समय के साथ-साथ शिक्षा के उद्देश्यों में भी परिवर्तन होता रहा वैदिक काल में जहां शिक्षा अध्यात्म , संगीत, वेद उपनिषद, राजनीति, रणकौशल, आदि पर आधारित हुआ करती थी। मध्यकाल में शिक्षा का उद्देश्य धर्म के प्रचार – प्रसार के लिए हो गया। वहीं आधुनिक काल में शिक्षा का उद्देश्य पुनः बालक के सर्वांगीण विकास पर आधारित हो गया।
इस शिक्षा में बालक के मस्तिष्क के विकास की ही नहीं बल्कि उसके शारीरिक विकास पर भी ध्यान दिया जाता है। आधुनिक पाठ्यक्रम में बालक के हर एक रूचि को ध्यान में रखा जाता है अथवा उसके सर्वांगीण विकास पर विशेष बल दिया जाता है। जिसमें चरित्र निर्माण, व्यक्तित्व का विकास, नागरिक और सामाजिक कर्तव्यों का पालन, सामाजिक सुख और कौशल की उन्नति, राष्ट्रीय संस्कृति का संरक्षण और प्रसार शामिल है।
“Education’ का व्युत्पत्तिमूलक अर्थ-अंग्रेजी शब्द Education’ की उत्पत्ति लैटिन भाषा से हुई है। विद्वानों का विचार है कि Education शब्द का संबंध लैटिन भाषा के तीन शब्दों ‘educatium (एजूकेसीयम) educere’ (एजूसीयर) तथा ‘educare’ (एजूकेयर) से है। इन तीनों ही शब्दों को लैटिन भाषा में लगभग समान अर्थ है। इन शब्दों का क्रमश: अर्थ है-विकसित करता, निकालना या आगे बढ़ाना, बाहर निकालना या शिक्षित करना।
शिक्षा की प्रमुख विशेषताएँ ‘शिक्षा की परिभाषाओं के उपर्युक्त विवरण द्वारा काफी हद तक शिक्षा का अर्थ स्पष्ट हो जाता है। इसके और अधिक स्पष्टीकरण के लिए शिक्षा की प्रमुख विशेषताएँ निम्नवर्णित हैं–
1. निरंतर चलने वाली प्रक्रिया–शिक्षा अपने आप में एक प्रक्रिया है जो निरंतर रूप से जीवन भर चलती रहती है। शिक्षा के माध्यम से ही जीवन का विकास होता है।
2. विकास की प्रक्रिया-शिक्षा की एक उल्लेखनीय विशेषता यह है कि इसके माध्यम से व्यक्ति का विकास होता है। यह भी कहा जा सकता है कि शिक्षा के माध्यम से व्यक्ति के आंतरिक गुणों तथा निहित शक्तियों का प्रकटीकरण तथा प्रस्फुटन होता है। इस विशेषता को ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता है कि शिक्षा की प्रक्रिया में बाहर से कुछ भी थोपना संभव नहीं होता।
3. सचेतन प्रक्रिया–-एक दृष्टिकोण से शिक्षा को सचेतन प्रक्रिया भी स्वीकार किया गया है। शिक्षा की इस विशेषता के अनुसार, शिक्षा को जानबूझकर ग्रहण किया जाता है तथा इसके लिए भी प्रयास करने पड़ते हैं। शिक्षा की प्रक्रिया में काफी हद तक नियमितता भी होती है।
4. आजीवन चलने वाली प्रक्रिया जैसा की पहले भी स्पष्ट किया जा चुका है; शिक्षा केवले स्कूल, कॉलेज आदि शिक्षण संस्थाओं तक ही सीमित नहीं, बल्कि जीवन के समस्त क्षेत्र ही शिक्षा प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस दृष्टिकोण को स्वीकार कर लेने पर स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि शिक्षा जीवन भर चलने वाली प्रक्रिया है। यह जन्म से ही प्रारंभ हो जाती है तथा मृत्यु तक किसी-न-किसी रूप में चलती ही रहती है।
5. परिवर्तनकारी प्रक्रिया–शिक्षा अपने आप में एक ऐसी प्रक्रिया है जो संबद्ध व्यक्तियों के जीवन में अनेक परिवर्तन लांती है। इसके माध्यम से व्यक्ति के व्यवहार में बहुमुखी परिवर्तन आता है। शिक्षा के परिणामस्वरूप जहाँ एक ओर बालक की मूलप्रवृत्तियों, संवेगों, मनोवृत्तियों तथा प्रकृति प्रदत्त क्षमताओं का परिमार्जन होता है, वहीं साथ-ही-साथ शिक्षा के ही प्रभाव से व्यक्ति की चिंतन प्रणाली, कार्य-प्रणाली तथा विभिन्न उत्तेजनाओं के प्रति होने वाली प्रतिक्रियाओं के ढंग में भी परिवर्तन होता है।
6. गत्यात्मक प्रक्रिया–शिक्षा प्रक्रिया की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए इसकी एक अन्य विशेषता का भी उल्लेख किया जा सकता है। इस विशेषता के अनुसार शिक्षा को एक गत्यात्मक प्रक्रिया कहा जा सकता है। गत्यात्मक से आशय है कि शिक्षा की प्रक्रिया न तो स्थिर है और न | ही जड़। शिक्षा का संबंध व्यक्ति के निरंतर होने वाले विकास से है तथा विकास सदैव उन्नयनकारी होता है। अतः शिक्षा की प्रक्रिया गत्यात्मक प्रक्रिया है।
Based on C.B.S.E. Pattern
Vidyanam uttam dhanam asti
Apna Maan
Save Forest
Dastane khichadi ki gajab kahani
Chhoti Lal Murgi
Shiksha Hamara sanskar aur hamari sanskriti
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Lalapul , Raghunathpur
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1. Moral Education
2. Computer Lab * 3 . Activities
4. Comfortable Management
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6. Great duties 7. Qualify Teachers 8. Miss and Madam
9. Discipline
10. Sympathy
11. Friendly behavior
12. Other's emergency relief
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Staff of the School
Umesh kr Sinha - Instructor
Neelam kumari - Principal
Kartik Raj - Accountant & teacher
Sandhya kumari - Teacher
Nisha kumari - Teacher
Baby kumari - Teacher
Seema kumari - Teacher
Shobha kumari - Teacher
Ati Sundri kumari - Teacher
Rubi kumari - Teacher
Ratnakar Dakoo
Jayanti
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और विधार्थी को भी नियम पालन मे सहयोग करे ! विद्यालय का फी समय पर जमा करे l वरना दंड लगेगा !
परीक्षा फल की प्रगति पुस्तिका (प्रोग्रेस रिपोर्ट) पैरेंट्स मीटिंग मे प्रदान किए जाएगे i
विद्वान तभी बनेगे , जब स्कूल की अन्तिम कक्षा तक लगातार पढ़ते हुए सम्मान पूर्वक स्कूल से विदा लेगे ।
Attendances must be require and necessary
to progress of students with 90% present in class