गुदा संबंधी रोग


➺ गुदा में फटन, स्पर्श से दर्द, चारों ओर गूमड़ (चपटे) – THUJA 200 रोजाना।

➺ नवजात शिशु में गुदा पर चकत्ते - Medorrhinum 200 की एक खुराक ।

➺ गुदा पर दरार या उसके आस-पास उभार THUJA 6 दिन में तीन बार

➺ गुदा में जलन- CAPSICUM ANNUUM 30 दिन में तीन बार।

➺ गुदा में बिना बवासीर के दर्द- MURIATICUM ACIDUM 30 हर चार घंटे पर।

➺ माहवारी के दौरान गुदा में दर्द- MURIATICUM ACIDUM-3 हर चार घंटे पर।

➺ गुदा का अपने स्थान से खिसक जाना - IGNATIA AMARA 30 या PODOPHYLLINUM-30 दिन में दो बार

➺ गुदा या मलद्वार का अपने स्थान से खिसकना-CARDUUS MARIANUS 30 हर छह घंटे पर।

➺ गुदा का अपने स्थान से खिसकना, मल-त्याग से पहले या दौरान, डायरिया, युवतियों में दमित मासिक-धर्म-PODOPHYLLINUM-30 दिन में तीन बार लें।

➺ गुदा का अपने स्थान से खिसकना, कठिनाई से मल-त्याग करते समय, झुकने से बढ़ता है— RUTA GRAVEOLENS-6 दिन में तीन बार ।

➺ गुदा का अपने स्थान से खिसकना, खिसका हुआ अंग दुखता है और स्पर्श के प्रति संवेदनशील होता है, बिस्तर के चादर से भी दर्द पहुँच सकता है MURIATICUM ACIDUM 30 दिन में तीन बार |

➺ गुदा का अपने स्थान से खिसकना, मूत्र त्याग के समय भी गुदा बाहर आ जाता है - ALOE SOCOTRINA- 6 दिन में तीन बार

➺ गुदा का खिसक जाना, मल-त्याग के लिए जोर लगाने पर, ढीले मल से बदतर - IGNATIA AMARA-30 हर छह घंटे पर।

➺ बच्चों में गुदा का खिसक जाना, रात को गुदा में खुजली - FERRUM METALLICUM 30 हर छह घंटे पर।

➺ गुदा और गर्भाशय का अपने स्थान से खिसक जाना, दबाव देकर मल त्याग करने से – COLLINSONIA CANADENSIS-30 दिन में तीन बार ।

➺ गुदा का खिसक जाना, गुदा में भरेपन या किसी बाहरी तत्त्व का एहसास, गुदा से द्रव का टपकना- SEPIA 200 की कुछ खुराक।

➺ गुदा का खिसक जाना, हर बार मल त्याग करते समय IGNATIA AMARA 30 दिन में तीन बार या NUX VOMICA-30 दिन में तीन बार दें।

➺ गुदा का खिसक जाना, जो वापस नहीं जाता - RUTA GRAVEOLENS-Q बाह्य इस्तेमाल के लिए और खाने के लिए RUTA GRAVEOLENS 30 या 200 दिन में दो बार ।

➺ कुछ दिनों के शिशु के गुदा के पास दाने उभर जाना - Medorrhinum 200 केवल एक खुराक, दुहराने की जरूरत नहीं ।

➺ गुदा में दर्द - IGNATIA AMARA 30 हर आधे घंटे पर जब तक दर्द कम न हो जाए।

➺ गुदा में तेज खुजली - SANGUINARIA CANADENSIS X दिन में तीन बार

➺ गुदा का पक्षाघात, नरम मल त्याग करने में भी काफी जोर लगाने की जरूरत - ALUMINA-30 दिन में तीन बार

➺ निष्क्रिय गुदा, मल से भरा रहने पर भी आसानी से सख्त या नरम मल त्याग करने में परेशानी – ALUMINA -30 दिन में तीन बार ।

➺ गुदा का अपने स्थान से खिसक जाना, बाहर निकल आने के कारण मूत्र त्याग नहीं कर सकते, साथ ही वायु निकलने और मल त्याग करने में भी कष्ट - MURIATICUM ACIDUM-30 दिन में दो बार

➺ रीनल कैलकुलस और गुदा में शूल, कम मात्रा में मूत्र, मूत्र में सफेद कण, मूत्र त्याग के बाद तीव्र पीड़ा-SARSAPARILLA OFFICINALIS 30 दिन में दो बार लें

➺ गुदाशूल (गुरदे में दर्द), किडनी की दाईं ओर से आरंभ होकर मूत्रमार्ग तक जाता है - LYCOPODIUM 200 की एक खुराक ।

➺ गुदाशूल, नाभि से शुरू होकर सभी दिशाओं में फैलता है - BERBERIS VULGARIS-Q की दो से पाँच बूँदें, दिन में दो बार

➺ गुदाशूल, एक या दोनों गुरदों से शुरू होता है और गर्भाशय से होकर मूत्राशय तक जाता है, वहाँ से मूत्रमार्ग की ओर जाता है, मूत्राशय और मूत्रमार्ग में जलन, बाईं ओर ज्यादा, वीर्यनली में से दर्द अंडकोष तक जाता है, थोड़ा भी हिलने-डुलने पर दर्द Berberis Vulgaris-Q की दो - पाँच बूँदें, दिन में तीन बार ।

➺ गुदाशूल, अचानक आता है और लंबे समय तक रहता है, लेकिन अचानक समाप्त भी हो जाता है— BELLADONNA-30 दिन में दो बार ।

➺ गुदाशूल, बाईं ओर, गर्भाशय में तीव्र मरोड्युक्त दर्द, घातक मिचली और ठंडा पसीना- TABACUM 6 हर दर्द के बाद दुहराएँ।

➺ गुदाशूल, दाएँ गुरदे से नीचे की ओर दर्द-SARSAPARILLA OFFICINALIS-6 दिन में तीन बार।

➺ गुदाशूल, दाईं ओर, वायु और कब्ज के साथ, पीठदर्द, मूत्र त्याग से राहत, मूत्र में लाल रेतकण, रोगी भयभीत होता है और साथ चाहता है LYCOPODIUM-1M की दो सप्ताह में एक खुराक । ➺ गुदाशूल, कैलकुलस निकलने का एहसास-Medorrhinum-200 सप्ताह में एक खुराक लें।