उत्तर- 'उसने कहा था' कहानी पाँच भागो मे बँटी हुई है । कहानी के तीन भागो मे युद्ध का वर्णन है - द्वितीय, तृतीय और चतुर्थी ।
उत्तर- कहानी के निम्नलिखित पात्र है ।
एक लड़की (सूबेदारनी) - जिसकी भेंट किशोरावस्था मे लहना सिंह से हुई थी तथा कालांतर मे उसका विवाह सुवेदर हजार सिंह के साथ हुआ ।
लहना सिंह - कहानी का मुख्य पात्र (नायक), हजार सिंह - सुवेदर, बोधा सिंह - हजार सिंह का पुत्र, लपटन साहब - एक सैनिक (विदूषक), अतरसिंह - लड़की का मामा, महासिंह - सिपाही, फिरंगी मेम, किरतसिंह।
उत्तर- उसने कहा था कहानी का नायक और मुख्य पात्र है, लहनासिंह । लहनासिंह वही बाहर वर्षीय लड़का है जिसने आठ वर्ष की लड़की को ताॅगे के नीचे आने से बचाया था और उससे पुछा करता था "तेरी कुड़माई हो गई ?" लड़की 'धत' कहकर भाग जाती थी। लहनासिंह नं0 77 राइफल्स मे जमादार था । लहनासिंह एक वीर सिपाही के साथ-साथ सच्चा प्रेमी, बुद्धिमान व्यक्ति, सहानुभूति तथा दयालूमन सबकी मदद करने वाला और वचन पालन करने वाल व्यक्ति था।
उत्तर- लहना के पूछने पर "तेरी कुड़माई हो गई" लड़की 'धत' कहकर भाग जाती थी लेकिन एक बार लड़के (लहना) ने जब पुछा "तेरी कुड़माई हो गई" तो लड़की का जवाब उसके आशा के विरुद्ध था। उसने कहा "कल, देखते नही यह रेशम से कढ़ा हुआ सालू।"
यह सुनने के बाद लहना की प्रतिक्रिया कुछ इस प्रकार थी । रास्ते मे एक लड़के को मोरी मे ढकेल दिया, एक छाबड़ीवाला की दीन भर की कमाई खोई, एक कुते को पत्थर मारा और एक गोभीवाले के ठेले मे दूध उड़ेल दिया। सामने नहाकर आती हुई किसी वैष्णवी से टकराकर अंधे की उपाधि पाई ।
उत्तर- "जाड़ा क्या है, मौत है और निमोनिया से मरनेवालों को मुरब्बे नही मिला करते" वजीरासिंह ने लहनासिंह को अपने तबीयत का ख्याल रखने की सलाह देते हुए कहता है। जाड़े का मौसम था और बोधासिंह बिमार था। लहनासिंह रात भर अपने दोनों कंबल उसे उढ़ाता था और खुद सिगड़ी के सहारे रात गुजरता था। बोधासिंह के पहरे पर वह अपना पहरा देता था । उसे सूखे लकड़ी के तख्तो पर सुलाता था और खुद कीचड़ में पड़ा रहता था। इसलिए वजीरासिंह ने यह कहाँ की "जाड़ा क्या है, मौत है और निमोनिया से मरनेवालो को मुरब्बे नहीं मिला करते " अर्थात अगर तुम ही बिमार हो जाओगे तो उसका ख्याल कौन रखेगा और दुसरा आशय यह हो सकता है की जो लोग निमोनिया से बिमार होते है उन्हें करवी दवाई मिलती है मिठे मुरब्बे नही ।
उत्तर- 'कहती है, तुम राजा हो मेरे मुल्क को बचाने आए हो' वजीरा के इस कथन को फिरंगी मेम ने कहा था। फिरंगी मेम से ब्रिटेन, फांस आदि की ओर संकेत है।
उत्तर- लहना के गाँव मे आया तुर्की मौलवी कहता था कि "जर्मनीवाले बडे पंडित हैं। वेद पढ़-पढ़कर उसमें से विमान चलाने की विद्या जान गए हैं। गौ को नहीं मारते । हिंदुस्तान में आ जाएँगे तो गौ-हत्या बंद कर देंगे। मंडी के बनियों को बहकाता था कि डाकखाने से रुपए निकाल लो, सरकार का राज्य जाने वाला है।"
उत्तर- लहनासिंह एक किसान परिवार के साथ सिपाही होने के कारण अपने दायित्व के प्रति सजग है। सहना सुबेदारनी के कहे वचन को पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ निभाता हैं। लड़ाई के समय जब वह घायल हो जाता है तब वह उसी के अनुकूल कदम उढ़ाने से नहीं हिचकिचाता और अपनी बुद्धिमानी का परिचय देते हुए पूरे खंदक को उड्ने से बचा लेता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि लहनासिंह को अपने कर्म के प्रति अगाध निष्ठा है। इस निष्ठा में अपनी बुद्धि विवेक का प्रयोग वह सफल रूप से करता है।
उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियाँ चन्द्रधर शर्म गुलेरी की कहानी "उसने कहा था" से ली गई है। यह प्रसंग उस समय का है जब लहनासिंह घायल हो जाता है और बोधासिंह को अस्पताल ले जाया जाता है। उसी अंत स्थिति में, लहनासिंह वजीरा से पानी माँगता है और लहना अतीत की यादों मे खो जाता है।
इस पंक्ति का अभिप्राय यह है की जब मृत्यु के समय जीवन की सारी यादे साफ हो जाती है। सबकुछ हमारी आँखो के सामने आने लगता जन्म से मृत्यु तक की सारी घटना एक एक कर के हमे याद आती है। जीवन की वो यादें जो धुंधली सी हो गई होती है। उन सभी का रंग साफ हो जाता है सबकुछ इतना साफ हो जाता है की मृत्यु के उन क्षणो मे हमारा पूरा जीवन हमे दिखाई देता है जैसे की हमने अपना पूरा जीवन उन क्षणो मे ही जिया हो ।
उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियाँ चन्द्रधर शर्म गुलेरी की कहानी "उसने कहा था" से ली गई है। यह मर्म उस समय का है जब लहनासिंह अपने मृत्यु के अंतिम समय मे वजीरासिंह को अपना भाई कीरत सिंह समझ कर उससे अपनी बातो को कह रहा था। लहना ने एक आम का पेड़ लगाया था। जिस माह मे लहना ने यह पेड़ लगाया था। उसी माह मे उसके भतीजे जन्म हुआ था। इसलिए वह कहता है, जितने बड़ा भतीजा उतना ही बड़ा यह आम। लहना का सपना था की वह अपने भतीजे के साथ बैठकर आम और खरबूजे खाए और उसके गाँव मे वह आम और खरबूजे की बगवानी लगाए। वह कहता था इस बार आषाढ़ मे यह आम खूब फलेगे।
उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियाँ चन्द्रधर शर्म गुलेरी की कहानी "उसने कहा था" से ली गई है। यह मर्म उस समय कि है जब युद्ध मे घायल हुए सिपाहियो और सहिद हुए सिपाहियो को फील्ड अस्पताल ले जाया जा रहा था । लहना ने बोधा के साथ सुबेदार को भी जाने के लिए कह रहा था। लहना को छोड़कर सुबेदार जाने को तैयार नहीं था इसलिए लहना ने सुबेदार को बोधा और सुबेदारनी की सौगंध देकर गाड़ी में चले जाने को कहा। इस मर्म का अर्थ यह है कि जब लहना सुबेदारनी से मिला था तो उसने सुबेदारनी को बोधा और सुबेदारनी की रक्षा करने का वचन दिया था। जो उसने बहुत अच्छे से निभाया और अपनी जान देकर सुबेदारनी को दिये गए वचन पालन किया। इस लिए वह सुबेदार से कहता है कि वह जब अपने घर की जाए तो वह सुबेदारनी से कह दे की उसने जो लहना से करने के लिए कहा वह उसने किया।
उत्तर- हाँ कहानी का शीर्षक 'उसने कहा था' बिलकूल सटीक शीर्षक है क्योंकि यह कहनी लहना के आस पास ही घूमती है। जो इस कहानी का नायक भी है। लहना जिस लड़की से बच्चपन मे मिला था। पच्चीस वर्ष बाद वह उससे सूबेदारनी के रूप में मिलता है। सूबेदारनी ने जो कुछ भी लहना से कहा था, लहना ने वो किया। उसने सूबेदार और बोधासिंह की रक्षा कि। और कहानी लहना के एक अंतिम वाक्य पर खत्म होती है। वह वाक्य है "जो उसने कहा था वह मैने किया "।
उत्तर- 'उसने कहा था' प्रथम विश्वयुद्ध की पृष्ठभुीम मे लिखी गयी कहानी है। गुलेरीजी ने लहनासिंह और सूबेदारनी के माध्यम से मानवनीय संबंधों का नया रूप प्रस्तुत किया है क्योंकि उस विश्वास की नींव मे बचपन के संबंध है। प्रथम विश्वयुद्ध की पृष्ठभूमि पर यह एक अर्थ युद्ध-विरोधी कहानी भी है । लहनासिंह का करुण संबंध अंत युद्ध के विरूद्ध मे खड़ा हो जाता है। लहनासिंह का कोई सपना पूरा नहीं होता।