उत्तर- हरचरना भारत की जनता को कहा गया है ।
पहचान:- फटा पुराना कपड़ा पहना हुआ व्यक्ति, शासकों के अनुसार काम करने वाले व्यक्ति ।
उत्तर- कवि ने हरचरना कहकर भारत की जनता को दिखाया है। हरचरना किसी का नाम नहीं है बल्कि यह तो गरीब, दुखी और शोषित जनता का प्रतीक है। इसलिए कवि ने कविता में हरचरना को रखा है, हरिचरण को नहीं।
उत्तर- अधिनायक देश के शासक को कहा गया है। जो अपना जयकारा जनता से लगवाते हैं।
पहचान:- राजसी वस्त्र को पहने हुए हैं।, वह अपना जयकारा लगवाता है। और सिंहासन पर बैठ सबसे अपना काम करवाता है।
उत्तर- ‘जय-जय करने’ का अर्थ है। अपनी प्रशंसा करवाना, अपनी छवि को सभी जगह फैलाना और स्वयं को महान दिखाना ।
उत्तर- यहाँ ‘बेमन’ का अर्थ है, बिना मन के। अर्थात मन नहीं है फिर भी उसका गुणगान करना है। जनता डर के कारण शासक का गुणगान करती है। मन होते हुए भी उनके विरुद्ध नहीं जा सकते हैं।
उत्तर- हरचरना अधिनायक का गुण इसलिए गाता है क्योंकि अधिनायक देश का शासक है। वह बहुत बलशाली और महाबली है । हरचरना के डर का कारण है कि वह अधिनायक की तरह बलशाली नहीं है। वह कमजोर है और अपने सभी आवश्यकता के लिए अधिनायक पर निर्भर है। वह डरता है कि उसे कोई नुकसान ना हो जाए।
उत्तर- ‘बाजा बजाने’ का अर्थ है। किसी की प्रशंसा करना या गुणगान करना।
उत्तर- ‘कौन-कौन है वह जन गण मन अधिनायक वह महाबली’ – कवि यहाँ देश के शासकों की पहचान कराना चाहते हैं। जिससे जनता डरती है। वह बहुत ताकतवर है।
उत्तर- ‘कौन-कौन’ में पूनरुक्ती है, कवि ने यह इसलिए किया है क्योंकि देश के जो शासक हैं, वह एक नहीं, एक से अधिक हैं और वे सभी मिलकर जनता का शोषण कर रहे हैं।
उत्तर- भारत के राष्ट्रगान में ‘जन-गण-मन-अधिनायक जय हे, से इस कविता का संबंध है कि इस कविता में ‘अधिनायक’ शब्द का प्रयोग व्यंग्यात्मक रूप से किया गया है। इसमें इसका प्रयोग शोषण कर रहे नेताओं के लिए किया गया है। जबकि राष्ट्रगान में इसका प्रयोग देश को आगे ले जाने वाले और आजादी दिलाने वाले नेताओं के लिए किया गया था।
उत्तर- प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के अधिनायक कविता से ली गई है। यह एक व्यंग कविता है। यह कविता कवि रघुवीर सहाय के संग्रह आत्महत्या के विरुद्ध से ली गई है। इन पंक्तियों में कवि कहते हैं की, पूरब-पश्चिम अर्थात सभी दिशाओ से, राष्ट्रीय त्योहारों पर गरीब जनता नंगे पाॅवो आती है। उन्हे देखकर ऐसा लगता है, जैसे वे नरकंकाल हो। सिंहासन पर बैठाकर उनके (गरीब जनता के) तमगे (मैडल) लगवाने वाला वह कौन है।