भूषण जी ने अपने इस कवित्त में अपने प्रिय नायकों के बारे में लिखा है। भूषण जी, शिवाजी महाराज के शौर्य एवं शक्ति की प्रशंसा करते हुए कहते हैं कि, जैसे इंद्र का राज यमराज पर है। राम का राज रावण पर है। शिव का राज रति के पति पर है। परशुराम का राज सहस्रबाहु पर है। कृष्ण का राज कंस पर है। उजाले का राज अंधेरे पर है। उसी प्रकार वीर शिवाजी का राज इन तुच्छ मलेच्छो पर है।
भूषण जी छत्रसाल महाराज के शौर्य एवं वीरता की प्रशंसा करते हुए कहते हैं कि, छत्रसाल जी की तलवार जब म्यान से निकलती है, तो लगता है कि, सूर्य से प्रलयंकारी किरणे निकल रही हो। उनकी तलवार उनकी दुश्मनों के गर्दन पर नागिन की तरह लिपट जाती है। जब छत्रसाल जी की तलवार चलती है, तो ऐसा लगता है, जैसे उनकी तलवार शिव जी और काली माॅं को प्रसन्न करने के लिए मुंडो की माला तथा कलेऊ दे रही हो।