evergreen lines

इन आँखों से दिन-रात बरसात होगी

अगर ज़िंदगी सर्फ़-ए-जज़्बात* होगी

मुसाफ़िर हो तुम भी, मुसाफ़िर हैं हम भी

किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी

सदाओं को अल्फाज़ मिलने न पायें

न बादल घिरेंगे न बरसात होगी

चराग़ों को आँखों में महफूज़ रखना

बड़ी दूर तक रात ही रात होगी

अज़ल-ता-अब्द* तक सफ़र ही सफ़र है

कहीं सुबह होगी कहीं रात होगी

* सर्फ़-ए-जज़्बात – भावनाओं में ख़र्च

* अज़ल-ता-अब्द – आदि से अंत

बशीर बद्र