*प्राण प्रतिष्ठा*
एक बार एक गांव में *मंदिर*
का काम चल रहा था,
मंदिर *आदिवासी* और
*गरीब* लोग बना रहे थे,
एक *आदिवासी बड़ी मूर्ति*
बना रहा था!
कुछ दिन बाद *मंदिर* बनकर
तैयार हो गया,
मंदिर में *पुजारियों* द्वारा
*हवन कार्य मूर्ति स्थापना*
और *मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा*
आदि कार्य सम्पन्न हो गया,
अगले दिन *मन्दिर दर्शन* के
लिए खोल दिया।
वह *मूर्तिकार* जिसने मूर्ति
बनाई वो भी *दर्शन* को
आया था।
वह ख़ुशी के मारे बिना **
बिना पैर धुले *मन्दिर में प्रवेश*
कर गया।
पुजारी उस पर *क्रोधित* हुआ
और कहा -
'मुर्ख तू जाहिल है क्या
*बिना पैर धुले* मन्दिर
में नहीं आते
जा *बाहर जा*
आदिवासी बोला -' *पुजारी जी*
जब मैं मूर्ति बना रहा था
और चप्पलों से उस पर चढ़
जाता था तब किसी ने मना
नही किया :'!
पुजारी बोला -" बेबकूफ हम
ने अपने मन्त्रों से
*मूर्ति में प्राण* डाल दिए हैं
समझ गया",
बेचारा *आदिवासी चुपचाप*
अपने घर चला गया,
कुछ दिन बाद वह दोबारा
मन्दिर गया तो देखा की मन्दिर
में ताला लगा था,
उसको किसी ने बताया
कि *पुजारी जी* का *बेटा*
खत्म हो गया है।
यह सुनकर वह *दौड़* कर
*पुजारी के घर* गया।
वहां देखा सब लोग रो
रहे थे। वह धीरे से पुजारी
के पास जाकर बोला
कि आप रो क्यों रहे हैं?
जैसे आपने मूर्ति में अपने
*मन्त्रों से प्राण डाल दिए*
वैसे ही अपने बेटे में
प्राण डाल दीजिए,
यह सुनकर सब अचंभे से
उसकी तरफ देखने लगे।
*पुजारी बोला* -'क्या ऐसा
कभी होता है कोई मरा हुआ
दुबारा जीवित होता है?
*आदिवासी बोला*-' तो आपने
मन्दिर में जो बात बोली
क्या वो झूठ थी?
और *इस प्रश्न का उत्तर*
आज तक नही मिला है।
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