‘I Have a Dream’ 


“मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने 28 अगस्त, 1963 को लिंकन मेमोरियल हॉल में प्रसिद्ध ‘I Have a Dream’ भाषण दिया था। वह एक नागरिक अधिकार कार्यकर्ता और नोबेल पुरस्कार विजेता थे। अपने भाषण में, उन्होंने नस्लीय भेदभाव के खिलाफ बात की थी और अमेरिका में नीग्रो लोगों के लिए नागरिक और आर्थिक अधिकारों का आह्वान किया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे नीग्रो, विशेष रूप से अलबामा जैसे स्थानों में, अभी भी अन्याय का सामना कर रहे थे और वास्तव में स्वतंत्र नहीं थे। उन्होंने उनकी स्थिति की तुलना ‘खराब चेक’ दिए जाने और नागरिकता के अधिकार से वंचित किए जाने से की । वह यह भी कहते हैं कि नीग्रो लोग अन्याय की भट्टी में तप रहे हैं। अमेरिका तो खुशहाल है फिर भी वह बदहाल हैं। इसलिए आज मैं यहां उनके लिए आवाज बुलंद करने आया हूं। हम लोग आगे बढ़ेंगे और जबतक उन लोगों को गोरो के बराबर अधिकार नहीं मिल जाता तब तक नहीं बैठेंगे। जब तक कि इंसाफ पानी की तरह ना बहने लगे और जब तक उन्हें भी होटलों में कमरे ना मिलने लगे। और मैं आपसे गुजारिश करता हूं कि आप सभी उनके लिए आगे आए क्योंकि हम सभी की किस्मत की लकीरें एक ही है। निराशाओं के बावजूद मार्टिन का एक सपना है, उनका सपना है कि गुलामों के बच्चे और उनके मालिकों के बच्चे भाईचारगी के टेबल पर एक साथ बैठे होंगे। उनका सपना है कि उनके बच्चों को उनके रंग की वजह से नहीं बल्कि उनके किरदार की वजह से पहचाना जाएगा। उनका सपना है कि आजादी गूंजेगी अमेरिका के हर एक कोने से और फिर एक दिन ऐसा  आएगा जब सभी गोरे और काले एक साथ अपनी जिंदगी गुजारेंगे और उनके सपने भी एक होंगे। यह कालों में समर्थन मैं अब तक की दी गई सबसे अच्छा Speech में से एक है और उन्होंने बड़ी कामयाबी से यहां अपने श्रोताओं को खुद से जोड़ने में सफलता हासिल की है। उनकी इस स्पीच ने उन्हें एक महान वक्ता साबित कर दिया एवं इसने नीग्रो के प्रति नाइंसाफी, अत्याचार और शोषण के खिलाफ एक तरयाक के रूप में काम किया।

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