“शिक्षा” “कृष्णमूर्ति फाउंडेशन” द्वारा प्रकाशित एक संभाषण है। जे० कृष्णमूर्ति ने इस पाठ में सच्ची शिक्षा के महत्व को समझाया है। सच्ची शिक्षा मनुष्य को पूरी तरह से स्वतंत्र आत्म-निर्भर तथा आत्म-विश्वासी बनाती है। लेखक कहते हैं कि शिक्षा मनुष्य को सत्य की ओर ले जाती है। जीवन जीने के तरीके में मदद करती है। जीवन, संघर्ष का दूसरा नाम है। जीवन धन्य है और धर्म में भी है। जीवन गुड है, जीवन मन की प्रच्छन्न वस्तुऍं हैं– ईर्ष्याऍं, महत्वकांक्षाऍं, वासनाऍं, भय, सफलताऍं, चिंताऍं। शिक्षा जीवन की संपूर्ण प्रक्रिया को समझने में हमारी मदद करती है।
शिक्षा हमें भय से मुक्त कराती है। हमें बचपन से ही एक ऐसे वातावरण में रहना चाहिए जहाॅं सामाजिक नियमों का दबदबा नहीं हो वहाॅं भय का वातावरण नहीं हो। इसका मतलब यह नहीं कि, हमें मन चाहे कार्य करने की स्वतंत्रता हो अपितु यह है कि ऐसी स्वतंत्रता जहाॅं जीवन की संपूर्ण प्रक्रिया को समझा जा सके।
हम सभी किसी न किसी रूप में भयभीत रहते हैं। और जहाॅं भय होता है, वहाॅं मेधा नहीं होती। भय के कारण मेधा दब जाती है। मेधा शक्ति के बारे में कहते हैं कि मेधा वह शक्ति है। जिसके द्वारा हम भय और सिद्धांतों की अनुपस्थिति में स्वतंत्रता से सोचते हैं, ताकि आप सत्य की वास्तविकता कि अपने लिए खोज कर सकें।
पूरा विश्वास भय से त्रस्त है। यह दुनिया वकीलों, सिपाहियों और सैनिकों की दुनिया है। जहाॅं प्रत्येक मनुष्य किसी न किसी के विरुद्ध में खड़ा है और एक सुरक्षित स्थान पर पहुंचने के लिए प्रतिष्ठा, सम्मान, शक्ति व आराम के लिए संघर्ष कर रहा है।
लेखक कहते हैं सचमुच शिक्षा का यह कार्य है कि, वह हम में से प्रत्येक को स्वतंत्रता पूर्ण वातावरण के निर्माण के लिए प्रेरित करें। हमें बचपन से ही यह जान लेना अत्यंत आवश्यक है कि हम कौन सा कार्य सचमुच प्रेम से करना चाहते हैं। जिसमें हम आगे बढ़ सकते हैं।