व्याकरण
दया करने वाला → दयालु
जिसके पास धन नहीं हो → निर्धन
नहीं मरने वाला → अमर
अपने परिवार के साथ → सपरिवार
शिक्षा देने वाला → शिक्षक
गाने वाला → गायक
नाचने वाला → नर्तक
जो ईश्वर में विश्वास करता हो → आस्तिक
जो ईश्वर में विश्वास नहीं करता हो → नास्तिक
जो किसी काम का नहीं हो → निकम्मा
देखने योग्य → दर्शनीय
पढ़ने योग्य → पठनीय
आँखों के सामने → प्रत्यक्ष
आँखों से परे → परोक्ष
जो सभी के लिए हो → सार्वजनिक
निशा (रात) में विचरण करने वाला → निशाचर
दूर तक देखने वाला → दूरदर्शी
फल का आहार करने वाला → फलाहारी
जानने की इच्छा → इच्छुक
धर्म का आचरण करने वाला → धार्मिक
जो देखने में प्रिय लगता हो → प्रियदर्शी
शत्रु को मारने वाला → शत्रुधन
जो सब जगह है। → सर्वत्र, सर्वव्यापी
जिसका पेट लंबा हो → लंबोदर
जो सब कुछ जानता हो → सर्वज्ञ
जो बहुत बोलता हो → वाचाल
जो कम बोलता हो → मितभाषी
शिव का उपासक कहलाता है → शैव
जिसकी राह गलत हो कहलाता है → गुमराह
जिसकी परीक्षा ली जा चुकी हो कहलाता है → परीक्षित
जिसे जीवन से विराग हो गया हो कहलाता है → वीतरागी
जिसकी आशय महान हो कहलाता है → महाशय
जिस नारी की बोली कठोर हो कहलाता है → कर्कशा
जहाँ किताबें छपती हो कहलाता है → छापाखाना
किसी काम मे दखल देना कहलाता है → हस्तक्षेप
पुत्री का पुत्र कहलाता है → नाती
जो पढ़ा हुआ न हो कहलाता है → अपठित
जिसे वाणी द्वारा व्यक्त न किया जा सके कहलाता है → अनिर्वचनीय
तीव्र बुद्धि वाला कहलाता है → कुशाग्र
जिस कन्या का विवाह होने वाला हो कहलाता है → आयुष्मती
जिस कन्या का विवाह हो गया हो कहलाता है → सौभाग्यवती
संध्या और रात्री की बीच की बेला कहलाता है → गोधूलि
जिसके दर्शन प्रिय माने जाए कहलाता है → प्रियदर्शन
जो प्रकाशयुक्त हो कहलाता है → भास्वर
कलम की कमाई खानेवाला कहलाता है → मसिजीवी
जल मे रहनेवाली सेना कहलाता है → नौ सेना
पृथ्वी को धरण करने वाला कहलाता है → महीधर
मृग जैसे नेत्रों वाली कहलाता है → मृगनयनी
सीमित व्यय करने वाला कहलाता है → मितव्ययी
गुण-दोष विवेचक कहलाता है → आलोचक
जो कुछ भी नहीं जानता हो कहलाता है → यज्ञ
जो बहुत कम जानता हो कहलाता है → अल्पज्ञ
जिसकी आशा न की गई हो कहलाता है → अप्रत्याशित