यह पद सूरदास के विश्वप्रसिद्ध कृति सुरसागर से संकलित हैं। कवि इस पहले पद खण्ड में माता यशोदा द्वारा सोये हुए बाल श्री कृष्ण को उठाए जाने का वर्णन है। माता यशोदा कृष्ण से कहती हैं, जागिए ब्रजराज कुँवर अब कमल के फूल खिल गए हैं। पक्षी तथा पेड़-पौधे आपको बुला रहे है। गाय आपको आवाज दे रही हैं और अपने बच्चे को दूध पिलाने के लिए दौर रही हैं। अंधेरा छठ रहा है और सूर्य का प्रकाश चारों ओर छा रहा है।
दूसरे पद में कृष्ण के भोजन करने का वर्णन है। कवि कहते हैं बालक कृष्ण अपने पिता नंद बाबा के गोद मे बैठ भोजन कर रहे हैं, कुछ खा रहे हैं और कुछ धरा पर गिरा रहे हैं। उनके सामने अनेक व्यंजन रखे हैं लेकिन उनका मन दही और माखन खाने को है और वह अपने हाथों से माखन को अपने मुख में डालते हैं। इस समय जो खुशी नंद बाबा और माता यशोदा को हो रही है वो खुशी तीनो लोक में कहीं भी नहीं है। कवि श्री कृष्ण का झूठा मानते हैं, जिसे पाकर वह धन्य समझेंगे।