उत्तर- शिवा जी की तुलना भूषण जी ने इंद्र, बाड़व (समुन्द्र की आग), भगवान राम, वायु, शिवाजी, परशुराम, दावा (जंगल की आग), चीता, शेर और कृष्ण से की है।
उत्तर- जिस प्रकार जंगल का राजा सिंह होता है उसी प्रकार शिवाजी का भी राज इन म्लेच्छ पर यानि अंग्रेजों पर है उनकी वीरता प्राक्रम, बल और राज करने की क्षमता को दिखने के लिए शिवा जी की तुलना भूषण ने मृगराज से की है ।
उत्तर- छत्रसाल की तलवार सूर्य की प्रलयंकारी किरणों के समान है। जो अंधकार को कटती हुई शत्रु के गर्दन पर नागिन की तरह चलती है छत्रसाल की तलवार जब चलती है ऐसा लगता है जैसे वो काल की देवी माँ काली को प्रसन्न करने के लिए कलेवा दे रही है।
उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारे पाठ्यपुस्तक दिंगत भाग 2 के कवित्त कविता से ली गई है। इसके कवि भूषण जी है। वे इन पंक्तियों के माध्यम से वीर छत्रसाल के शौर्य और वीरता का बखान करते हुऐ कहते है की, आप की तलवार ऐसे चलती है, जैसे नागिन अपने शत्रुओं के गले से लिपट जाती है, और अपने शत्रु को खत्म कर देती है। ऐसा लगता है, जैसे शिव जी को खुश करने के लिए आपकी तलवार मुंडो की माला चढ़ाती हो।
उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारे पाठ्यपुस्तक दिंगत भाग 2 के कवित्त कविता से ली गई है। इसके कवि भूषण जी है। वे इन पंक्तियों के माध्यम से वीर छत्रसाल के शौर्य और वीरता का बखान करते हुऐ कहते है की, हे राजन आपकी जो प्रलयंकारी तलवार है, वह शत्रु समूह के सिर को इस प्रकार काटती है, जिस प्रकार देवी का कलिका (काली) रूप ने रक्तबीज का संहार किया था, और ऐसा लगता है जैसे माँ काली को प्रसन्न करने के लिए कलेऊ दे रही हो।
उत्तर- भूषण एक रीतिबद्ध आचार्य कवि है। उनका अलंकार निरूपण सफल नहीं हो सका उनका काव्य रूप ही ज्यादा सफल रहा। रीतिकाल मे प्रायः सभी कवि श्रिगांर रस की कविता लिखते थे लेकिन कवि भूषण ने इन सब से हटकर वीर रस को प्रमुखता दी ।
उत्तर- मेरे अनुसार दोनों छंदों मे से ज्यादा प्रभावी प्रथम छंद था क्योंकी इसमें शिवाजी की वीरता और शौर्य को दर्शीया गया है । उनकी बल, साहस और पराक्रम का वर्णन है जो असत्य पर सत्य की विजय को दर्शाती है।