मेरे बारे में
नाम : भगवान वैद्य ‘प्रखर’ / BHAGWAN VAIDYA ‘PRAKHAR’
जन्मतिथि : २३ दिसंबर १९४६
जन्म - स्थान : ग्राम - साटक ता. रामटेक,
जिला- नागपुर (महाराष्ट्र)
मातृभाषा एवं मैट्रिक तक शिक्षा का माध्यम : मराठी
शिक्षा : बी.ए., एलएल. बी., पत्रकारिता में डिप्लोमा, असोशिएट आफ़ ऑल इंडिया इन्स्टिट्यूट ऑफ़ इन्शोरेन्स,मुंबई; पी. जी. डिप्लोमा इन ह्यूमन राइट्स ( पार्ट, २४ में से २० पेपर्र्स )
व्यवसाय : ३ वर्ष पी. डब्लू. डी., ५ वर्ष भारतीय डाक-तार विभाग, तथा ३२ वर्ष भारतीय जीवन बीमा निगम में सेवा के उपरांत शाखा-प्रबंधक पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति : वर्ष २००३
गतिविधियाँ :
वर्ष १९८७ में अमरावती (महाराष्ट्र) में स्थापित सप्तरंगी हिंदी साहित्य संस्था (पंजीयन क्रं.महाराष्ट्र/१८६९/८७) तथा वर्ष २००८ में स्थापित हिंदी ज्ञानपरिवर्धन संस्था (पंजीयन क्र. महाराष्ट्र/६१९/२००८) के माध्यम से हिंदी भाषा का प्रचार-प्रसार तथा साहित्य-सृजन से संबंधित गतिविधियों के उन्नयन में निरंतर सक्रिय.
संप्रेषण, विपणन, विक्रय, व्यक्तित्व विकास, व्यक्तित्व के मूल तत्व, अभिप्रेरणा( motivation), लक्ष्य निर्धारण एवं लक्ष्य-पूर्ति के उपाय आदि. विषयों पर बीमा संस्थाएं, विविध राष्ट्रीयकृत बैंक आदि. की पत्र-पत्रिकाओं में हिंदी भाषा में पिछले तीस वर्षों में विपुल लेखन एवं पचास से अधिक अभ्यासपूर्ण व्याख्यान।
विभिन्न महाविद्यालय एवं संत गाडगे बाबा अमरावती विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में राजभाषा, राष्ट्रभाषा, अनुवाद आदि विषयों पर पिछले पंदरह वर्षों से अनेक व्याख्यान।
समाज के विभिन्न वर्गों / घटकों को समय - समय पर मानव अधिकारों ( मानव अधिकार संस्थान, नई दिल्ली के द्वि-वर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम कुल २४ में से २० पेपर्स विशेष प्राविण्य के साथ उत्तीर्ण। ) से संबंधित मार्गदर्शन।
सौ से अधिक साहित्यिक, सांस्कृतिक, सामाजिक कार्यक्रमों का सफलतापूर्वक संचालन।