उत्तर- लेखक के पिताजी 55 साल के थे। वह सोचते ज्यादा थे और बोलते कम थे। उन्हें संसार की सारी भाषाएं बोलने आती थी। वह ज्यादा कर शांत रहा करते थे। कहीं जाने से पहले वे तंबाकू अपने मुँह मे रखते और चुप्पी में वे गंभीर, गौरवशाली, आश्चर्यजनक और भारी-भरकम रहते थे। वह गाँव को ज्यादा पसंद करते थे शहर उन्हें अच्छा नहीं लगता था।
उत्तर- तिरिछ एक विषैला जंतु है और कहानी मे जादुई यथार्थ का प्रतीक है।
उत्तर- इस पाठ में वर्णित “तिरिछ” एक विषैला जन्तु, अपितु मानव की हिंसात्मक पाशविक प्रवृत्तियाँ प्रतीत होती हैं। यद्यपि तिरिछ एक खतरनाक विषैला जानवर होता है जिसके काटने से मनुष्य की प्रायः मृत्यु हो जाती है। किन्तु मानव की हिंसक तथा दानवी गतिविधियाँ उससे अधिक, अत्यन्त घातक तथा मर्मान्तक (असह्य) पीड़ादायी होती हैं। उससे मनुष्य घुल-घुलकर मौत के मुँह में चला जाता है। कथाकार ने तिरिछ से आँख नहीं मिलाने का परामर्श दिया है, क्योंकि तिरिछ की प्रकृति है, परस्पर आँखें मिल जाने पर वह अपने शिकार पर आक्रमण कर देता है तथा अपने विषैले दाँत उसके शरीर में गड़ा देता है। यहाँ पर कहानीकार दुर्जन एवं तिरिछ के समान खतरनाक व्यक्तियों से आँखें नहीं मिलाने के लिए कहता है। इसका निहितार्थ यह है कि हमें ऐसे व्यक्तियों से किसी प्रकार का संबंध नहीं रखना चाहिए तथा उनसे किसी प्रकार का पंगा भी नहीं लेना चाहिए। उनसे दूर ही रहना चाहिए। अवांछनीय व्यक्तियों से ना तो मित्रता अच्छी होती है और ना ही शत्रुता। उनसे आँखें मिलाना श्रेयस्कर नहीं।
उत्तर- तिरिछ लेखक के सपने में आता था और वह इतनी परिचित आँखों से देखता था कि लेखक अपने आप को रोक नहीं पाते थे। यहाँ पर परिचित आँखों से तात्पर्य यह है कि लेखक रोज एक ही सपना देखते थे और इस वजह से उन्हें तिरिछ की आँखें परिचित लगने लगी थी और यह घटना सत्य होने वाली थी। यह एक संकेत था। अपने डर के कारण लेखक तिरिछ से अपनी आँखें मिलाने से रोक नहीं पाते थे।
उत्तर- लेखक हमेशा सपने देखकर डर जाया करते थे और वह नींद में होने के कारण सत्य और सपने में अंतर नहीं निकाल पाते थे लेकिन जब उनकी माँ या वह किसी आवाज के कारण जग जाते थे। उनका डर और उनका सपना टूट जाता था इसलिए वह आवाज को अपना सबसे बड़ा अस्त्र मानते है।
उत्तर- लेखक काफी गरीब परिवार से थे और उनके पिताजी कोर्ट के चक्कर लगाया करते थे, जिसके कारण काफी पैसे अदालत में और वकीलों के फीस में खत्म हो जाते थे। जब लेखक को फीस के लिए पैसे की आवश्यकता होती है, तो वे अपने पिताजी से कहते हैं। 2 दिन चुप रहने के बाद उनके पिताजी उन्हें एक पत्र देकर किसी के पास भेजते हैं। जो उन्हें 100 के तीन नोट देता है।
उत्तर- लेखक को अफसोस होता है कि उनके सपने में आए उस तिरीछ के काटने के कारण उनकी पिताजी की मृत्यु हो जाती है। वह सपना काफी समय से देख रहे होते हैं लेकिन उनमें इतनी हिम्मत नहीं होती है कि वह आकर इस तिरीछ को मारे, अगर वह पहले ही इसे मारने की कोशिश किए होते या उसे मार देते तो पिताजी के साथ वह घटना नहीं घटती और उनके पिताजी अभी जीवित होते हैं।
उत्तर- लिखक जब शहर में पिताजी के साथ घटी घटना के बारे में सोचते हैं तो उन्हें बहुत बुरा लगता है। जिस प्रकार उन्हें बताया जाता है कि पिताजी पुरे नशे में थे और उन पर काफी ज्यादा टेंशन था, अदालत जाने और भी कई सारी परेशानिया थी। नशे में होने के कारण जब उन लड़कों ने लेखक को के पिताजी को राॅड से मारा होगा तो उन्हें ज्यादा दर्द महसूस नहीं हुआ होगा। उन्हें लग रहा होगा कि वह किसी सपने में है और यह सब एक बुरा सपना है जो नींद से उठते हैं ठीक हो जाएगा।
उत्तर- अपने सपने में लेखक ने कई बार इस जंगल को देख रखा था इसलिए जब वे तिरिछ को जलाने के लिए जंगल में जाते हैं तो उन्हें पूरा जंगल परिचित लगता है।
उत्तर- लेखक के ऐसे कहने का अर्थ यह है कि शहर में लोग किसी की मदद नहीं किया करते हैं। वहाँ सभी अपने अपने काम में व्यस्त रहते हैं। सब कुछ जानते और देखते हुए भी समय ना रहने के कारण तथा अपने काम में व्यस्त रहने के कारण वे किसी की मदद नहीं करते हैं। लेखक ने इस कहानी में जो कुछ भी कहा है उसमें उनके पिताजी, उनका सपना और शहर तीनों शामिल है। तीनों आपस में जुड़े हुए हैं इसलिए वे अपना भय प्रकट करते हुए यह सब कहते हैं।
उत्तर- कहानी में वर्णित शहर के चरित्र से हम पूरी तरह सहमत हैं क्योंकि शहर में लोग अपने अपने काम में व्यस्त रहते हैं। लोगों के पास इतना समय नहीं होता है कि वह दूसरों की मदद करें या उन्हें थोड़ा समय दे। वहाँ कोई अच्छे से बात भी नहीं करता है। वहाँ के लोग किसी को मुफ्त में पानी तक नहीं देना चाहते हैं और ना ही किसी की इज्जत करते हैं।
उत्तर- इसका कारण यह था कि लेखक के पिताजी शहर काफी कम जाया करते थे। आवश्यक काम होने पर ही वह शहर जाया करते थे। उन्हें शहर की गलियां और सड़क के एक समान लगती थी। वह उन रास्तों से वाकिफ नहीं थे और शहर में उन्हें कोई जानता भी नहीं था। गाँव या जंगल की पगडंडियों को याद रखने का कारण यह था कि वे जन्म से ही अपने गाँव में रहते थे और वहाँ के गली गली और चप्पे-चप्पे से वाकिफ थे। उन्हें वहाँ हर कोई पहचानता था। वे अपने गाँव के वातावरण से भी वाकिफ थे।
उत्तर- स्टेट बैंक के कैशियर अग्निहोत्री, नेपाली चौकीदार थापा, असिस्टेंट ब्रांच मैनेजर मेहता, थाने के एस० एच० ओ० राघवेंद्र प्रताप सिंह यह सभी बहुत ही अच्छे व्यक्ति थे। परंतु अपने काम में व्यस्त होने के कारण उन्होंने लेखक के पिताजी को सही से पहचाना नहीं और समय ना होने के कारण, उनकी मदद भी नहीं कर पाए। यह सभी एक अच्छे पोस्ट पर थे।
उत्तर- लेखक के पिता अपना परिचय हमेशा ‘राम स्वारथ प्रसाद…….. एक्स स्कूल हेडमास्टर……. एंड विलेज हेड ऑफ बकेली’ के रूप में देते थे, क्योंकि लेखक के पिताजी को अपने गाँव से बहुत लगाव था और वह एक हेड मास्टर थे इसलिए उन्हें उनके गाँव में सब स्कूल हेड मास्टर के रूप में ही जानते थे इसलिए वह अपना परिचय इसी रूप में दिया करते थे।
उत्तर- लेखक के पिताजी की मृत्यु तिरिछ के काटने के 24 घंटे बाद हुई थी और ऐसा कहा जाता है कि एक बार तिरिछ जिससे काट लेता है उसका बचना नामुमकिन हो जाता है। अगर वह बच भी जाता है तो 24 घंटे बाद उसके शरीर में तिरिछ का जहर चढ़ता है और उससे उस इंसान की मृत्यु हो जाती है। कुछ ऐसा ही हुआ था लेखक के पिताजी के साथ संजोग वश उनकी भी मृत्यु तेरे काटने के 24 घंटे बाद ही हुई थी।
उत्तर- लेखक उदय प्रकाश को अब तिरिछ का सपना नहीं आने क्योंकि लेखक जो सपना सत्य देखते थे वो उनके भविष्य में घटने वाली घटना का संकेत देता था और वह घटना घटने के बाद उन्हें सपना आना बंद हो गया क्योंकि वह घटना घट चुकी थी।