Subjective

अध्याय-7 नियंत्रण एवं समन्वय

Lesson-7 | Control and Coordination

प्रश्न-1. पादप हॉर्मोन क्या हैं?

उत्तर- पादप (पौधे) में कुछ रासायनिक पदार्थों की वृद्धि होती है। ये उनकी गतिविधि को नियंत्रण तथा समन्वय करते हैं। वे ही रसायन पादप हॉर्मोन कहलाते हैं।

प्रश्न-2. प्रकाशानुवर्तन और गुरुत्वानुवर्तन में क्या अंतर है?

उत्तर- 

प्रकाशानुवर्तन:- पौधे के शीर्ष प्रकाश की दिशा में अग्रसर होते हैं। इसे प्रकाशानुवर्तन कहा जाता है।

गुरुत्वानुवर्तन:- पौधे के जड़ गुरुत्वाकर्षण की दिशा में अग्रसर होते हैं। इसे गुरुत्वानुवर्तन कहा जाता है।

प्रश्न-3. प्रतिवर्ती क्रिया तथा प्रतिवर्ती चाप में अंतर स्पष्ट करें।

उत्तर- 

प्रतिवर्ती क्रिया:- वह क्रिया, जिसे मेरूरज्जू नियंत्रित करता है तथा यह क्रिया हमारी इच्छा से नियंत्रित नहीं होती। इसके विषय में हम सोच नहीं सकते।

प्रतिवर्ती चाप:- न्यूरॉनों में आवेग संचरण एक निश्चित पथ में होता है। इस पथ को प्रतिवर्ती चाप कहते हैं।

प्रश्न-4. मनुष्य में चीनी के पाचन में कौन-सा हॉर्मोन सहायक है?

उत्तर- चीनी के पाचन में इन्सुलिन सहायक है, जिसकी कमी से मधुमेह हो जाता है।

प्रश्न-5. पीयूष ग्रंथि को 'मास्टर ग्रंथि' क्यों कहते हैं?

उत्तर- पीयूष ग्रंथि मस्तिष्क के आधार तल पर ऑप्टिक काइज्मा के पीछे सेलाटर्सिका गुहा में बन्द रहती है। शरीर का शायद ही कोई ऐसा अंग हो जो पीयूष ग्रंथि से प्रभावित न होता हो। इसी कारण इसे 'मास्टर ग्रंथि' भी कहते हैं।

प्रश्न-6. आयोडीन की कमी से कौन-सी बीमारी होती है तथा कैसे?

उत्तर- आयोडीन की कमी से घेघा (Goiter) रोग होता है। आयोडीन की कमी के कारण थायरॉक्सिन नामक हार्मोन उचित मात्रा में स्रावित नहीं हो पाता है, जिससे थॉयराइड ग्रंथि का आकार काफी बढ़ जाता है, जिसके फलस्वरूप गले में सूजन हो जाता है। शरीर की इस अवस्था को घंघा रोग के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न-7. गुरुत्वानुवर्तन का प्रदर्शन चित्र के द्वारा करें।

उत्तर- पौधों की वह गति जो पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण की दिशा में होती है, गुरुत्वानुवर्तन कहलाती है।

प्रश्न-8. पिट्यूटरी ग्रंथि के मध्य पिंडक से कौन-सा हार्मोन स्रावित होता है? इसके क्या कार्य हैं?

उत्तर- मध्य पिंडक हमेशा अग्र पिंडक से ढंका होता है, जिसके द्वारा मेलेनोसाइट स्टीमलेटिंग हॉर्मोन स्रावित होता है। यह शरीर के रंग को निर्धारित करता है।

प्रश्न-9. मादा में प्रसव के समय कौन-सा हार्मोन स्रावित होता है? इसका क्या कार्य है?

उत्तर- मादा में प्रसव से पूर्व रीलैक्सिन नामक हार्मोन स्रावित होता है। यह नन स्टीरॉयड हार्मान है, जो प्यूबिक सिम्फैसिस को रीलैक्स करता है।

प्रश्न-10. रवत में ग्लूकोज की मात्रा को नियंत्रित करने वाला हॉर्मोन किस ग्रंथि द्वारा स्त्रावित होते हैं?

उत्तर- रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को नियंत्रित करने वाला हॉर्मोन अग्न्याशय में विशिष्ट प्रकार की कोशिकाओं के समूह, लैंगरहैंस की द्वीपिकाएँ (Islets of Langerhans) द्वारा स्रावित होते हैं।

प्रश्न-11. मनुष्य के मस्तिष्क को कितने भाग में बाँटा गया है, नाम सहित बताएँ।

उत्तर- मनुष्य के मस्तिष्क को तीन भागों में बाँटा गया है—

प्रश्न-12. पेरूरज्जु आघात में किन संकेतों के आने में व्यवधान होगा?

उत्तर- मेरूरज्ज आघात के कारण विभिन्न प्रकार के आतरिक संवेदना या उद्दीपनों को ग्रहण करना मुश्किल हो जाता है। भौतिक, रासायनिक एव यांत्रिक आदि को ग्रहण कर उनका संवहन शरीर के विभिन्न भागों में करना असंभव हो जाता है। इसके कारण शरीर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे पाती है।

प्रश्न-13. मानव शरीर में कैल्सियम-फॉस्फोरस सामंजन हेतु आवश्यक दो हॉर्मोन का नाम लिखें।

उत्तर- पाराथायरायड ग्रंथि से पाराथार्मोन तथा कैल्सिटोनिन नामक दो हॉर्मोन निकलते हैं, जो कैल्सियम फास्फोरस, सामंजन हेतु आवश्यक है ।

प्रश्न-14. मस्तिष्क के महत्त्वपूर्ण कार्यों का वर्णन करें।

उत्तर- मस्तिष्क के महत्त्वपूर्ण कार्य निम्नलिखित हैं—

प्रश्न-15. पादप में रासायनिक समन्वय किस प्रकार होता है?

उत्तर- पादपों में रासायनिक समन्वय पादप हॉर्मोनों के कारण होता है। अपने कछ विशिष्ट भागों को प्रभावित करने के लिए पादप विशिष्ट हॉर्मोनों को उत्पन्न करते हैं। पादपों में प्रकाश जिस ओर रहेगा उसी दिशा की ओर प्ररोह बढेगा। पादपों में जलानवर्तन और रसायनावर्तन इसी प्रकार होता है। गुरुत्वानुवर्तन जड़ों को नीचे की ओर मोडकर अनुक्रिया करता है। परागनलिका का बीजांड की ओर वृद्धि करना रसायनावर्तन का ही उदाहरण है।

प्रश्न-16. एक जीव में नियंत्रण एवं समन्वय के तंत्र की क्या आवश्यकता है?

उत्तर- अंगतंत्रों के विभिन्न अंगों के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए नियंत्रण की आवश्यकता होती है। बिना नियंत्रण के अंगों के कार्य करने का समय एक नहीं होता एवं वे व्यवस्थित ढंग से अपने कार्य का संपादन नहीं कर सकेंगे। इसलिए, जीवों के विभिन्न अंगों एवं अंगतंत्रों का समन्वय एवं नियंत्रण उनके विभिन्न कार्यों के कुशल संचालन के लिए आवश्यक है।

प्रश्न-17. हॉर्मोन थाइरॉक्सिन का क्या महत्त्व है?

उत्तर- हॉर्मोन थाइरॉक्सिन कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन तथा वसा के सामान्य उपापचय (general metabolism) का नियंत्रण करता है। अतः यह शरीर की सामान्य वृद्धि, विशेषकर हड्डियों, बालों इत्यादि के विकास के लिए आवश्यक है। आयोडिन की कमी से थायरॉइड ग्रंथि द्वारा बननेवाला हॉर्मोन कम बनता है जिसकी गति को बढ़ाने के प्रयास में कभी-कभी थायरॉइड ग्रंथि बढ़ जाती है जिसे घेघा या गलगंड (goiter) कहते हैं। थायरॉक्सिन मानसिक व शारीरिक वृद्धि को प्रभावित करता है।

प्रश्न-18. नर तथा मादा जनन हार्मोन के नाम एवं कार्य लिखें।

उत्तर- नर तथा मादा जनन हार्मोनों के नाम एवं कार्य निम्नलिखित हैं—

कार्य

प्रश्न-19. जिबरेलिन्स की मुख्य उपयोगिता क्या है?

उत्तर- जिबरेलिन्स नामक पादप हॉर्मोन एक जटिल कार्बनिक यौगिक है। कोशिका-विभाजन एवं दीर्घन द्वारा ये पौधे के स्तंभ की लंबाई में वृद्धि करते हैं। इनके उपयोग से बड़े आकार के फलों एवं फूलों का उत्पादन किया जाता है। बीजरहित फलों के उत्पादन में ये ऑक्जिन की तरह सहायक होते हैं।

प्रश्न-20. कोई व्यक्ति अनजाने में जब किसी गर्म सतह को स्पर्श करता है, तो अचानक अपना हाथ पीछे खींच लेता है, इस प्रतिक्रिया का क्या कहते हैं?

उत्तर- जब कोई व्यक्ति गर्म सतह को अचानक स्पर्श करने के बाद हाथ पाछ खींच लेता है, तो इसे प्रतिवर्ती क्रिया कहते हैं । यह हमें विभिन्न घटनाओ से बचाता है।

प्रश्न-21. साइटोकाइनिन के प्रमुख कार्य की चर्चा करें।

उत्तर- साइटोकाइनिन एक पादप हार्मोन है, जिनके मुख्य कार्य हैं—

प्रश्न-22. मनष्य के शरीर में पायी जाने वाली अंतःस्त्रावी ग्रंथियों के नाम लिखे।

उत्तर- मनुष्य के शरीर में पायी जाने वाली अंत:स्रावी ग्रंथियाँ निम्नलिखित है—

प्रश्न-23. साइटोकाइनिन कोशिका विभाजन में कौन-सी भूमिका अदा करती है?

उत्तर- साइटोकाइनिन एक प्रकार का पादप हार्मोन है, जो कोशिका द्रव के विभाजन को प्रोन्नत करता है। यह कभी भी अकेले कार्य नहीं करता है, हमेशा ऑक्जिन के साथ मिलकर यह कोशिका विभाजन को प्रोत्साहित करता है। यह पत्तियों में जीर्णता को भी रोकता है।

प्रश्न-24. आयोडीनयुक्त नमक लेने की सलाह क्यों दी जाती है?

उत्तर- थायरायड ग्रंथि के द्वारा थाइरॉक्सिन नामक हॉमोन का स्राव होता है। थाइरॉक्सिन के संश्लेषण के लिए आयोडीन का होना आवश्यक है। यह कार्बोहाइड्रेट प्रोटीन तथा वसा के सामान्य उपापचय को नियंत्रित करता है तथा आयोडीनयुक्त नमक खाने से घेघा नामक बीमारी नहीं होता है।

प्रश्न-25. वृद्धि नियंत्रक पदार्थ किसे कहते हैं? उदाहरण सहित समझाएँ।

उत्तर- जो पदार्थ बहुत अल्प मात्रा में स्रावित होकर विसरण के द्वारा पौधों के विभिन्न अंगों में पहुँचते हैं, वे उनकी वृद्धि एवं कई उपापचयी क्रियाओं का नियंत्रण एवं समन्वय करते हैं। इन पदार्थों को वृद्धि नियंत्रक पदार्थ कहते हैं। ये कार्बनिक यौगिक हैं, जो पौधों से तो उत्पन्न नहीं होते हैं परंतु पादप-हार्मोन की तरह व्यवहृत होते हैं। उदाहरण के लिए ऑक्जिन, जिबरैलिन, साइटोकाइनिन इत्यादि।

प्रश्न-26. प्रतिवर्ती क्रिया में मस्तिष्क की क्या भूमिका है?

उत्तर- मस्तिष्क का मुख्य सोचने वाला भाग अग्र-मस्तिष्क है। इसमें विभिन्न ग्राही संवेदी आवेग प्राप्त करने के लिए क्षेत्र होते हैं। सामान्य प्रतिवर्ती क्रिया जैसे पतली के आकार में परिवर्तन तथा कोई सोची क्रिया जैसे की खिसकाना के मध्य एक पेशी गति का सेट है जिसपर हमारे सोचने का कोई नियंत्रण नहीं है। क्रियाओं में से कई मध्य मस्तिष्क तथा पश्च मस्तिष्क से नियंत्रित होती है।

प्रश्न-27. स्पर्शानुकुंचन क्या है? छुईमई की पत्तियों में कौन-सी गति प्रदर्शित होती है?

उत्तर- पौधों में बाह्य उद्दीपनों को ग्रहण करने की विशेष क्षमता होती है। स्पर्श के प्रति अनुक्रिया को स्पर्शानुकुंचन कहते हैं। छईमई की पत्तियों को स्पर्श के कारण जल की मात्रा में परिवर्तन हो जाता है। जिसके कारण इनकी आकृति बदल जाती है तथा ये नीचे झुक जाती है।

प्रश्न-28. तंत्रिका ऊतक कैसे क्रिया करता है?

उत्तर- मनुष्य में केंद्रीय तंत्रिका तंत्र बहुत विकसित होता है। इसमें—

मस्तिष्क तंत्रिका तंत्र का मुख्य केंद्र होता है और शरीर के सभी अंगों का समन्वयन करता है। यह खोपड़ी में स्थित होता है। मेरुरज्जु, रीढ़ की हड्डी के बीच में स्थित होता है। तंत्रिकायें महीन धागे के आकार की संरचनायें होती हैं जो मस्तिष्क और मेरुरज्जु से जुड़ी होती हैं और शरीर की प्रत्येक कोशिकाओं से जुड़ी होती हैं। कार्य के आधार पर तंत्रिकाओं को दो भागों में बाँटा गया है—

(i) संवेदी तंत्रिकायें:- संवेदी तंत्रिकायें वे होती हैं जो उद्दीपन को प्रभावी भागों से मस्तिष्क और मेरुरज्जु को ले जाती हैं।

(ii) प्रेरक तंत्रिकायें:- प्रेरक तंत्रिकायें वे होती हैं जो उद्दीपन का उत्तर प्रभावित भागों तक ले जाते हैं।

प्रश्न-29. मनष्य में कौन-सी ऐसी ग्रंथि है, जिससे इंजाइम तथा हॉर्मोन दोनों स्त्रावित होता है?

उत्तर- अग्न्याशय (Pancreas) एक ऐसी ग्रंथि है जिससे इंजाइम तथा हॉर्मोन दोनों स्रावित होते हैं। यह छोटी आँत के पास पायी जाती है।

प्रश्न-30. हम एक अगरबत्ती की गंध का पता कैसे लगाते हैं?

उत्तर- अगरबत्ती या किसी गंध का पता हम अग्रमस्तिष्क से करते हैं। गंध का पता करने के लिए संवेदी केन्द्र होता है, जिससे गंध की सुचना प्राप्त होती है। नासिका में उपस्थित घ्राण ग्राही के कारण हम एक अगरबती की गंध का पता लगाते हैं।

प्रश्न-31. पौधों में प्रकाशानवर्तन का चित्र बनाकर ऋणात्मक और धनात्मक प्रकाशानुवर्तन को दिखायें।

उत्तर- पौधों में बाह्य उद्यीपनों को ग्रहण करने की क्षमता होता है तथा उसके अनुसार उसमें गति भी होती है। प्रकाशानुवर्तन में पौधों के अंग प्रकाश की ओर गति करते हैं। इस प्रकार की गति तने के शीर्ष भाग या पत्तियों में स्पष्ट दिखती है जो धनात्मक है। जड़ प्रकाश से दूर मुड़कर अनुक्रिया करती है जो ऋणात्मक है।

प्रश्न-32. जलानुवर्तन दर्शाने के लिए अभिकल्पना की संक्षिप्त चर्चा कीजिए।

उत्तर- जलानुवर्तन दर्शाने के लिए हम लकडी का ऊपर से खुला बक्सा लेंगे। इसमें मिट्टी व खाद्य का मिश्रण डालेंगे। इसके एक सिरे पर हम एक पौधा लगाएँगे। बक्से में पौधे की विपरीत दिशा में एक कीप मिट्टी में गाड़ देंगे, पौधों को उसी कीप से प्रतिदिन पानी डालेंगे। लगभग एक हफ्ते के बाद पौधे के निकट की मिट्टी हटाकर हम ध्यान से देखेंगे। पौधे की जड़ों की वृद्धि उसी दिशा में दिखेगी जिस दिशा से कीप द्वारा पौधे की सिंचाई की जाती थी।

दीर्घ प्रश्नोत्तर

प्रश्न-1. जंतुओं में नियंत्रण एवं समन्वय के लिए तंत्रिका तथा हॉर्मोन क्रियाविधि की तुलना तथा व्यतिरेक (contrast) कीजिये। 

उत्तर- जतुओं में नियंत्रण एवं समन्वय के लिए तंत्रिका तथा हॉर्मोन क्रियाविधि तुलना निम्नलिखित है—

प्रश्न-2. जंतुओं में रासायनिक समन्वय कैसे होता है?

उत्तर- जंतुओं में रासायनिक समन्वय कुछ रासायनिक यौगिकों द्वारा होता है जिन्हें हॉर्मोन कहते हैं। इनका स्राव शरीर की कुछ विशेष ग्रंथियों द्वारा होता है जिन्हें अंतःस्रावी ग्रंथियाँ (endocrine glands) कहते हैं। अंतःस्रावी ग्रंथियाँ नलिकाविहीन ग्रथियाँ (ductless glands) भी कहलाती हैं चूँकि इनमें नलिकाएँ नहीं होती। नलिकाविहीन होने के कारण ये ग्रंथियाँ अपने स्राव हॉर्मोन्स को सीधे रक्त परिसंचरण में मुक्त करती हैं।

इन ग्रंथियों से स्रावित हॉर्मोन पहले ऊतक द्रव (tissue fluid) में विसरित हो जाता है। यहाँ से यह फिर रक्त कोशिकाओं (blood capillaries) में पहुँचता है और इस तरह रक्त परिसंचरण के द्वारा उन अंगों में पहुँच जाता है जहाँ इनकी जरूरत होती है। हॉर्मोन प्रेरक का कार्य करता है और जब यह रक्त परिसंचरण द्वारा अपने लक्ष्य अंगों तक पहुँचता है, तब यह उन अंगों में से कुछ विशेष परिवर्तनों को प्रेरित करता है। हॉर्मोन-नियंत्रण एवं समन्वय का प्रभाव अपेक्षाकृत धीरे–धीरे होता है, परंतु इससे उत्पन्न प्रभाव देर तक टिकता है। इनकी रासायनिक रचना जटिल होती है।

प्रश्न-3. जब एडीनलीन रुधिर में स्त्रावित होती है तो हमारे शरीर में क्या अनुक्रिया होती है?

उत्तर- एड्रीनलीन रुधिर में स्रावित हो जाता है और शरीर के विभिन्न भागों तक पहुँचा दिया जाता है। हृदय सहित, लक्ष्य अंगों तक तथा विशिष्ट ऊतकों पर यह कार्य करता है। इस कारणवश हृदय की धड़कन बढ़ जाती है, ताकि हमारी पेशियों में अधिक ऑक्सीजन की आपूर्ति हो सके। पाचन तंत्र तथा त्वचा में रुधिर की आपूर्ति कम हो जाती है, क्योंकि इन अंगों की छोटी धमनियों के आसपास की पेशियाँ सिकुड़ जाती हैं।

यह रुधिर की दिशा हमारी कंकाल पेशियों की ओर कर देता है। डायफ्राम तथा पसलियों की पेशी के संकुचन से श्वसन दर भी बढ़ जाती है। ये सभी अनुक्रियाएँ मिलकर जंतु शरीर को स्थिति से निपटने के लिए तैयार करती हैं। ये जंतु हॉर्मोन अंत:स्रावी ग्रंथियों का भाग हैं जो हमारे शरीर में नियंत्रण एवं समन्वय का दूसरा मार्ग है।

प्रश्न-4. साइटोकाइनिन तथा एबिसिसिक एसिड के कार्यों की विवेचना करें।

उत्तर- 

साइटोकाइनिन के प्रमुख कार्य हैं

एबिसिसिक एसिड के प्रमुख कार्य हैं

प्रश्न-5. थायरायड ग्रंथि की संरचना तथा उससे निकलने वाले हार्मोन के कार्यों का उल्लेख करें।

उत्तर- थायरायड ग्रंथि श्वास नली के दोनों ओर लैटिक्स के नीचे अवस्थित होती है। इस ग्रंथि के दोनों पिंड एक संयोजी ऊतक के साथ बँधे रहते हैं, जिसे इस्थमस कहते हैं।

चित्र: थायरायड ग्रंथि

थायरायड ग्रंथि से थाइराक्सिन नामक हार्मोन निकलता है। यह हमारे शरीर में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन एवं वसा के सामान्य उपापचय को नियंत्रित करता है। यह शरीर में ग्लाइकोलिसिस एवं ग्लूकोनियोजिनेसिस की प्रक्रिया को बढ़ाता है।  

प्रश्न-6. तंत्रिका ऊतक कैसे क्रिया करता है?

उत्तर- 

चित्र: तंत्रिका कोशिका

न्यूरॉन की संरचना– न्यूरॉन में एक तारा आकार कोशिकाय होता है जिसे साइटॉन कहते हैं। साइटॉन के अनेक पतले तंतुओं में से एक जो सबसे लंबा होता है, अक्ष या एक्सॉन (axon) कहलाता है। इसके अन्य शाखित व छोटे प्रवर्धन डेंड्राइट्स (dendrites) कहलाते हैं।

एक्सॉन अपने अंतिम छोर पर स्वयं शाखित हो जाते हैं जो कि सूक्ष्म गाँठ जैसी रचना में समाप्त होती है, जिसे सूत्रयुग्मन गाँठे या साइनैप्टिक नॉब्स (synaptic knobs) कहते हैं। एक्सॉन के चारों ओर श्वेत चर्बीदार पदार्थों का (fatty substances) का आवरण होता है जिसे मेडुलरी या मायलिन शीथ कहते हैं।

जहाँ मायलिन शीथ (Medullary or Mvelin sheath) नहीं होते, रेनवियर के नोड (nodes of Ranvier) कहलाते हैं। दो नोड्स के बीच के भाग को इंटरनोड कहते हैं। मायलिन शीथ के ऊपर एक पतली झिल्ली होती है जिसे न्यूरिलेमा (neurilemma) कहते हैं।

यह चपटी तथा लंबवत् कोशिकाओं की बनी होती है जिन्हें श्वान कोशिका (Schwann cells) कहते हैं। जब एक्सॉन बहुत लंबा होता है तो वह तंत्रिका तंतु (nerve fibre) कहलाता है। 

प्रश्न-7. छुई-मुई पादप की पत्तियों की गति, प्रकाश की ओर प्रवाह की गति से किस प्रकार भिन्न है?

उत्तर- छुई–मुई पौधों पर प्रकाशानुवर्तन गति का प्रभाव पड़ता है। पौधे का प्ररोह बहत धीमी गति से प्रकाश आने की दिशा में वृद्धि करते हैं लेकिन इसक पत्त स्पर्श की अनक्रिया के प्रति बहत अधिक संवेदनशील हैं। स्पर्श होने की सूचना इसक विभिन्न भागों को बहुत तेजी से प्राप्त हो जाती है। पादप इस सूचना को एक कोशिका से दूसरी कोशिका तक संचारित करने के लिए वैद्युत–रसायन साधन का उपयोग करते हैं। उसमें सूचनाओं के साधन के लिए कोई विशिष्टीकृत ऊतक नहीं होते इसलिए वे जल की मात्रा में परिवर्तन करके अपने पत्तों को सिकुड़कर उनका आकार बदल लेते हैं। 

चित्र: छुई–मुई का पौधा

प्रश्न-8. छुई-मुई पादप में गति तथा हमारी टाँग में होने वाली गति के तरीके में क्या अंतर है?

उत्तर- छुई–मुई में जंतु पेशी कोशिकाओं की तरह विशिष्टीकृत प्रोटीन तो नहीं होती लेकिन वे जल की मात्रा में परिवर्तन करके अपनी आकृति बदल लेती हैं, परिणामस्वरूप फूलने या सिकड़ने में उनका आकार बदल जाता है। अतः पौधे में केवल रासायनिक नियंत्रण होता है एवं तंत्रिकीय नियंत्रण बिलकुल भी नहीं पाया जाता है। मस्तिष्क के अग्रमस्तिष्क में साहचर्य के क्षेत्र पथक होते हैं जहा सवदा सूचनाओं का, अन्य ग्राही सूचनाओं एवं पहले से मस्तिष्क में एकत्र सूचनाओं का अथ लगाया जाता है। फिर निर्णय कर अनक्रिया तथा सचनाएँ प्रेरक क्षेत्र तक ऐच्छिक पेशी की गति को नियंत्रित करती हैं जैसे- हमारी टाँग की पेशियाँ। 

प्रश्न-9. दो तंत्रिका कोशिकाओं (न्यरॉन) के मध्य अंतर्ग्रथन (सिनेप्स) में क्या होता है?

उत्तर- हमारे पर्यावरण से सभी सचनाओं का पता कछ तंत्रिका कोशिकाओं के विशिष्टीकृत सिरों द्वारा लगाया जाता है। यह सूचना एक तंत्रिका कोशिका के द्रुमाकृतिक सिरे द्वारा उपार्जित की जाती है और एक रासायनिक क्रिया द्वारा यह एक विद्युत आवेग पैदा करती है। यह आवेग द्रमिका से कोशिकाकाय तथा वहाँ से तत्रिकाक्ष (एक्सॉन) में होता हुआ एक्सॉन के अंत में विद्युत आवेग कुछ रसायनों का विमोचन कराता है। यह रसायन रिक्त स्थान या सिनेप्स (सिनेप्टिक दरार) को पार करते हैं और अगली तंत्रिका कोशिका की द्रमिका में इसी तरह का विद्युत आवेग प्रारंभ करते हैं। इसी तरह का एक अंतर्ग्रथन (सिनेप्स) अंततः ऐसे आवेगों को तंत्रिका कोशिका से अन्य कोशिकाओं, जैसे कि पेशी कोशिकाओं या ग्रंथि तक ले जाता है एवं यह. शरीर में तंत्रिका आवेग की मात्रा की सामान्य योजना है।

चित्र: तंत्रिका पेशीय संधि

प्रश्न-10. हमारे शरीर में ग्राही का क्या कार्य है? ऐसी स्थिति पर विचार कीजिए जहाँ ग्राही उचित प्रकार से कार्य नहीं कर रहा हो, वहाँ क्या समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं?

उत्तर- हमारे शरीर में त्वचा, पेशियों तथा अन्य अंगों को ग्राही अंग कहते हैं। इसका मुख्य कार्य विभिन्न प्रकार के उद्दीपनों को ग्रहण करना है। ये उद्दीपन संवेदना मार्ग से होते हुए तंत्रिका केंद्र के पास पहुँचता है, जहाँ प्रेरक मार्ग एवं अभिवाही अंग से होते हुए अनुक्रिया प्रदर्शित करता है।

चित्र: प्रतिवर्ती चाप

यदि ग्राही अंग ठीक से काम नहीं करता है, तो उद्दीपन के प्रति किसी भी प्रकार की अनुक्रिया नहीं होती है।

प्रश्न-11. किसी सहारे के चारों ओर एक प्रतान की वृद्धि में ऑक्सिन किस प्रकार सहायक है?

उत्तर- मटर के पौधे की तरह कुछ पादप या बाड़ पर प्रतान की सहायता से ऊपर चढ़ते हैं। परंतु यह प्रतान स्पर्श के लिए संवेदनशील हैं। सूर्य का प्रकाश प्रतान के जिस ओर पड़ता है; ऑक्सिन उसकी विपरीत दिशा में चला जाता है। ऑक्सिन कोशिकाओं की वृद्धि को प्रेरित करता है। इसी कारणवश प्रतान वृद्धि करता हुआ मुड़ जाता है। इस प्रकार प्रतान सहारे को चारों ओर जकड़ लेता है।

चित्र: मटर के पौधा में वृद्धि

प्रश्न-12. एक पादप हॉर्मोन का उदाहरण दीजिए जो वृद्धि को बढ़ाता है।

उत्तर- पौधों की जैविक क्रियाओं के बीच समन्वय स्थापित करने वाले रासायनिक पदार्थ को पादप हॉर्मोन या फाइटोहॉर्मोन कहते हैं। इन्हीं में से एक महत्त्वपूर्ण पादप हॉर्मोन है—ऑक्जिन (Auxin)। ऑक्जिन पौधों के स्तंभ शीर्ष (stem tip) पर मुख्यतः संश्लेषित होने वाले ये कार्बनिक यौगिक कोशिका-विभाजन (cell division) एवं कोशिका–दीर्घन (cell elongation) में सहायता करते हैं।

जब पौधों पर प्रकाश पड़ता है तो ऑक्जिन प्ररोह के छायावाले भाग की ओर विसरित हो जाता है।  कोशिका–दीर्घन द्वारा यह ऑक्जिन तने की वृद्धि में सहायक होते हैं। यदि स्तंभ का शीर्ष काट दिया जाए तो पौधे की लंबाई में वृद्धि रुक जाती है व पार्श्वशाखाएँ निकलने लगती हैं। यह अधिकतर बीजरहित फलों के उत्पादन में सहायक होते हैं।

प्रश्न-13. मानव शरीर का रेखाचित्र बनाकर अंत: स्रावी ग्रंथियों को दर्शाइये।

उत्तर- मानव शरीर का रेखाचित्र बनाकर अंत: स्रावी ग्रंथियों नीचे दर्शाया गया है—

चित्र: मानव की अंत: स्रावी ग्रंथियाँ

(a) नर (b) मादा

प्रश्न-14. एड्रीनल कार्टेक्स और एड्रीनल मेडुला में अंतर स्पष्ट करें।

उत्तर- एड्रीनल कार्टेक्स और एड्रीनल मेडुला में निम्नलिखित अंतर हैं

प्रश्न-15. अतःस्रावी और बहिःस्रावी ग्रंथियों में अंतर लिखें।

उत्तर- अतःस्रावी और बहिःस्रावी ग्रंथियों में निम्नलिखित अंतर हैं—