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दिगंत भाग-2 | कक्षा 12 वीं | बिहार बोर्ड पैटर्न

विषय-सूची

गद्य : दिगंत भाग-2

13 अध्याय | कक्षा-12 वीं | बिहार बोर्ड

गद्य-1 बातचीत - बालकृष्ण भट्ट

बालकृष्ण भट्ट द्वारा रचित बातचीत निबंध में वाक् शक्ति के महत्व को बताया गया है। लेखक बालकृष्ण भट्ट बताते हैं कि अगर वाक् शक्ति मनुष्य में ना होती तो सारी सृष्टि गूंगी सी होती। वाक् शक्ति के बिना हम अपनी भावनाओं को ना किसी के सामने प्रकट कर पाते और ना ही उनके भावनाओं को जान पाते। इसके अभाव में हम अपने सुख-दुख का अनुभव दूसरी इंद्रियों द्वारा करते हैं। इस वाक् शक्ति के अनेक फायदों में स्पीच और बातचीत दोनों हैं, लेकिन स्पीच से बातचीत का ढंग निराला बताया गया है। स्पीच का उद्देश्य सुनने वालों के मन में जोश और उत्साह पैदा कर देना है, पर घरेलू बातचीत मन रमने या दिल जीतने का ढंग है।

गद्य-2 उसने कहा था - चंद्रधर शर्मा गुलेरी

“उसने कहा था” कहानी शीर्षक के लेखक चंद्रधर शर्मा गुलेरी जी हैं। यह कहानी पाँच भागों में बटी हुई है। यह कहानी अमृतसर के भीड़ भरे बाजार में, 12 वर्ष का लड़का (लहनासिंह), 8 वर्ष की लड़की को तांगे के नीचे आने से बचाता है, यहीं से यह कहानी शुरू होती है।

गद्य-3 संपूर्ण क्रांति - जयप्रकाश नारायण

छात्र आंदोलन के दौरान “संपूर्ण क्रांति का नारा” “जयप्रकाश नारायण” द्वारा दिया गया था। 5 जून 1974 के पटना के गांधी मैदान में जयप्रकाश नारायण द्वारा दिया गया “संपूर्ण क्रांति” एक ऐतिहासिक भाषण का रूप है।

गद्य-4 अर्धनारीश्वर - रामधारी सिंह दिनकर जी

अर्धनारीश्वर निबंध रामधारी सिंह दिनकर जी द्वारा लिखा गया है। अर्धनारीश्वर पाठ में स्त्री और पुरुष के गुणों को बताया गया है, तथा समाज द्वारा इन में किए जाने वाले भेदभाव को भी समझाया गया है। “अर्धनारीश्वर” शिव और पार्वती का कल्पित रूप है। जिसका आधा अंग पुरुष और आधा अंग नारी का होता है। इसके माध्यम से लेखक हमें यह समझाना चाहते हैं कि, नारी पुरुष से कम नहीं है और पुरुष में भी नारीत्व का गुण होता है।

गद्य-5 रोज - सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन (अज्ञेय)

“रोज” कहानी “सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय” द्वारा लिखी गई है। इस कहानी में लेखक 4 साल बाद मालती से मिलने गए है। मालती उनकी दूर के रिश्ते की बहन है, लेकिन वह एक दोस्त की तरह रहते थे, उनकी पढ़ाई एक साथ हुई थी। जब लेखक मालती से मिले थे, तो वह एक लड़की थी, और अब वह एक विवाहित है, जो एक बच्चे की माँ भी है।

गद्य-6 एक लेख और एक पत्र - भगत सिंह

“एक लेख और एक पत्र” में “भगत सिंह” द्वारा लिखा गया है। इस पाठ में “भगत सिंह” द्वारा लिखा गया लेख “विद्यार्थी और राजनीति” तथा घनिष्ठ क्रांतिकारी मित्र “सुखदेव के नाम पत्र” दिया गया है। अमर शहीद भगत सिंह हमारे देश के एक महान क्रांतिकारी थे। वे अपने लेख में कहते हैं कि, छात्रों को अपने दायित्वों का निर्वाहन पूर्ण निष्ठा के साथ करना चाहिए। सच्ची लगन, निष्ठा एवं नैतिक गुणों को अपना, अपने जीवन का आदर्श बनना चाहिए। अपनी पढ़ाई पर पूरा ध्यान देना चाहिए।

गद्य-7 ओ सदानीरा - जगदीशचंद्र माथुर

इस निबंध में गंडक नदी की महानता चंचलता, उस के शौर्य तथा संपूर्ण इतिहास के बारे में बताया गया है। गंडक नदी के चंचलता के कारण यहाॅं गहरे ताल और विशाल मन है।

गद्य-8 सिपाही की माँ - मोहन राकेश

“सिपाही की माँ”, “मोहन राकेश” द्वारा लिखी गई यह एकांकी “अंडे के छिलके तथा अन्य एकांकी” से ली गई है। इस एकांकी में निम्न मध्यवर्ग के ऐसी माँ बेटी की कथा को दिखाया गया है। जिसके घर का इकलौता बेटा सिपाही के रूप में द्वितीय विश्व युद्ध के मोर्चे पर बर्मा में लड़ने गया है।

गद्य-9 प्रगीत और समाज - नामवर सिंह

नामवर सिंह द्वारा लिखी गई ये आलोचक निबंध “प्रगीत और समाज” कवि कि आलोचनात्मक निबंधों की पुस्तक “वाद विवाद संवाद” से लिया गया है। इस निबंध में नामवर सिंह ने “प्रगीत” को लेकर समाज में क्या भावनाएं हैं, उसके बारे में लिखा है। “प्रगीत” एक ऐसा काव्य है जिसे गाया जा सकता है। लेखक लिखते हैं कि, कविता पर समाज के दबाव को तीव्रता से महसूस किया जा रहा है। ऐसे वातावरण में लेखक उन कविताओं की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं जिनमें जो लंबी और मानवता से भरी हुई है।

गद्य-10 जूठन - ओमप्रकाश वाल्मीकि

ओमप्रकाश वाल्मीकि की “आत्मकथा” “जूठन” पिछड़ी-दलित एवं निम्न जाति के लोगों के दैनीय स्थिति को दर्शाती है। ओमप्रकाश वाल्मीकि चूहड़े जाति से थे। नीची जाति के होने के कारण उन्हें स्कूल में बैठने नहीं दिया जाता था। उनसे झाड़ू लगवाया गया। उनकी माता तागाओ (हिंदू-मुसलमान) के घर और मवेशियों के रहने के स्थान में साफ-सफाई का काम करती थी। घर के सभी लोग माॅं का हाथ बटाटे थे।‌ सालों भर काम करने के बाद भी उन्हें 12 से 13 किलो ही अनाज मिलता था।

गद्य-11 हँसते हुए मेरा अकेलापन - मलयज

मलयज जी रानीखेत में लिखते हैं कि, “मिलिट्री की छावनी” के लिए पुरे सीजन इंधन और आगे आने वाले जाड़ों के लिए पेड़ को काटा जा रहा है। कोई पेड़ो के दर्द को नहीं समझ रहा है। उनकी दर्द भरी आवाज को कोई नहीं सुन रहा है। पोस्ट ऑफिस के बिल्कुल-सामने बाई ओर ग्यारह देवदार के वृक्ष है, जैसे एकादश रूद्र। कवि सोचते हैं कि, ये ग्यारह ही क्यों हुए बारह या दस क्यों ना हुए । एक खेत के मेड़ पर बैठी कौवों की कतार देखकर वे अपने बचपन को के दिनों को याद करते हैं।

गद्य-12 तिरिछ - उदय प्रकाश

उदय प्रकाश द्वारा लिखा गया तिरिछ प्रसिद्ध कहानी एक उत्तर आधुनिक त्रासदी है। यह कहानी नई पीढ़ी के बेटे के दृष्टिकोण से बाबूजी के बारे में लिखी गई है। जो सुदूर गाॅंव में रहते हैं। वे शहर जाते हैं और फिर से शहर में उनके साथ जो कुछ घटित होता है, यह कहानी उसी के बारे में है। इस कहानी को “जादुई यथार्थ” की कहानी कहा जाता है। इस कहानी के अनुसार पिताजी 55 साल के थे। दुबला शरीर था। वे सोचते ज्यादा और बोलते बहुत कम थे। बच्चों के लिए वे बहुत बड़े रहस्य थे। लेखक को लगता था कि वे संसार की सारी भाषाऍं बोल सकते हैं।

गद्य-13 शिक्षा - जे० कृष्णमूर्ति

“शिक्षा” “कृष्णमूर्ति फाउंडेशन” द्वारा प्रकाशित एक संभाषण है। जे० कृष्णमूर्ति ने इस पाठ में सच्ची शिक्षा के महत्व को समझाया है। सच्ची शिक्षा मनुष्य को पूरी तरह से स्वतंत्र आत्म-निर्भर तथा आत्म-विश्वासी बनाती है। लेखक कहते हैं कि, शिक्षा मनुष्य को सत्य की ओर ले जाती है। जीवन जीने के तरीके में मदद करती है। जीवन, संघर्ष का दूसरा नाम है। जीवन धन्य है और धर्म में भी है। जीवन गुड है, जीवन मन की प्रच्छन्न वस्तुऍं हैं– ईर्ष्याऍं, महत्वकांक्षाऍं, वासनाऍं, भय, सफलताऍं, चिंताऍं। शिक्षा जीवन की संपूर्ण प्रक्रिया को समझने में हमारी मदद करती है।

पद्य : दिगंत भाग-2

13 अध्याय | कक्षा-12 वीं | बिहार बोर्ड

पद्य-1 कड़बक – मलिक मुहम्मद जायसी

कड़बक पद्मावत महाकाव्य से संकलित हैं। जिसके कवि मलिक मुहम्मद जायसी जी है। मुहम्मद जायसी ने इस कविता में जो सुनाया है। इसे वही समझा पाया है और गाया है, जिसने प्रेम की पीड़ा को सुना और समझा है। प्रेम को रक्त कि लेई (गोंद) लगाकर जोड़ा गया है, इसकी गहरी प्रीति को आँसुओं से भिगोया गया है। मन में यह जान कर इस कविता की रचना की गई है, कि जगत में मेरी यही निशानी बची रह जाएगी।

पद्य-2 पद – सूरदास

यह पद सूरदास के विश्वप्रसिद्ध कृति सुरसागर से संकलित हैं। कवि इस पहले पद खण्ड में माता यशोदा द्वारा सोये हुए बाल श्री कृष्ण को उठाए जाने का वर्णन है। माता यशोदा कृष्ण से कहती हैं, जागिए ब्रजराज कुँवर अब कमल के फूल खिल गए हैं।

पद्य-3 पद – तुलसीदास

तुलसीदास जी का यह पद विनय पत्रिका से संकलित है। वे इस पद में माता सीता से याचना करते हैं, कि हे जगत जननी माँ सीता, आपको कभी समय मिले तो आप श्री राम को मेरी याद दिला दीजिएगा। हे माता जब प्रभु की इच्छा यह जानने की हो की, उनका यह दास है कौन? तब आप मेरा नाम और मेरी दशा उन्हे बता दीजिएगा।

पद्य-4 छप्पय – नाभादास

नाभादास द्वारा लिखा गया यह छप्पर भक्तमाला से संकलित है। नाभादास ने अपने इस छप्पर में कबीर और सूरदास के व्यक्तित्व गुण और उनके कविताओं के सौंदर्य एवं प्रभावों के बारे में लिखा है। नाभादास जी, कबीर जी के बारे में कहते हैं कि, कबीर जी ने ह्रदय की भक्ति को धर्म माना है और योग्य, यज्ञ, व्रत, दान और भजन आदि को तुच्छ दिखाया है।

पद्य-5 कवित्त – भूषण

भूषण जी ने अपने इस कवित्त में अपने प्रिय नायकों के बारे में लिखा है। भूषण जी, शिवाजी महाराज के शौर्य एवं शक्ति की प्रशंसा करते हुए कहते हैं कि, जैसे इंद्र का राज यमराज पर है। राम का राज रावण पर है। शिव का राज रति के पति पर है। परशुराम का राज सहस्रबाहु पर है। कृष्ण का राज कंस पर है। उजाले का राज अंधेरे पर है। उसी प्रकार वीर शिवाजी का राज इन तुच्छ मलेच्छो पर है।

पद्य-6 तुमुल कोलाहल कलह में – जयशंकर प्रसाद

जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित कविता “तुमुल कोलाहल कलह में” महाकाव्य “कामायनी” का अंश है। इसमें जो नायक और नायिका है। वह हमारी भावनाओं और को दिखाती हैं। मनु मन को, श्रद्धा ह्रदय को और इड़ा हमारे बुद्धि को दिखाते हैं। इस कविता में श्रद्धा कहती हैं की, इस सारे शोरगुल में, मैं हृदय की बात हूँ मन। जब हम थक जाते है और हमे नींद आती है। मैं वही शांति हूँ मन।

पद्य-7 पुत्र वियोग – सुभद्रा कुमारी चौहान

पुत्र वियोग कविता मुकुल काव्य से संकलित है। जिसमें कवित्री सुभद्रा कुमारी चौहान एक माँ की पीड़ा को बताते हुए कहती हैं कि, जिसे हमेशा अपने सीने से लगा कर रखा है। जिसकी चेहरे पर जरा भी उदासी को देख मैं रात-रात भर सोती नहीं थी। जिसके लिए मैं ना जाने कितने सारे देवी-देवताओं को प्रसाद चढ़ाया है, उसके आगे अपना शीश नवाया है।

पद्य-8 उषा – शमशेर बहादुर सिंह

प्रसिद्ध कविता उषा शमशेर बहादुर सिंह द्वारा रचित है। जिसमें कवि ने भोर की सुंदरता का व्याख्यान करते हुए कहते हैं की, भोर का जो आकाश है वह शंख की तरह नीला है बादलों से घिरा हुआ नीला आकाश भोर में शंख की समान दिखाई देता है। आंगन में जो मिट्टी का चूल्हा है वह अभी गिला है। भोर के समय जो आकाश में अंधकार होता है वो काली सिल के समान होता है। जिस पर मसाला पीसा जाता है।

पद्य-9 जन-जन का चेहरा एक – गजानन माधव मुक्तिबोध

"जन-जन का चेहरा एक" कविता कवि "गजानन माधव मुक्तिबोध जी" द्वारा लिखी गई है। कवि ने इस कविता मे आंतरिक एकता को दिखाते हुए जनता के संघर्षकारी संकल्प मे प्रेरणा और उत्साह का संचार करते है। इन पंक्तियों कवि कहते है की, चाहे किसी देश का हो चाहे किसी प्रांत का हो सभी लोगों का चेहरा एक है। सभी लोग एक समान है।

पद्य-10 अधिनायक – रघुवीर सहाय

अधिनायक कविता रघुवीर सहाय के संग्रह आत्महत्या के विरुद्ध से ली गई है। यह एक व्यंग्यात्मक कविता है। जिसमें कवि कहते हैं की, राष्ट्रगात में भला कौन वह है, जिसे भारत का भाग्य विधाता बोला गया है। यह कौन है, जिसका गुणगान फटा सुथन्ना पहने हरचरना गाता है। अर्थात हर आम आदमी गाता है, हर गरीब आदमी गाता है।

पद्य-11 प्यारे नन्हें बेटे को – विनोद कुमार शुक्ल

विनोद कुमार शुक्ल जी द्वारा रचित कविता “प्यारे नन्हें बेटे को” उनके कविता संकलन “वह आदमी नया गरम कोट पहन कर चला गया विचार की तरह” से संकलित है। कवि इस कविता मे कर्म को लोहा बताते है, और कहते है की, जब मैं अपनी प्यारी बेटी से पूछूँगा की बताओ कहाँ कहाँ लोहा है? तो वो आसपास की वस्तुओ को देख कर बोलेगी, चिमटा, करकुल (करछुल), सिगड़ी आदि सब मे ही लोहा है।

पद्य-12 हार-जीत – अशोक वाजपेयी

प्रस्तुत कविता “हार जीत” कवि “अशोक वाजपेयी” के कविता संकलन “कहीं नहीं वहीं” से ली गई है। और यह एक गद्य कविता है। यह कविता शासक वर्ग, राजनीति, युद्ध, इतिहास और आम आदमी को लेकर आधुनिक प्रसंगों मे अनेक प्रश्न उठती है। कवि कहते है कि, नागरिकों पाता ही नहीं है की, उनका राजा, उनका शासक कौन है? और उनका शत्रु कौन है? उन्हे बताया गया है की उनकी विजय हुई है।

पद्य-13 गाँव का घर – ज्ञानेंद्रपती

ज्ञानेंद्रपति द्वारा रचित कविता “गाॅंव का घर” उनके नवीनतम कविता संग्रह “संशयात्मा” से ली गई है। जिसमें गाॅंव की संस्कृति-सभ्यता मे हुए बदलाव को दिखाते हुए कवि कहते हैं कि, गाँव की घर का वह दहलीज, चौखट जहाँ से घर का बाहरी भाग शुरू होता है। सहजन का वह पेड़ जिससे छुड़ाई गई गोंद का गेह जिसका इस्तेमाल औरते अपनी बिंदी साटने के लिए करती थी।