PROGRAM OUTCOME

A student, at the end of a three-year Degree Course program, acquires a competence over the theoretical as well as practical aspects of the subjects chosen by him/her. The completion of the course is a step towards a bright career of a student in future. After successful completion of the course a student becomes competent enough to fill up the forms of different Competitive Examinations conducted by both the State and the Central Government (Primary Teachers’ Examination, School Service Commission Examination, Staff Selection Commission Examinations as well as other Examinations conducted by Public Service Commission, Railways, Banking, UPSC etc.). Besides, a student can also obtain P.G. Degree in the distance mode from any Open University.


PROGRAM SPECIFIC OUTCOME

If a student studies Hindi (General) under three-year Degree Course program, he/she becomes more competent to understand structure of the Hindi Language and use the Language more meaningfully. Besides, he/she acquires ability to respond to literary texts as well as to grasp their socio-cultural impact. It may be stated that Hindi, as being National- cum-Official Language of India, becomes indispensable for pursuing a career in various avenues–be it research, education or teaching. Hindi is found being included as a subject in almost all the premier Civil Service Examinations like IAS or IPS, WBCS, BPSC etc.

COURSE OUTCOME

Semester-I, HING – CC-1

हिंदी साहित्य का इतिहास

प्रथम सत्र की विषय-वस्तु के अध्ययन के उपरांत विद्यार्थी हिंदी भाषा में रचित साहित्य की धारावाहिकता के संबंध में जानकारी प्राप्त करने में सक्षम हो जाता है। जिन साहित्यकारों की रचनाओं को विद्यार्थी ने अब तक निचली कक्षाओं में पढ़ा था, अब वह उन रचनाकारों को उनके युग के क्रम में समझने में सक्षम हो पाता है। कबीर, भारतेन्दु, बिहारी, नागार्जुन, निराला आदि को किस क्रम में रखा जाना चाहिए, अर्थात् कौन सबसे पहले तथा क्रमशः कौन सबसे बाद में रहेगा—विद्यार्थी को यह ऐतिहासिक विवेक प्राप्त हो जाता है।

Semester-II, HING – CC-2

मध्यकालीन हिंदी कविता

कबीरदास, सूरदास, तुलसीदास, मीराबाई, रसखान एवं बिहारी—इन 6 कवियों की चुनी हुई कविताओं के अध्ययन से विद्यार्थी न केवल इन कवियों की कविताओं के अर्थ को भलीभांति आत्मसात करने में सक्षम होता है, बल्कि वह इन कविताओं के संदेश को भी ग्रहण कर पाता है। वह इन कवियों की युगीन समस्याओं से परिचित हो पाता है। कवियों द्वारा सुझाए गए इन समस्याओं के समाधान से भी वह परिचित हो जाता है तथा इन समाधानों से उसके जीवन का पथ भी आलोकित हो उठता है।

Semester-III, HING – CC-3

आधुनिक हिंदी कविता

भारतेंदु हरिश्चंद्र, मैथिलीशरण गुप्त, जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’, सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ एवं नागार्जुन —इन 6 कवियों की चुनी हुई कविताओं के अध्ययन से विद्यार्थी न केवल इन कवियों की कविताओं के अर्थ को भलीभांति आत्मसात करने में सक्षम होता है, बल्कि वह इन कविताओं के संदेश को भी ग्रहण कर पाता है। द्वितिय सत्र में मध्ययुगीन हिंदी कविताओं के अध्ययन से लाभान्वित हुआ विद्यार्थी इस सत्र की विषय-वस्तु के अध्ययन से 1857 ई. के बाद के भारतीय समय एवं समाज की परिस्थितियों से परिचित हो जाता है। वह केवल कविताओं का ही अध्ययन नहीं करता, बल्कि तद्युगीन इतिहास की दशा एवं दिशा से भी परिचित हो जाता है तथा उसका यह परिचय उसके भावी जीवन में बहुत काम की चीज सिद्ध होता है।

Semester-IV, HING – CC-4/GE-4

हिंदी गद्य साहित्य

प्रथम सत्र में ‘हिंदी साहित्य का इतिहास’ का अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों को हिंदी साहित्य की एक सामान्य-सी जानकारी प्राप्त हो पाती है। फिर आगे द्वितीय सत्र में ‘मध्यकालीन हिंदी कविता’ तथा तृतीय सत्र में ‘आधुनिक हिंदी कविता’ के अध्ययन से इन विद्यार्थियों की कविता संबंधी जानकारी में थोड़ी वृद्धि तो जरूर होती है, मगर गद्य साहित्य की इनकी जानकारी में कमी रह जाती है। इसी कमी को पूर्ण करने के उद्देश्य से इस सत्र में जैनेन्द्र कुमार के एक उपन्यास को तथा प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, यशपाल एवं उषा प्रियंवदा की एक-एक कहानी (कुल चार कहानियाँ) को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। साथ ही रामचंद्र शुक्ल एवं हजारी प्रसाद द्विवेदी के एक-एक निबंध ( कुल दो निबंध) को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। इस पाठ्यक्रम के अध्ययन से विद्यार्थियों को तत्कालीन समय एवं समाज के बारे में तो जानकारी प्राप्त होती ही है, साथ-ही-साथ उनके भाषा संबंधी ज्ञान में भी वृद्धि होती है।

Semester-V, HING – DSE-A(1)

लोक साहित्य

चतुर्थ सत्र तक हिंदी साहित्य के विविध क्षेत्रों की सामान्य-सी जानकारी प्राप्त कर चुकेविद्यार्थियों को पाँचवें सत्र के इस पत्र में कसी एक अन्य खास क्षेत्र (लोक साहित्य) की थोड़ी अतिरिक्त जानकारी प्रदान की जाती है। ग्यारह अलग-अलग प्रकरणों वाले इस विषय के अध्ययन से विद्यार्थियों को पारंपरिक साहित्य से बाहर फल-फूल रहे लोक साहित्य की जानकारी प्राप्त होती है तथा उनके समाजशास्त्रीय ज्ञान में वृद्धि होती है।

Semester-V, HING – DSE-A(2)

छायावाद

चतुर्थ सत्र तक हिंदी साहित्य के विविध क्षेत्रों की सामान्य-सी जानकारी प्राप्त कर चुके विद्यार्थियों को पाँचवें सत्र के इस पत्र में कसी एक अन्य खास क्षेत्र (छायावाद) की थोड़ी अतिरिक्त जानकारी प्रदान की जाती है। यों तो तृतीय सत्र में आधुनिक हिंदी कविता का अध्ययन करते वक्त विद्यार्थियों को आधुनिक हिंदी साहित्य के अन्य कवियों के साथ छायावाद के सिर्फ दो कवियों (जयशंकर प्रसाद एवं सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’) की चुनी हुई कविताएँ ही पढ़ने को मिली थीं, मगर इस पत्र में उन्हें छायावाद के चारों कवियों (जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’, सुमित्रानंदन पंत एवं महादेवी वर्मा) की चुनी हुई कविताएँ पढ़ने को मिलेंगी जिससे वे छायावाद के संबंध में विशेष जानकारी हासिल कर पाएंगे।

टिप्पणी : DSE-A(1) एवं DSE-A(2) में से विद्यार्थियों को किसी एक को ही चुनना होगा।

Semester-VI, HING – DSE-B(1)

राष्ट्रीय काव्यधारा

पाँचवें सत्र में लोक साहित्य अथवा छायावाद की विशेष जानकारी हासिल कर लेने के उपरांत छठवें सत्र के इस पत्र में एक अन्य खास क्षेत्र (राष्ट्रीय काव्यधारा) की थोड़ी अतिरिक्त जानकारी प्रदान की जाती है। पराधीनता की बेड़ियों में जकड़े भारतवर्ष को स्वाधीनता दिलाने में तथा भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार में हिंदी साहित्य की क्या भूमिका रही, यही इस पत्र की मुख्य विषय-वस्तु है। विद्यार्थियों को इस पत्र के अंतर्गत् पाँच कवियों (मैथिलीशरण गुप्त, माखनलाल चतुर्वेदी, सोहनलाल द्विवेदी, बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ एवं रामधारी सिंह ‘दिनकर’) की चुनी हुई कविताएँ पढ़ने को मिलेंगी जिससे वे राष्ट्रीय काव्यधारा के संबंध में विशेष जानकारी हासिल कर पाएंगे।

Semester-VI, HING – DSE-B(2)

प्रेमचंद

जिन विद्यार्थियों की रुचि काव्य साहित्य की अपेक्षा गद्य साहित्य में अधिक होती है उनके लिए इस पत्र में प्रेमचंद के गद्य साहित्य को रखा गया है। इस पत्र में प्रेमचंद के एक उपन्यास (सेवासदन), एक नाटक (कर्बला), एक निबंध (साहित्य का उद्देश्य) तथा पाँच कहानियों (पूस की रात, शतरंज के खिलाड़ी, पंच परमेश्वर, ईदगाह, दो बैलों की कथा) को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। इस पत्र के अध्ययन से विद्यार्थी प्रेमचंद की जीवन-दृष्टि के संबंध में विशेष जानकारी हासिल कर पाएंगे।

टिप्पणी : DSE-B(1) एवं DSE-B(2) में से विद्यार्थियों को किसी एक को ही चुनना होगा।

SEC-A(1) – Semester 3/5


विज्ञापन : अवधारणा, निर्माण एवं प्रयोग

विद्यार्थी केवल पारंपरिक साहित्य का ही अध्ययन न कर प्रयोजनमूलक साहित्य का भी अध्ययन कर पाएं, इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए ही SEC के अंतर्गत् उन्हें इस पत्र के अध्ययन की सुविधा प्रदान की जाती है। आज का युग एक तरह से विज्ञापन का ही युग है। ऐसी स्थिति में सामान्य लोगों की तुलना में हिंदी साहित्य के विद्यार्थी अधिक अच्छी तरह विज्ञापनों को प्रस्तुत करने की क्षमता प्रदर्शित कर पाएंगे क्योंकि SEC के इस पत्र के अध्ययन से वे विज्ञापन की अवधारणा, विज्ञापन के निर्माण तथा विज्ञापन के यथोचित एवं समसामयिक प्रयोग के संबंध में विशेष ज्ञान अर्जित कर लेते हैं। यह विशेष ज्ञान उनके लिए भविष्य में रोजगार प्राप्त करने का एक साधन सिद्ध हो सकता है।

SEC-A(2) – Semester 3/5

साहित्य और हिंदी सिनेमा

विज्ञापन की ही तरह सिनेमा से भी आज का समय और समाज बहुत प्रभावित नजर आता है। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए SEC के इस पत्र के अंतर्गत् हिंदी सिनेमा के सिद्धांत एवं प्रयोग के संबंध में जानकारी प्रदान की जाती है। इस पत्र के अंतर्गत् केवल समाज और सिनेमा के अंतर्संबंध इस पत्र को ही रेखांकित नहीं किया जाता, बल्कि हिंदी सिनेमा के संक्षिप्त इतिहास की भी जानकारी प्रदान की जाती है। साथ ही सिनेमा के तकनीकी पक्ष, फिल्म-निर्माण की प्रक्रिया, निर्देशन, पटकथा, छायांकन, संगीत, अभिनय आदि का भी इस पत्र में अध्ययन कराया जाता है। इस पत्र के अध्ययन से विद्यार्थियों को रोजगारमूलक ज्ञान की प्राप्ति होती है।


टिप्पणी : SEC-A(1) एवं SEC-A(2) में से विद्यार्थियों को किसी एक को ही चुनना होगा।

SEC-B(1) – Semester 4/6

अनुवाद : सिद्धांत और प्रविधि

विज्ञापन और सिनेमा की तरह अनुवाद भी प्रयोजनमूलक हिंदी का एक महत्वपूर्ण विषय-क्षेत्र है। अनुवाद-कला से परिचित होकर हिंदी के विद्यार्थी दूसरी भाषाओं में एवं दूसरी भाषाओं से हिंदी में अनुवाद-कार्य कर अपने अध्ययन को रोजगारोन्मुखी बनाएं, इसी उद्देश्य से SEC के इस पत्र का पाठ्यक्रम निर्मित किया गया है। हिंदी अनुवादक, हिंदी अधिकारी आदि के पद पर चयनित होने में SEC के इस पत्र का अध्ययन बहुत सहायता प्रदान करता है।

SEC-B(2) – Semester 4/6

दृश्य-श्रव्य माध्यम लेखन

विज्ञापन, सिनेमा एवं अनुवाद के अतिरिक्त ‘दृश्य-श्रव्य माध्यम लेखन’ भी प्रयोजनमूलक हिंदी का एक अन्य महत्वपूर्ण विषय-क्षेत्र है। दृश्य माध्यम के अंतर्गत् टेलीविजन तथा श्रव्य माध्यम के अंतर्गत् रेडियो आता है। इन दोनों माध्यमों के लिए किया जाने वाला लेखन साहित्यिक-लेखन से जरा भिन्न होता है। रेडियो भले ही उतना लोकप्रिय माध्यम न हो, मगर टेलीविजन की लोकप्रियता तो अतुलनीय है। अत: SEC के इस पत्र के तहत विद्यार्थियों को इन्हीं दोनों माध्यमों के लिए किए जाने वाले लेखन की विभिन्न तकनीकों का रोजगारमूलक ज्ञान प्रदान किया जाता है जो भविष्य में उनके लिए रोजगार प्राप्त करने का एक साधन सिद्ध हो सकता है।


टिप्पणी : SEC-B(1) एवं SEC-B(2) में से विद्यार्थियों को किसी एक को ही चुनना होगा।


SEC के संबंध में स्पष्टीकरण : हिंदी (जेनरल) के विद्यार्थियों को CC/GE के 4 पत्रों तथा DSE के 2 पत्रों का अध्ययन करने के साथ ही SEC के भी 2 पत्रों का अध्ययन करना पड़ता है। सामान्यतया इस कॉलेज में हिंदी (जेनरल) के SEC का अध्ययन सेमेस्टर-3 एवं सेमेस्टर-4 में करना पड़ता है। यदि किसी कारणवश कोई विद्यार्थी सेमेस्टर-3 एवं सेमेस्टर-4 में SEC के रूप में किसी दूसरे विषय का अध्ययन करना चाहता है तो उसे हिंदी के SEC का अध्ययन सेमेस्टर-5 एवं सेमेस्टर-6 में करना होगा।