My writing philosophy:
मैं लिखता हूँ
क्योंकि ख़यालों को
बेवज़ह मन में सोच कर
ज़ाया नहीं करते !
ख़यालों को हवा लगनी चाहिए ,
उन्हें काग़ज़ पे उकेर कर
ज़िंदा रखना ज़रूरी है
क़लम की निब से उनकी निभे ना निभे !
ख़याल, काग़ज़, निब और मैं !
जाने क्यों
बस निभाते चले जाते है!