विनोद कुमार शुक्ल जी द्वारा रचित कविता “प्यारे नन्हें बेटे को” उनके कविता संकलन “वह आदमी नया गरम कोट पहन कर चला गया विचार की तरह” से संकलित है। कवि इस कविता मे कर्म को लोहा बताते है, और कहते है की, जब मैं अपनी प्यारी बेटी से पूछूँगा की बताओ कहाँ कहाँ लोहा है? तो वो आसपास की वस्तुओ को देख कर बोलेगी, चिमटा, करकुल (करछुल), सिगड़ी आदि सब मे ही लोहा है। फिर मैं, मेरी पत्नी, और पूरा परिवार उसे धीरे धीरे समझाएगा की, हम जो काम करते है वही लोहा है। हर वो आदमी जो आपने लड़के को अपने कंधे से उच्चा करता है, लड़की के लिया प्यारा दूल्हा ढूँढ़ता है। उस घटना तक हर वो आदमी जो मेहनत करके आपना जीवन यापन करता है। वो लोहा है। हर वो औरत जो दबी सतायी गई है और जो ये बोझ उठती है, वो लोहा है।